छत्तीसगढ़ के 13 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है, स्वास्थ्य केन्द्रों में काम बंद
1 min read- रायपुर, kanker, ambikapur
corona संकट के समय में छत्तीसगढ़ के 13 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इन संविदा कर्मचरियों में डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन समेत अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं। स्वास्थ्य केन्द्रों में काम बंद कर अब ये हजारों कर्मचारी बाहर निकल कर प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले छत्तीसगढ़ एनएचएम संघ की ओर से राज्य के जिला इकाई द्वारा जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से नियमितीकरण से जुड़ीं अपनी मांगों को लेकर प्रमुख सचिव एवं मिशन संचालक को ज्ञापन भी सौंपा गया था। इस ज्ञापन में मांगों पर गौर करने के लिए 10 दिन का समय भी दिया और मांगे न मानने पर 19 सितम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। इन 10 दिनों में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने हाथों में काली पट्टी बाँध कर काम किया। मगर अंत में सरकार की ओर से कोई आश्वासन न मिलने पर ये सभी स्वास्थ्य कर्मचारी अब हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों के न रहने पर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो गई हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने स्वास्थ्य कर्मियों से अपील की है कि यह समय हड़ताल का नहीं है और इसे स्थगित kar देश के प्रत्येक जिलों में कर्मचारियों के हड़ताल पर जाते ही कोरोना टेस्ट, दवाई बांटना, टेस्टिंग, रिपोर्टिंग, कांटेक्ट पैकिंग समेत अन्य कार्य प्रभावित हो गए और सरकारी अस्पतालों में सेवाएँ लगभग ठप हो गईं। कांकेर जिले में हड़ताल में शामिल स्वास्थ्य कर्मी प्रवीण राजपूत ‘गाँव कनेक्शन’ से बताते हैं, “राज्य सरकार के चुनावी जन घोषणा पत्र में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का वायदा किया गया था। ऐसे में नियमित पदों पर पहले से कार्यरत संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का समायोजन किया जाना चाहिए था। साथ ही अन्य संविदा पदों के नियमितीकरण की भी प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए थी, मगर वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में 2100 पदों पर नियमित भर्ती की जा रही है।”
प्रदेश में ये सभी संविदा पर काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारी कोविड केयर सेंटर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उपस्वास्थ्य केंद्रों एवं सभी कार्यालयों में पदस्थ हैं जो शनिवार से हड़ताल के कारण नहीं पहुंचे जिससे कामकाज प्रभावित रहा। छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम संघ के अध्यक्ष हेमंत सिन्हा बताते हैं, “संकट की इस घड़ी में हम प्रदेश के कोरोना पीड़ितों का साथ नहीं छोड़ना चाहते हैं और इसीलिए हमने 10 दिनों का समय शासन-प्रशासन को दिया है, ताकि उन्हें पर्याप्त समय मिल सके। इस बीच संघ ने काली पट्टी लगाकर काम करना स्वीकार किया है, जिससे उनकी मांग और उनकी स्थिति से जनसामान्य अवगत हो सके।” “फिर भी हमारी मांगों पर गौर नहीं किया गया और अब देखना है कि 13 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को सरकार उनका हक कब देती है, जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी, हमारी यह हड़ताल जारी रहेगी,” हेमंत बताते हैं।
- संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों पर अपनाया सख्त रूख दूसरी ओर जिला प्रशासन के आलाधिकारियों ने हड़ताल पर गए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों पर सख्त रूख अपनाया है। जिला कलेक्टर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि 24 घण्टे के अंदर कार्य पर लौटें अन्यथा बर्खास्तगी की कार्यवाही की जाएगी। इस बीच संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष हेमंत कुमार सिन्हा समेत 50 से ज्यादा कर्मियों को सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्तगी के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने के आदेश जारी कर दिया गया है। बस्तर में चार कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने बस्तर सीएमएचओ ने पत्र लिखा है। बर्खास्तगी और एफआईआर के आदेश से हड़ताली कर्मियों में भी काफी आक्रोश है। सभी 13 हजार कर्मचारी इस निर्णय के खिलाफ सरकार को अब सामूहिक इस्तीफा सौंपने की तैयारी में हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कर्मियों से की अपील स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने वीडियो के जरिये ट्वीट कर स्वास्थ्य कर्मियों से अपील की है।
सिंहदेव ने कहा, “मैं स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों से निवेदन करना चाहता हूं। आज जब हम कोविड के संक्रमण से जूझ रहे हैं और गंभीर स्थिति में छत्तीसगढ़ है, मुझे लगता है कि यह समय नहीं था हड़ताल में जाने का। आपकी बातें हैं, आपकी मांगें हैं, स्वभाविक हैं वो आपको लगेगा यह जायज हैं।” स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हम लोगों ने भी घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के सभी विभागों में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, संविदा कर्मचारियों के संबंध में उल्लेख किया है और उस बात को छोड़ा नहीं है। यह समय नहीं है लोगों के स्वास्थ्य और लोगों की जान से हम एक तरह से समझौता करें, उनकी तकलीफों को इतना बढ़ाएं कि हमारे प्रति उनकी संवेदना ना रह जाए।”