आदिवासी समाज को विकास के पथ पर ले जाने के लिए शिक्षा पर ध्यान देना होगा – लोकेश्वरी नेताम
लालगढ़ गोंड़ी धमर्मेला नवजात्रा मे पहुंचे सैकड़ों आदिवासी समाज के लोग
मैनपुर। तहसील मुख्यालय से 02 किमी दूर प्रमुख धार्मिक स्थल लालगढ़ पहाड़ी में आज आदिवासी समाज द्वारा नवजात्रा एवं गोंड़ी धर्म मेला का आयोजन किया गया। इस आयोजन मे शामिल होने आदिवासी समाज के कई बड़े नेता प्रदेश के कोने कोने से पहुंचे। इष्टदेव बुढ़ादेव की पूजा अचर्ना कर विशाल शोभा यात्रा निकाली गई। एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि जिला पंचायत सभापति लोकेश्वरी नेताम, विशेष अतिथि केजूराम नागेश पुजारी, गोडवाना गंणतंत्र पार्टी के सभागीय अध्यक्ष महेन्द्र नेताम, आदिवासी नेता मोहन लाल ओटी, मुकुन्द कुंजाम, पीएन कश्यप, देवीसिंग मरकाम, अनुज ठाकुर, हरिश्चन्द्र सोरी, नरेन्द्र कुमार धु्रव, लोकेशचन्द्र मरकाम, ईन्दर धु्रव, टेकराम मरकाम, थानेश्वर सोरी, रविसिंग नेताम, प्रताप मरकाम सहित नगरी, सिहावा, छुरा, फिगेंश्वर, गरियाबंद, देवभोग, धमतरी क्षेत्र से पहुंचे अतिथि शामिल हुए।
इस दौरान पहाड़ी क्षेत्र जय बुढ़ादेव के जयकारो से गुंज उठाए सैकड़ों लोगों की विशाल सभा को संबोधित करते हुए जिला पंचायत सभापति लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि जल जंगल जमीन मे पहला अधिकार आदिवासियों का है। हमारे देवी देवता जंगल, झाड़ीए, पहाड़ी में वास करते हैं। जल जंगल जमीन हमारा है और हम अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुसार जहां चाहे पूजा अचर्ना कर सकते हैं। हमें सरकार नही रोक सकताए लालगढ़ पहाड़ी क्षेत्र में अनेक देवी देवताओं का वास है और आदिवासी समाज सहित क्षेत्र के लोग यहां पूरी आस्था के साथ पहुंचते है। आने वाले समय मे लालगढ़ की ख्याति दूर दूर तक फैलेगी। श्रीमती नेताम ने कहा कि आज क्षेत्र के लोगों को शिक्षक, बिजली, स्वास्थ्य, डाक्टर, सड़क, सिंचाई सुविधा के लिये धरना प्रदर्शन आंदोलन करना पड़ रहा है, लेकिन इस सभी समस्या का समाधान पांचवीं अनुसूची के लागू हो जाने से आसानी से पूरा हो जायेगा हमें अपने अधिकार पाने के लिये जागरूक होना पड़ेगा। आदिवासी नेता पी एन कश्यप ने कहा आदिवासी समाज का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समाज की एक अलग परंपरा व संस्कृति है समाज को विकास के मुख्य धारा पर ले जाने के लिये हमे सबसे ज्यादा ध्यान शिक्षा पर देना होगा।
इस मौके पर प्रमुख रूप से हरीराम, भगत राम नागेश, देवसिंह मरकाम, लोकेश चंद मरकाम, रामकृष्ण धु्रव, चंद्रसेन नेताम, देवी सिंह, दौलत राम नेताम, मोहर ओंटी, नोहर नेताम, रोहन मरकाम, दयाराम, बिसाहू राम, नीलसुंदर, अर्जुनसिंह, देवव्रत मरकाम, मुंगेश मरकाम, हेमलाल, मयाराम नागवंशी, शंकर मरकाम, भागवत मरकाम, ईश्वर मंडावी, रामशरण, बोहरन धुर्वा, रिखीराम ओंटी, अशोक नेताम, भागसिंह कोमर्रा, धनीराम, कांशीराम ओंटी, राजाराम नेताम, सुकलाल, भवरसिंह, जागेश गोटा, मालसिंह नेताम, सुकचंद मंडावी नारायण नागेश सहित हजारों की संख्या में महिला पुरूष बच्चे युवा उपस्थित थे। पूरा लालगढ़ पहाड़ी क्षेत्र में भारी भीड़ उमड़ पड़ी, देर रात तक आदिवासी नृत्य रेला पाट सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन जारी रहा।