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October 17, 2024

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गरियाबंद जिले के उदंती अभ्यारण्य में 2 नई तितलियों डार्क वाण्डरर और ट्री फ्लाईटर की पहचान

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • अब तक छत्तीसगढ़ प्रदेश में कुल 182 तितलियों का रिकार्ड

गरियाबंद। जैवविविधता के क्षेत्र में अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं के दल ने उदंती अभ्यारण्य में अध्ययन के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के लिए तितलीयों की दो नई प्रजातियों डार्क वाण्डरर और ट्री फ्लाईटर की पहचान की है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए जुलाई 2023 में लगातार तीन दिनों तक अभ्यारण्य के साथ टाइगर रिजर्व के बफर जोन के विभिन्न आवास क्षेत्रों का दौरा किया। शोधकर्ताओं ने पाया की अभ्यारण्य और टाईगर रिजर्व का इलाका जैवविविधता के मामले में बेहद संपन्न है। यहाँ तितलीयों के अनुकुल आवास में मात्र तीन दिनों के दौरे में अध्ययन दल के द्वारा कुल 76 प्रजाति की तितलीयों की पहचान की गई। इन तितलीयों के फोटोग्राफ लेकर डाटाबेस के रूप में सग्रहित किया गया जिनका उपयोग भविष्य में किए जाने वाले अध्ययन के दौरान किया जा सकेगा।

ज्ञात हो कि उदंती अभ्यारण्य क्षेत्र में तितलीयों के संबंध में किया गया यह पहला वैज्ञानिक अध्ययन है जिसमें राज्य के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों के प्राणीशास्त्र और वनस्पति शास्त्र के सहायक प्राध्यापक, शोधार्थि, स्नातकोत्तर छात्र एवं जैवविविधता संरक्षण एवं अध्ययन में अग्रणी गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसके पूर्व उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र से भारतीय प्राणीविज्ञान सर्वेक्षण संस्थान के वैज्ञानिको के द्वारा तितलीयो की मात्र 35 प्रातियों को रिकार्ड किया गया था।

अध्ययन दलः शोध अध्ययन दल का नेतृत्व राज्य की तितलीयों पर अध्ययन कर रहे सहायक प्राध्यापक हित नारायण टण्डन ने किया जो संत गुरु घासीदास शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुरूद में प्राणीशास्त्र विभाग के विभगाध्यक्ष हैं। यह अध्ययन आई एस बी एम विश्वविद्यालय छुरा से पी-एच डी करने के लिए किए जा रहे अवलोकन का हिस्सा है जो शोध निदेर्शक प्रसिद्ध गुफा विज्ञानी डॉ. जयन्त बिस्वास (नेशनल केव रिसर्च एण्ड प्रोटेक्शन आर्गेनाइजेशन) के निर्देशन में चल रहा है। अध्ययन के लिए उदंती-सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन के द्वारा सहयोग प्रदान किया गया जिनके निर्देश पर वन विभाग के कर्मचारियों ने अध्ययन दल का मार्गदर्शन किया। तात्कालिन अपर कलेक्टर अविनाश भोई भी जैवविविधता खासकर पक्षियों के अवलोकन में गहरी रूची रखतें हैं और अध्ययन के दौरान दल के साथ रहे। शाधकर्ताओं में स्वयं सेवी सस्था कों फाउण्डेशन के रवि नायडु, बायोडायवर्सीटी कंसर्वेशन सोसॉयटी छत्तीसगढ़ के सदस्य, जगदलपुर से वनस्पति शास्त्र के सहायक प्राध्यापक गुलाब चन्द, विज्ञान महाविद्यालय रायपुर के शोधार्थि श्री सर्वेश कौशिक पटेल, गौरव नाग, स्थानीय पं. श्याम शंकर मिश्र महाविद्यालय देवभोग के छात्र रामानंद अग्रवाल तथा लाल बहादुर लामा शामिल थे। अध्ययन के दौरान कुल 10 स्थलों का अवलोकन किया गया जिसमें उदंती अभ्यारण्य तथा टाईगर रिजर्व के बफर जोन के स्थल को शामिल किया गया था। इनमें कोयबा ईकोसेंटर का कैंपस, कोयबा ईकोंसेंटर के पास का नाला, तौरेंगा वनक्षेत्र, जुगाड़ वनक्षेत्र, उदंती नदी का किनारा, पायलीखण्ड से देवधारा जल प्रपात जाने का कच्चा मार्ग, देवधारा जलप्रपात का क्षेत्र, चौकशील पहाडी का नाला क्षेत्र, कुल्हाड़ीघाट का गौठाान, और बम्हलीझोला गांव का क्षेत्र शामिल था।

  • अनुकुल आवास, तितलियों के अध्ययन के साथ-साथ शोधकर्ताओं ने यह भी जानने का प्रयास

किया कि अभ्यारण्य में तितलीयों के लिए आवास अनुकुलता कैसी है। इसके लिए क्षेत्र में उपस्थित पौधें की भी जानकारी एकत्र की गई और अध्ययन के लिए चुने गए साईट पर कुल 216 पौधे की सूची तैयार की गई। इन 216 पौधे में से 61 पौधे ऐसे पाए गए जो विभिन्न प्रकार की तितलीयों के लिए पोषक पौधें होते हैं अर्थात ऐसे पौधें जिन पर तितली अपने अण्डे देती है, और फिर बाद में उन अण्डों से निकले केटरपिलर इन पौधे की पत्तियों को खाकर विकसित होते हैं। पौधे के अलावा वयस्क तितलीयों के लिए खनिज और नमी युक्त जमिन भी तितलीयों के लिए अनुकुल माहौल बनाते हैं। कुछ आवास जैसे कोयबा इकोसेंटर ओर इसके आसपास का क्षेत्र, देवधारा जल प्रपात तक जाने वाली कच्ची वन मार्ग, और जंगल के भितर के छोटे छोटे जलाशय के किनारे जहाँ सूर्य की रौशनी सीधे जमिन तक पहुंचती है, ये तितलीयों के लिए अनुकुलतम आवास है।

छत्तीसगढ़ में अब तक 180 तितलियों का रिकार्ड था अब इन 2 तितलियों के साथ 182 हो गया है, गरियाबंद जिला मे लगभग 100 से अधिक तितलियों की प्रजातियो कि विविधता पाई जाती है। जिसमें उदंती अभ्यारण, ऋषि झरन जलप्रपात, देवधारा जलप्रपात इत्यादि स्थल तितलीयो के उपयुक्त आवास स्थल हैं। वर्ष 2022 मैं ऋषि झरन जलप्रपात से छत्तीसगढ़ में 3 नए तितली के प्रजाति की पहचान की गई थी।