वन्य प्राणी लगातार काल के गाल मेें समा रहे, गरियाबंद जिले के जंगल और वन्य प्राणी दोनों भगवान भरोसे
- अवैध शिकार, दुर्घटना से हो रही है आए दिनाें चीतल, सांभर, भालू, लकडबघ्घा, हिरण, तेन्दुआ की मौत , जिम्मेदार लोग सिर्फ वन्य प्राणियों के लाशे बटोर रहे हैं
- वन्य प्राणियों एवं जंगल की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत
- न्यूज रिपोर्टर, रामकृष्ण ध्रुव
गरियाबंद जिले के जंगल को काफी महत्वपूर्ण जंगल माना जाता है, क्योंकि गरियाबंद जिले के भीतर ही टाईगर रिजर्व, उदंती अभ्यारण्य के भी जंगल है जिसे पुरे प्रदेश और देश में राजकीय पशुवनभैसों के लिए प्रसिध्द माना जाता है, लेकिन लगातार जंगलो के भीतर हो रहे अवैध कटाई और अतिक्रमण और वन्य प्राणियों की मौत तथा जिंदा वन्यप्राणियों की तस्करी के मामले कई सवालों को जन्म दे रहा है। पिछले कुछ माह के भीतर खासकर ग्रर्मी प्रारंभ होते ही क्षेत्र के जंगलो में वाहनाें के ठोकर लगने से हिरण, सांभर भालू की मौत हो जाती है तो कभी कुत्तों के द्वारा नोच नोचकर चीतलों का शिकार किया जा रहा है। और तो और टाईगर रिजर्व अभ्यारण्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण जंगल में ग्रामीणों के द्वारा सामूहिक रूप से तीन और धनुष के माध्यम से हिरण, चीतल के अवैध शिकार के मामले भी सामने आए है तो दुसरी ओर पिछले दो वर्षो के भीतर क्षेत्र के जंगल में दो हाथी के शावक की पहाडी के उपर मौत हो गई।
एक मादा हाथी का नेशनल हाईवे के किनारे बिजली के तार में चिपक जाने से करंट से मौत हो जाने के मामले सामने आए है चाहे जो भी हो गरियाबंद जिले के जंगल क्षेत्र से लगातार वन्यप्राणियों के ज़हां एक ओर जिंदा तस्करी किये जाने के दर्जनों मामले स्वंय वन विभाग ने दर्ज किये है। वही अवैध शिकार दुर्घटना में कई वन्यप्राणियों की मौत के मामले यह बताने के लिए काफी है कि गरियाबंद जंगल क्षेत्र में न तो वन्यप्राणी सुरक्षित है और न ही कीमती घने जंगल, यहा वन्यप्राणी तथा जंगल दोनों भगवान भरोसे है। और संबधित जिम्मेदार विभाग के लोग सिर्फ वन्य्र प्राणियों के लाशे बटोर रहे हैं, जबकि होना यह चाहिए कि वन विभाग द्वारा कोई ऐसा ठोस कार्ययोजना बनाया जाए जिससे कीमती जंगल और वन्य प्राणी दोनो सुरक्षित रह सके।
पिछले चार माह गर्मी के दिनाें पर एक नजर डाले तो इदागांव देवभोग वन परिक्षेत्र में जंगली सुअर के अवैध शिकार के साथ मैनपुर से महज 15 किलोमीटर दुर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के डुमरघाट के जंगल में ग्रामीणों के द्वारा दो चीतह हिरण को घेर कर तीर धनुष से सामूहिक रूप से शिकार करने के मामले सामने आये है। और इन मामलो में वन विभाग द्वारा बकायदा आरोपियों की गिरफ्तारी कर उन्हे जेल दाखिला करवाया गया है। अभी गरियाबंद जिले के भीतर ही गायबडरी के जंगलो में कुत्तों के झुण्ड ने एक हिरण पर हमला किया था और दो माह के अंदर तीन हिरण को आवारो कुत्तों ने नोच नोचकर अपना शिकार बनाया है। दो दिन पहले मैनपुर से आठ किलोमीटर दुर नेशनल हाईवे मार्ग में दबनई नाला के पास एक मादा हिरण को अज्ञात वाहन ने ठोकर मारकर फरार हो गया, जिससे हिरण की मौत हो गई और उसका कल