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November 20, 2024

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मजदूर संगठनों का 3 दिवसीय आंदोलन- एमसीएल व कर्मचारियों को कोई नुकसान नहीं -मेहरा

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3-day movement of trade unions - no harm to MCL and employees - Mehra

ब्रजराजनगर

केंद्र सरकार द्वारा कोयला ब्लॉक को ब्यवसाइकरण करने और निजी हाथों में देने के फैसले ने सभी मजदूर संगठनों को आग बबूला कर दिया है।मजदूर नेता इसे मजदूर विरोधी बता रहे है तो वही भाजपा इसे उचित कदम ठहरा रही है वही एमसीएल अधिकारियों द्वारा इससे एमसीएल पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नही पड़ना बताया जा रहा है कुल मिलाकर सभी का अपना ढपली अपना राग है।इन्ही सब बातों को लेकर मजदूर संगठनों द्वारा आने वाले 2,3,4,जुलाई को कोल इंडिया में हड़ताल का निर्णय लिया गया है तो वही कुछ लोगो का मत इससे बिल्कुल विपरीत है उनका कहना है कि आंदोलन करना उचित नही है The new dunia ने ऐसे ही कुछ कोल इंडिया से जुड़े लोग

था राजनीतिक दलों के लोगो से राय जानी इस विसय में एमसीएल के सबसे बड़े मजदूर यूनियन ओसिएमएस के केंद्रीय उपाध्यक्ष श्री बिजेश शर्मा का कहना है कि निजी संस्था को कॉल ब्लॉक देने से 1973 से पहले वाला वातावरण आ जाएगा जब कोयला कम्पनी के मालिक मजदूरों का शोषण करते थे मालिको द्वारा मजदूरों के सवास्थ्य,शिक्षा,पानी,बिजली,रहनसहन,ओर वेतन हर चीज में कटौती करके मजदूरों का फिर से शोषण किया जाएगा और पैसा सिर्फ कोल ब्लॉक के मालिक कमाएंगे इसलिए हम इसका पुरजोर विरोध करते है।

इस विसय में एच एम एस के इब वेलि छेत्र के जेसीसी सदस्य भानु प्रताप सिंह का नवभारत से कहना था कि यह सरकार मजदूर विरोधी है 1973 से पहले भी मजदूरों का शोषण होता था अब फिर से शोषण सुरु हो जाएगा, निजीकरण से आनेवाले समय मे कोल इंडिया के मजदूरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जब यही निजीकरण कांग्रेस लाई थी तो भाजपा विरोध कर रही थी अब फिर निजीकरण करना उनके गलत मंशा को दर्शाता है।हम इसका पुरजोर विरोध करते है।बीजद के वरिष्ठ युवा नेता वकील तथा जिला बीजद के उपाध्यक्ष विश्व्नाथ नायक ने कहा कि इस कॉमर्शियल कोल ब्लॉक से नफा ओर नुकसान दोनो ही है राष्ट्र के फायदे के लिए कॉमर्शियल कोल ब्लॉक देना फायदेमंद है इससे ऊर्जा के छेत्र में तथा आर्थिक छेत्र में हम आत्मनिर्भर होंगे वही इस निजीकरण से लोगो को नोकरियाँ कम मिलेगी और बेरोजगारी बढ़ते जाएगी इसलिए यदि सरकार बेरोजगारी कैसे दूर किया जाए इसपर भी ध्यान दे तो फिर उचित कदम माना जाएगा अन्यथा लोगो के सामने भूख ही भूख रहेगा।

इस संदर्भ में पूर्व एमसीएल कर्मचारी तथा वर्तमान जिला भाजपा अध्यक्ष श्री मंगल साहू का नाबभरत से कहना है कि वर्तमान में कोल इंडिया के सभी खदानों को कोल् इंडिया के कर्मचारी अधिकारी और मजदुर यूनियन मिल कर चला रहे है अब तो कोल् इंडिया में भी यूनियनों की सहमति से ठेकेदार प्रवेश कर चुके है अभी के समय में कोल् इंडिया का लगभग ७०% माइनिंग का काम आउट सोर्सिंग से किया जा रहा है और सरकार के इस फैसले से कोल् इंडिया को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योकि कुछ कोल् ब्लॉक को सरकारी प्रक्रिया के अनुसार दिया जा रहा है इस कदम से हम आत्म निर्भरता की और एक कदम आगे बढ़ेंगे कोयला ऊर्जा और बिजली आपूर्ति के लिए जरूरी है बिजली की उत्पादन के बाद ही हम छोटे छोटे कलकारखानों को खोल सकते है जिससे पुरे देश में लोगो को रोजगार भी मिलेगा और

लोकल फ़ॉर वोकल का सपना सच होगा।इस संदर्भ में एमसीएल के मुख्य जन संपर्क अधिकारी श्री डीकेन मेहरा ने नवभारत से कहा कि वर्तमान एमसीएल को आंबटित कोई भी खदान की नीलामी नही की जा रही है एमसीएल अभी भी 100 साल तक कोयला निकाले इतना कोयला का भंडार उसके पास है।साथ ही एमसीएल के पास 48 कोल ब्लॉक है जिसमे 29100मिलियन टन थर्मल कोयला आपूर्ति कर सकता है साथ ही 23 अन्य परियोजनाए भी लक्ष्य में है जिसमे वाशरी कोयला,गैसीकरण,शौर ऊर्जा,सीएचपी आदि शामिल है एमसीएल का 2023-24 तक का लक्ष्य 263 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है।

इस नए कोल ब्लॉक ब्यवसाइकरन से एमसीएल को या उसके किसी भी कर्मचारी को कोई भी नुकसान नही उठाना पड़ेगा। सभी लोग अपने अपने तरीके से इस कोल ब्लॉक को निजी हाथों में देने पर राय रखे अब देखना यह है कि आने वाले समय मे सरकार और मजदूर संगठन में किसका कहना सही है और कौन गलत है यह तो वक्त ही बताएगा।

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