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November 19, 2024

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गरियाबंद और धमतरी जिले के सीमा पर बसे दर्जनभर ग्रामों के ग्रामीण एक माह से जंगली हाथियों के उत्पात से परेशान

  • शेख़ हसन खान, गरियाबंद
  • दर्रीपारा, कोसमी, खरता, चिपरी, सेम्हरा, हसौदा के जंगल को बनाया हाथियों ने अपना रहनवास
  • रात में कभी भी हाथियों का दल गांव में धमक जाता है और फसल,मकान को जमकर पहुंचाता है नुकसान
  • हाथियों के डर से शाम होते ही ग्रामीण घरों से नहीं निकलते, वनोपज संग्रहण प्रभावित

मैनपुर – गरियाबदं जिले के भीतर पिछले चार पांच वर्षो से हाथियों का दल लगातार पहुंच रहा है। कभी उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बफर जोन एरिया आमामोरा, ओढ़, पहाडियों से लगे ओडिसा प्रदेश के सोनाबेडा से हाथियों का दल पहाडी ईलाके से नीचे उतरकर दबनई, छिन्दौला, धवलपुर, पारागांव, दर्रीपारा, कोसमी आदि ग्रामों के जंगलों से होते हुए धमतरी जिला प्रवेश करते हुए सीतानदी अभ्यारण्य क्षेत्र और बस्तर तक चक्कर लगाता था, लेकिन लगातार चार पांच वर्षों से हाथियों के दल इस क्षेत्र के जंगलों में विचरण करने और गरियाबंद जिले के दबनई, फरसरा, लूठापारा, धोबीपारा, सिकासार जलाशय के साथ दर्रीपारा, कोसमी क्षेत्र के जंगल में हाथियों के लिये अनुकूल भोजन व पानी की व्यवस्था होने के कारण, हाथियों का दल अब लगभग एक माह से इन गर्मी के दिनो में इन जंगलो में अलग अलग दलो में बटकर विचरण कर रहे हैं।

पिछले पांच वर्षो का विभाग का रिकार्ड देखे तो गरियाबंद वमंडल के साथ टाईगर रिजर्व क्षेत्र में हाथियों के नुकसान से लाखों रूपये का मुआवजा ग्रामीणाें को वितरण किया गया है, और हाथियों ने लगातार क्षेत्र के गांव के भीतर घुसकर समय समय पर जमकर आंतक भी मचाया है। कई लोग हाथियों के हमले के शिकार भी हुए है और उनकी मौत तक हो चुकी है। तो वही क्षेत्र के जंगल में पिछले तीन वर्षो के भीतर दो हाथियों के शावक के साथ एक व्यस्क मादा हाथी की भी मौत हो चुकी है। पिछले चार पांच वर्षाे में क्षेत्र के हाथी प्रभावित गांव के ग्रामीणाें ने बताया कि हाथियों का दल जिस रास्ते से एक बार गुजरता है। दुसरे बार भी उसी रास्ते का उपयोग करते हैं।

यह अनुभव ग्रामीणो ने महसूस किया है साथ ही, क्षेत्र के हाथी प्रभावित ग्रामो में हाथियों के भोजन के अनुकूल बांस के जंगल अधिक होने के साथ पैरी व सेम्हर नदी में गर्मी के दिनो में प्रर्याप्त पानी भरे रहने के कारण इस क्षेत्र को जंगली हाथियों के दल ने अपना रहनवास बना लिया है।

बहरहाल पिछले एक माह से 15 से 17 की संख्या मे हाथियों का दल वनमंडल गरियाबंद अंतर्गत वन परिक्षेत्र धवलपुर, गरियाबंद, नवागढ, के हसौदा, दर्रीपारा, कोसमीद, खरता, चिपरी, रावडिग्गी, आमागांव, सेम्हरढाप, खुरसीपार, खुटगांव, बुटेगा, मोहलाई, आमंदी, जैतपुरी, अंदोरा, हर्राभत्का द, पंडरीपानी, भीरालाट, जोबा, दसपुर, केराबाहरा ग्राम जो धमतरी जिले से लगे सीमा में बसे हुए है, इन ग्रामो में हाथियों ने अपना रहनवास बना लिया है, जिसके कारण इस क्षेत्र के ग्रामीणो मे भारी दहशत देखने को मिल रहा है, वनांचल आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीण वनोपज संग्रहण तक नही कर पा रहे हैं।

आज हमारे संवाददाता हाथी प्रभावित इन ग्रामों में पहुचकर जायजा लिया तो ग्रामीणाें ने बताया कि हाथियों के एक दल पिछले लगभग एक से डेढ माह से इस क्षेत्र के दर्जनभर ग्राम पाराटोला जो धमतरी जिला सीमा पर बसा है। इन ग्रामो के नजदीक पहाडी क्षेत्रो में हाथियों के दल ने डेरा डाला हुआ है, हाथियो के इस दल में 15 से 17 हाथी है, दो शावक भी है और इसमें तीन मादा हाथी होने का जानकारी ग्रामीण सूत्रों द्वारा दिया जाता है। वन विभाग द्वारा लगातार हाथी मित्रदल और वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी हाथियों के गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। ग्रामीणाें को अकेले जंगल की ओर नही जाने की अपील किया जा रहा है।

