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October 18, 2024

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मुख्यमंत्री निवास में भूपेश बघेल की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई सम्पन्न.कई अहम फैसले लिए गए

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मुख्यमंत्री निवास में भूपेश बघेल की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में भूपेश सरकार ने जल जीवन मिशन के सभी टेंडर को निरस्त कर दिया है. साथ ही भारत सरकार के निर्देशानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. जल जीवन मिशन के ठेके में गड़बड़ी की हजारों करोड़ रुपए की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश से की गई थी. बघेल ने शिकायत को गंभीरता लेते हुए जांच के आदेश दिए थे. चीफ सेक्रेटरी आर पी मंडल की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था

औद्योगिक नीति 2019-24 में संशोधन के प्रस्ताव
को अनुमति दी गई। जिसमें राज्य के वनोपज, हर्बल
तथा वन पर आधारित अन्य उत्पादों का प्रसंस्करण,
खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों के निर्माण और मूल्य
संवर्धन के कार्य राज्य में ही किए जाने को प्रोत्साहित
करने के लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज
(वनांचल उद्योग पैकेज) का अनुमोदन किया गया।
जिसके तहत लघु उद्योगों को औद्योगिक नीति
2019-24 के प्रावधान में स्थायी पूंजी निवेश अनुदान
के स्थान पर, उत्पादन में आने के उपरांत उद्योगों को
मान्य स्थायी पूंजी निवेश पर अनुदान के रूप में
विशेषकर पिछड़े क्षेत्र विकासखण्डों जिसमें “स”श्रेणी
के विकासखण्डों में कुल निवेश का 40 प्रतिशत 5
वर्षों में अधिकतम 40 लाख रूपए प्रतिवर्ष तथा “द”
श्रेणी के विकासखण्डों में कुल निवेश का 50 प्रतिशत
5 वर्षों में अधिकतम 50 लाख रूपए प्रतिवर्ष
पात्रतानुसार देय होगा। विशेष पैकेज के लिए लघु
उद्योगों के द्वारा प्लांट एवं मशीनरी के अंतर्गत
न्यूनतम 50 लाख तथा अधिकतम 5 करोड़ रूपए का
निवेश किया जाना आवश्यक होगा।

छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं प्रबंधन नियम-2015 में
संशोधन का अनुमोदन किया गया। जिसमें उद्योग विभाग
द्वारा संचालित औद्योगिक क्षेत्रों में विद्युत उपकेन्द्रों की
स्थापना हेतु न्यूनतम आवश्यक भूमि का आबंटन एक
रूपए प्रतीकात्मक प्रीमियम राशि (टोकन मनी) पर बिना
किसी लीज रेंट, सिक्यूरिटी डिपॉजिट के भूमि का आबंटन
किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं प्रबंधन नियम-2015 में
संशोधन का अनुमोदन किया गया। जिसमें औद्योगिक भूमि,
भवन, शेड, प्रकोष्ठ एवं लैण्ड बैंक से आबंटित भूमि का
आबंटन पश्चात नियमन एवं प्रबंधन की कंडिका में संशोधन
किया गया।


जिसके तहत प्रब्याजी में 70 प्रतिशत के स्थान पर प्रब्याजी
में 60 प्रतिशत से अधिक का वाक्यांश प्रतिस्थापित किया
गया। इसके साथ ही कोविड-19 की परिस्थितियों को ध्यान
में रखते हुए ऐसी औद्योगिक इकाईयां जिनके द्वारा उत्पादन
प्रारंभ न किए जाने की स्थिति में तथा पट्टाभिलेख निरस्त
होने की स्थिति में संबंधित आबंटित को प्रचलित प्रब्याजी
का 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करने पर उत्पादन प्रारंभ
करने के लिए एक वर्ष की अतिरिक्त अवधि जो 31
अक्टूबर 2021 को समाप्त होगी। सक्षम प्राधिकारी द्वारा
सशर्त प्रदाय की जा सकेगी। यह सुविधा कोविड-19 की
परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मात्र एक बार उपलब्ध
होगी, जिसे अन्य प्रकरणों में पूर्व उदाहरण के रूप में
उपयोग नही किया जा सकेगा। उक्त अवधि के पश्चात भी
उद्यम में उत्पादन आरंभ न होने पर दी गई यह अतिरिक्त
अवधि शून्य होगी तथा संबंधित इकाई पर छत्तीसगढ़
औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के मूल
प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही की जा सकेगी।

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक-2020
के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।राज्य शासन द्वारा वर्ष 2012 में राज्य के ग्रामीण
अंचलों के त्वरित एवं सर्वांगीण विकास की पूर्ति के लिए
वर्तमान में विकास कार्यो की स्वीकृति के लिए गठित
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास
प्राधिकरण के पुनर्गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया
गया।

छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वर्ष 2013-14 के
क्रियान्वयन के संबंध में प्रदेश में नशा मुक्त छत्तीसगढ़
अभियान हेतु छत्तीसगढ़ शराब व्यसन मुक्ति अभियान
(भारत माता वाहिनी योजना) को समाज कल्याण विभाग
को सौंपने का निर्णय लिया गया।

भारत सरकार, जल शक्ति मंत्रालय, पेयजल एवं
स्वच्छता विभाग द्वारा ‘जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन
के संबंध में निर्णय लिया गया कि-जल जीवन मिशन के
संपूर्ण टेण्डर (ईओआई) को निरस्त करके भारत सरकार के
निर्देशानुसार कार्यवाही की जाए।

मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में साढ़े 7 हजार करोड़ के जल जीवन मिशन के टेंडर में अनियमितता की शिकायतों पर चर्चा हुई। इसकी जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति बनाई गई थी। समिति की अनुशंसा पर संपूर्ण टेंडर (ईओआई) को निरस्त कर केंद्र सरकार के निर्देशानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। 
बैठक में औद्योगिक नीति 2019-24 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमति दी गई। जिसमें राज्य के वनोपज, हर्बल तथा वन पर आधारित अन्य उत्पादों का प्रसंस्करण, खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों के निर्माण और मूल्य संवर्धन के कार्य राज्य में ही किए जाने को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज (वनांचल उद्योग पैकेज) का अनुमोदन किया गया।

जिसके तहत लघु उद्योगों को औद्योगिक नीति 2019-24 के प्रावधान में स्थायी पूंजी निवेश अनुदान के स्थान पर, उत्पादन में आने के उपरांत उद्योगों को मान्य स्थायी पूंजी निवेश पर अनुदान के रूप में विशेषकर पिछड़े क्षेत्र विकासखण्डों जिसमें ‘स‘श्रेणी के विकासखण्डों में कुल निवेश का 40 प्रतिशत 5 वर्षो में अधिकतम 40 लाख रूपए प्रतिवर्ष  तथा ‘द‘ श्रेणी के विकासखण्डों में कुल निवेश का 50 प्रतिशत 5 वर्षो में अधिकतम 50 लाख रूपए प्रतिवर्ष पात्रतानुसार देय होगा। विशेष पैकेज के लिए लघु उद्योगों के द्वारा प्लांट एवं मशीनरी के अंतर्गत न्यूनतम 50 लाख तथा अधिकतम 5 करोड़ रूपए का निवेश किया जाना आवश्यक होगा।

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