पोस्टमार्डम कर दह संस्कार किया गया है, दाहसंस्कार के आग ठंडे भी नहीं हुए है और रविवार को परसुली परिक्षेत्र में जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दुर सोहगपुर बीट कक्ष क्रमांक 362 में एक तेन्दुआ की मौत का मामला सामने आया है। पिछले चार पांच वर्षो का अगर रिकार्ड देखे तो मैनपुर देवभोग और गरियाबंद नेशनल हाईवे मार्ग में दर्जनों हिरण, सांभर, चीतल, लकडबघ्घा, भालू को अज्ञात वाहनाें को ठोकर से मौत हो गई लेकिन अब तक किसी भी मामले में कोई भी वन्यप्राणियों को ठोकर मारने वाले वाहन जब्त नहीं हुआ और न ही कार्यवाही की गई है।
मैनपुर क्षेत्र के जंगलों से बाघ, तेन्दुआ, के दर्जनों खाल पुलिस विभाग ने किया है बरामद
वही पिछले कुछ वर्षो में मैनपुर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में कई तेन्दुआ के खाल, और तो और 2018 में बाघ के खाल मैनपुर क्षेत्र से पुलिस विभाग ने जब्त किया है, जिसमें पुलिस विभाग को बडी सफलता भी मिली है जो अवैध शिकार को बताने के लिए काफी है। पुलिस विभाग की सक्रियता से लगातार कई जिंदा पेंगोलियन की तस्करी करने वाले लोगो को भी पकडकर सलाखों के पीछे भेजा गया है और तो और पेंगोलियन के सैकडों खाल बरामद भी किये गये है।
दुर्लभ वन्यप्राणी पेंगोलियन का शिकार गढ बना जिला गरियाबंद
ज्ञात हो कि अति दुर्लभ वन्य प्राणी पेंगोलियन के जिंदा तस्करी के दर्जनों मामले पिछले चार वर्षो के भीतर गरियाबंद जिले के वन विभाग और पुलिस विभाग ने दर्ज किये हैं। मैनपुर, क्षेत्र से जिंदा पेंगोलियन, की तस्करी करते कई लोगो को पुलिस विभाग और वन विभाग द्वारा पकडकर वन अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही किया गया है, तथा उन्हे जेल भेजा गया है। लगातार गरियाबंद जिले के भीतर चाहे वह उदंती अभ्यारण्य हो या इदागांव परिसर सीमा या फिर धवलपुर के जंगली रास्ते पुरे ओडिसा रास्तो में लगातार पेंगोलियन के तस्कर पकडाये है और इन तस्करों से कुछ बात जो निकलकर सामने आई है। वह सोचने को मजबूर करता है। अंध विश्वास के चलते लोग जंगत के इतना खूबसुरत वन्यप्राणयों को दवा बनाने के नाम पर लाखों रूपये में इसकी खरीदी बिक्री किये जाने के नाम पर तस्करी के मामले सामने आये है।
टाईगर रिजर्व के जंगल में ओडिसा के लोगों का कब्जा
वही दुसरी ओर क्षेत्र के कीमती और काफी महत्वपूर्ण टाईगर रिजर्व के जंगल भी सुरक्षित नहीं है। इस उदंती और सीतानदी जंगल के भीतर दुसरे प्रदेश ओडिसा के लकडी तस्करों द्वारा जमकर अवैध कटाई के साथ जंगलों में अवैध अतिक्रमण के मामले भी वन विभाग ने दर्ज किये है। 50 सो मामले पर विभाग ने कार्यवाही भी किया है और लगातार कार्यवाही जारी है विभाग के द्वारी है। इस उदंती और सीतानदी जंगल के भीतर दुसरे प्रदेश ओडिसा के लकडी तस्करों द्वारा जमकर अवैध कटाई के साथ जंगलों में अवैध अतिक्रमण के मामले भी वन विभाग ने दर्ज किये है। 50 सो मामले पर विभाग ने कार्यवाही भी किया है और लगातार कार्यवाही जारी और अकाल मौत के गाल में समा रहे वन्य प्राणी की संख्या को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि गरियाबंद जंगल के भीतर न तो वन्यप्राणी सुरक्षित है और न ही कीमती जंगल ।