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December 23, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है – रामकृष्ण ध्रुव

  • मैनपुर में शहीद शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की शहादत दिवस पर उन्हे याद किया गया
  • शेख हसन खान, मैनपुर

तहसील मुख्यालय मैनपुर नगर में आज अमर शहीद आदिवासी योध्दा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की शहादत दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया| और 1857 की क्रांति में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले इन महान योध्दाओं को याद कर आदिवासी रिती रिवाज से पुजा अर्चना किया गया| उनके बताए रास्तों पर चलने का संकल्प लिया गया| इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आदिवासी युवा नेता रामकृष्ण ध्रुव , कार्यक्रम की अध्यक्षता कुल्हाडीघाट के पूर्व सरपंच बनसिहं सोरी, विशेष अतिथि कमार आदिवासी नेता पिलेश्वर सोरी, विष्णु नेताम, कांग्रेस जिला महामंत्री गुलाम मेमन, पूर्व ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष प्रेमसाय जगत, छबी दिवान व क्षेत्र के कई आदिवासी समाज के प्रमुख उपस्थित थे, कोरोना संक्रमण के चलते कार्यक्रम में शासन के निर्देशानुसार मास्क व सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए संक्षिप्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया|

इस दौरान मुख्य अतिथि आदिवासी नेता रामकृष्ण ध्रुव ने स्वतंत्रता सग्राम के दोनो बलिदानियों के बारे मे विस्तार से बताते हुए कहां इन बलिदानियों ने अपने शौर्य एवं प्राणों की आहुति दी| इनके बलिदान के कारण हम स्वाभीमान से खड़े है|

अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने के लिये उन्होने युध्द का आव्हान किया था और इस स्वतंत्रता संग्राम मे रघुनाथ शाह ने अपने पिता का बढ़चढ़ कर सहयोग किया था| देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद कराने अंग्रेजो के विरूध्द छापामार युध्द एवं लेखन कविता के माध्यम से आजादी की चिंगारी को मध्य भारत मे जलाया और देखते ही देखते पूरे क्षेत्र मे इसकी लहर दौड़ पड़ी| 18 सितंबर 1857 को अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते पिता पुत्र को तोप के मुंह मे बांधकर उड़ा दिया गया| इस तरह उन्होने देश के लिये अपने प्राणो की आहूति दी| आज पूरा देश उनकी शहादत को याद कर रहा है।

कुल्हाडीघाट के पूर्व सरपंच बनसिंह सोरी ने कहा कि महराजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह जो कि पिता पुत्र थे इन लोगो के महान बलिदान के किस्से सुनकर गोडवानां के वंशज अपनी छाती तानकर आज भी चलते है इन पिता पुत्र महान बलिदानियों ने अपने पूर्वजों की धरती गढमंडला की रक्षा की खातिर जिस तरह से संघर्ष किया है, और अपने प्राणों की आहूती दी है वह एक मिशाल है। आदिवासी कमार नेता पिलेश्वर सोरी ने कहा कि आदिवासियों ने स्वंतत्रता की लडाई में अपना तन मन धन सर्वस लुटाकर अपना योगदान दिया है। इस मौके पर प्रमुख रूप से आदिवासी नेता रामकृष्ण ध्रुव , बनसिंह सोरी, पिलेश्वर सोरी, गरहाडीह के पूर्व सरपंच श्री नेताम, मैनपुर के पूर्व सरपंच नोकेलाल ध्रुव , गुलाम मेमन, मनीष पटेल, विष्णु नेताम, राकेश ठाकुर, बलदेव नायक, छबी दिवान, प्रेमसाय जगत, तिहारू राम मरकाम, देवीसिंह ठाकुर, बजर सिंह ध्रुव , हरचन्द्र ध्रुव , पुरूषोत्तम सिंह, रामसिंह नागेश, जबल सिंह ध्रुव , विरेन्द्र श्रीवास्तव, सुरेश पांण्डेय, जगदीश नागेश, सुनील बाम्बोडे, त्रिभुवन पटेल, सौरभ पटेल सहित आदिवासी समाज के व नगर के लोग उपस्थित थे ।

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