रात में पहुंचा हाथियों का दल, जान बचाने ग्रामीण झोपडी से भागे हाथियों ने तोड़फोड़ किया, झोपडी मेें बन रहे खाना बनाने के आग से झोपडी जलकर राख

हाथी प्रभावित क्षेत्र के खुरसीपार सरपंच चन्द्रिका बाई ध्रुव, ग्राम पंचायत रावडिग्गी सरपंच पूर्णिमा ध्रुव, सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभार जिला अध्यक्ष नरेन्द्र ध्रुव, युवा कांग्रेस ब्लाॅक अध्यक्ष गोपाल कुमार नेताम ने बताया कि पिछले लगभग एक माह से दो तीन दलो में हाथियों का दल अलग अलग क्षेत्र के जंगलो में विचरण कर रहा है। एक दल जो हाथी प्रभावित ग्राम हर्राभत्का, हसौदा के आसपास है उसमें दो शावक भी है। यह हाथियों का दल पिछले एक माह के भीतर कई किसानों के धान मक्का व सब्जी के फसलों को जमकर नुकसान पहुंचाया है। रविवार को कोसमी द के आश्रित ग्राम हर्राभत्का के किसान कमल ध्रुव प्रेम शर्मा, तानसेन साहू के धान के फसल को नुकसान पहुचाया है, तो वही बीते सोमवार रात को ग्राम हसौदा बीट के कक्ष क्रमांक 631 सूजगीडोंगरी लालमाटी के पास हाथियों का दल पिछले कई दिनों से जो डेरा डाले है। एक किसान हल्लुराम खुरसीपार निवासी जो अपने खेत मे झोपडी बनाकर परिवार के साथ निवास कर रहा था और रात को खाना बना रहा था अचानक हाथियो के दल के चिंघाड सुनकर किसान झोपडी को छोड़कर जान बचाने के लिए भागे तो हाथियो के दल घांस फुस से बने झोपडी को तोड़फोड़ दिया जिससे घर में खाना बनाने वाले आग से पुरा झोपडी जलकर राख हो गया जिससे किसान के 10 बोरा धान, मोटर पम्प, चांवल, कपडा, और दैनिक आवश्यकता के सामग्री सभी जलकर खाक हो गये। पिडित ग्रामीण ने मुआवजा की मांग वन विभाग से किया है। ऐसी भी पिछले 06 माह के भीतर इस क्षेत्र में सैकडों एकड धान के फसलों को और कई गरीब आदिवासी कमार जनजातियों के झोपडियो व खेतो में लगाये गये धान, मक्का, सब्जी मोटर पम्प, सौर उर्जा के प्लेट को हाथियों ने नुकसान पहुंचाया है। वन विभाग द्वारा मुआवजा प्रकरण तैयार किया जा रहा हैं।

आदिवासी ग्रामीणाें को जंगल में वनोपज संग्रहण करने में हो रही है परेशानी

लगातार हाथी प्रभावित क्षेत्रो में हाथियों के दल पहुचने से इन दर्जनों ग्रामो के आदिवासी, कमार जनजाति व क्षेत्र के ग्रामीणों को वनोपज संग्रहण करने में भारी परेशानी हो रही है ग्रामीण हाथियों के हमले के डर से जंगल महुआ,चार,तेन्दु, जैसे महत्वपूर्ण वनोपज के संग्रहण करने नही जा पा रहे है, और तो और अकेले राशन सामग्री खरीदी करने तथा रात के समय एक गांव से दुसरे गांव शादी विवाह सामाजिक कार्यक्रम में भी ग्रामीणाें को आने जाने में हाथियों के दल से भारी दहशत देखने को मिल रही है।

क्या कहते है वन अफसर

गरियाबंद वनमंडलाधिकारी मंयक अग्रवाल ने बताया कि सोनाबेडा जंगल ओडिसा से लगातार हाथियों का दल पिछले कई वर्षो से इस क्षेत्र के जंगल में पहुच रहे हैं। किसानों के फसलों और झोपडियों को हाथियों के द्वारा जो नुकसान पहुचया गया है। उनका लगभग 20 लाख रूपये से अधिक की मुआवजा राशि गरियाबंद वनमंडल क्षेत्र में दिया गया है, हाथियों का एक दल जो नवागढ़ वन परिक्षेत्र धमतरी सीमा पर डेरा डाले हुए थे। आज मंगलवार को वह धमतरी जिला के तरफ बढ गया है, लेकिन लगातार हाथियों का दल कभी धमतरी जिला तो कभी गरियाबंद जिला के तरफ पहुच रहा है। एक दल जो सिकासार जलाशय क्षेत्र में था वह सोनाबेडा ओडिसा सीमा क्षेत्र में पहुच चुका है। श्री अग्रवाल ने बताया कि लगातार वन विभाग द्वारा हाथियों के गतिविधियो पर नजर रखे हैं। ग्रामीणो की सुरक्षा के लिए गांव में मुनादी करवाई जा रही है, ग्रामीणाें को अकेले जंगल की तरफ नही जाने की अपील किया जा रहा है।

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