कृषि बिल के सहारे देश को चुनिंदा पुंजीपतियों के आगे गिरवी रखना चाहती है केन्द्र सरकार : ओंकार शाह
- पूर्व विधायक ओंकार शाह ने कहा सरकार को किसानों की पीढा क्यों नही दिखाई देती
- रामकृष्ण ध्रुव, मैनपुर
आज देश में सबसे ज्यादा परेशान किसान है, और जिन किसानों के विकास के नाम पर केन्द्र सरकार द्वारा कानून बनाया गया है, उसी कानून का देश के किसान विरोध कर रहे है, तो यह कैसा कानून है जब किसान नही चाह रहे हैं। इस कानून को तो सरकार को तत्काल वापस लेना चाहिए अपनी हटधर्मिता को छोडकर किसानों के हित में तत्काल काले कानून को वापस ले। दिल्ली के बार्डर पर किसान इस काले कानून को रदद् करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे है, कडाके के ठंड में दिन रात किसान डटे हुए है। कई किसान आंदोलन में शहीद हो चुके है। अन्नदाता परेशान है, उक्त बाते बिन्द्रानवागढ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस विधायक कुमार ओंकार शाह ने चर्चा में कही।
श्री शाह ने आगे कहा कि केन्द्र में बीजेपी सरकार के कार्यप्रणाली को देखकर लगता है कि आने वाले समय में देश की जनता उद्योगपतियों की गुलाम बनकर रह जायेगी किसानों की आय दोगूनी करने का दावा करने वाली केन्द्र सरकार किसानों को भूमिहीन करने के लिए इस प्रकार के कृषि बिल कानून को लेकर आए है, जिससे वह अपनी ही जमीन पर दुसरों के लिए मजदूरी करते हुए अधिकार खो देगा। उन्होने आगे कहा केन्द्र की मोदी सरकार देश में महगांई पर लगाम कसने के बजाए लगातार खाद बिजली, डीजल एंव बीज के दामों पर बढोतरी कर रही है जिससे किसान आर्थिक रूप से लगातार कमजोर हो रहा है।
भाजपा सरकार किसान और जवान के सहारे ही देश की सत्ता में आई थी लेकिन अब वह उनकी अनदेखी करते हुए लगातार उन पर अत्याचार कर रही है। इसी का परिणाम है कि उनके द्वारा लाये गये कृषि बिल कानूनों का किसानों द्वारा इतनेे व्यापक स्तर पर विरोध करते हुए लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है। श्री शाह ने कहा केन्द्र सरकार जिन किसानों के लिए नये कृषि कानून बनाई है वही किसान खूद इसे अपने हित में नही मान रहे। और वजह भी यही है तभी तो पिछले डेढ माह से अधिक समय से दिल्ली के सिंधु बार्डर पर वे आंदोलनरत है, मोदी सरकार किसानो के हित सही मायने में चाह रही है तो किसानों के मुताबित काम करने से पीछे क्यों हट रही है। आखिर वो कौन सी ताकत है जो मोदी की केन्द्र सरकार को रोक रही है।