Recent Posts

December 24, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

आज है विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा, पुरी में उमड़ेगा भक्तों का जनसैलब

1 min read
Today's world famous Rath Yatra

 भाई-बहन के साथ मौसी मां के घर जाएंगे जगन्नाथ प्रभु
देवताओं के अलौकिक दर्शन करने पहुंचेंगे लाखों श्रद्धालु
भुवनेश्वर। आज है विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा। आज भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलदेव और बहन सुभद्रा के साथ मौसी मां के घर जाएंगे। प्रभू के इस अलौकिक लीला को देखने के लिए देश विदेश से भक्तों की जनसैलाब पुरी शहर में उमड़ेगी। नीति निययों के अनुसार दोपहर बाद तक तीनों प्रभु की नीति रीति संपन्न होगी।

Today's world famous Rath Yatra

दोपहर बाद रथयात्रा शुरू होगी। पुलिस और प्रशासन ने इसके लिए व्यापक तैयारी की है। सुरक्षा को देखते हुए पुरी शहर में आने वाले हर वाहन की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही उन्हें छोड़ा जा रहा है।  रथयात्रा को लेकर पुरी श्रीमंदिर की ओर से सारी तैयारियां पुरी कर ली गई है। महाप्रभु श्रीजगन्नाथ का नंदीघोष, भाई बलभद्र का तालध्वज रथ और देवी सुभद्रा का दर्प दलन रथ तैयार हो चुका है। श्रीमंदिर के चारों तरफ पिछले दो दिनों से ही सुरक्षा के इंतजाम कड़े कर दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि साल में एक बार महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए खुद श्रीमंदिर से बाहर निकलते हैं। यही वजह है कि लाखों की संख्या में न सिर्फ ओडिशा बल्कि देश दुनिया से भक्तों का सैलाब पुरी में उमड़ आता है।  रथयात्रा में सबसे आगे तालध्वज रथ चलता है, जिस पर  बलराम जी विराजमान होते है, उसके पीछे दर्पदलन रथ होता है, जिस पर देवी सुभद्रा व सुदर्शन चक्र सवार होते हैं। सबसे अंत में नंदीघोष रथ निकलता है, जिस पर जगत के नाथ  श्रीजगन्नाथ जी विराजमान होते हैं। रथ यात्रा के दौरान सभी को दर्शन देते हुए मौसी के घर के लिए रवाना होते हैं। महाप्रभु की इस अलौकिक यात्रा को देखने के लिए साल भर से भक्तों को इंतजार रहता है। प्रभु की हर नीति को देखने भक्त हो रहे हैं। व्याकुल महाप्रभु की हर लीला अलौकिक है। भक्त प्रभु के इस लीला  को देखने के लिए व्यग्र रहते हैं।  इस लिए रथयात्रा के एक हफ्ता पहले से ही लोग पुरी आ जाते हैं और  प्रभु के हर वेश का दर्शन करते हैं।  रथ निर्माण के देखने में भी भक्तों का विशेष उत्साह नजर आता है। वो निर्माण सामग्री काष्ठ को माथे से लगाकर धन्य  होते हैं।  वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूुर्ति के प्रतीक स्वयं श्रीजगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से संपूर्ण जगत का उदभव हुआ है। पुरी की रथयात्रा राज्य का प्रधान पर्व होने के साथ इसमें शामिल होने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से आते हैं। खास करके इस महान संस्कृति व परंपरा को जानने के लिए विदेशी लोगों को ज्यादा समागम हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *