दो माह बाद मादा भालू शावकों को पीठ में लादकर जंगल के तरफ सुरक्षित लौटा
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- वन विभाग के टीम लगातार दो माह तक मादा भालू और शावक के सुरक्षा में रहे तैनात
गरियाबंद। तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 08 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत देहारगुड़ा के आश्रित ग्राम गिरहोला में एक मादा भालु गांव के भीतर पहुंच कर एक सुनसान घर में दो शावको को जन्म दिया था जिसकी जानकारी लगते ही मादा भालू और शावक को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे थे। मादा भालू और शावक की सुरक्षा को लेकर वन प्रशासन द्वारा वनविभाग के कर्मचारीयों एवं स्थानीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी।
मादा भालू और उनके शावक का 24 घंटा पहरा देता था ताकि कोई मादा भालु और उसके शावक को नुकसान न पहुंचा सके और तो और मादा भालु दिन भर मकान के अंदर अपने दोनो शावक को सीने में लगाकर रखे रहता था। और रात होते ही चारे की तलाश में जंगल की तरफ निकल जाता था और सुबह फिर वापस अपने बच्चों के पास पहुंच जाता था तथा दिनभर बच्चों के साथ ही मादा भालु रहता लगभग 2 माह बाद जब भालु के शावक चलने फिरने लगे तो अपने दोनों शावकों को मादा भालु पीठ में लादकर सुरक्षित जंगल की तरफ निकल गया।
ज्ञात हो कि लगातार दो माह तक मादा भालु गांव के भीतर अपने शावको के साथ रहने के कारण आसपास रहने वाले निवासियों में भी मादा भालु के प्रति उत्सुकता देखते बन रही थी अब मादा भालु के चले जाने से आसपास रहने वाले लोग सुनापन महसूस कर रहे है लेकिन उनका कहना है। मादा भालु गांव के भीतर शावक को जन्म देने के बाद दो माह तक पूरे दिनभर घर के भीतर रहता लेकिन कभी किसी ग्रामीण को नुकसान नहीं पहुंचाया। वहीं दूसरी ओर इसी सुने मकान में दो वर्ष पहले भी मादा भालु ने दो शावक को जन्म दिया था और जंगल सुरक्षित अपने बच्चों को ले गया था।
- क्या कहते हैं अधिकारी
वन विभाग मैनपुर के डिप्टी रेंजर नरेश नाग ने बताया मादा भालु ने ग्राम गिरहोला में गांव के भीतर पहुंचकर सुने मकान में दो बच्चों को जन्म दिया था वन विभाग द्वारा मादा भालु की पूरे दो माह तक देख रेख में कर्मचारी तैनात किए गए थे जो 24 घंटा मादा भालु पर नजर रखे थे उन्होने बताया मादा भालु कल अपने दोनो शावक को पीठ में लाद कर देर शाम जंगल की तरफ सुरक्षित चला गया है।