तीनों किसान बिल कृषि सुधार के लिए नहीं अन्नदाताओं को बरबाद करने वाला है : लौटनराम
1 min read- सरकार किसानों के आजादी को लेकर बड़ा हो हल्ला मचा रही है, तो सरकार यह बताए किसान कब गुलाम थे
- लखनऊ, 26 सितम्बर।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन पर किसान बंदोबस्ती विधेयक-2020 यह कृषि सुधार बिल नहीं, किसानों को बरबाद करने की साजिश है। भाजपा पूँजीपतियों के हाथों बिक गयी है। सपा पिछडावर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि जब से केन्द्र में मोदी-शाह की सरकार बनी है, तब से पूँजीपतियों का पोषण और आम नागरिकों का शोषण हो रहा है। सरकार सब कुछ बेच देने पर तुली है।सरकारी उपक्रमों व संस्थानों का निजीकरण किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने सदैव किसानों और नौजवानों के हित की बात की है। केन्द्र सरकार किसानों को बरबाद करने की साजिश रच रही है।
निषाद ने कहा कि सरकार को यह भी बताना चाहिए किस किसान संगठन ने इन कानूनों की मांग की है और जो मांग की जा रही है उस पर कोई अध्यादेश या बिल नहीं आया , फिर इसे लाने की क्या हड़बड़ी मची हुई है?उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये से बनायी गईं मण्डियां अब पूँजीपतियों के हाथों संचालित होंगी। गांव में किसानों का अनाज खरीदकर मण्डियों में बेचकर थोड़ा मुनाफा कमाने वाले लोग अब बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा मेरा यह साफ मानना है कि यह तीनों बिल कृषि क्षेत्र में कंपनी राज स्थापित करेंगे। कहा, मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूँ कि यह बिल इतना ही ऐतिहासिक था, तो चोर दरवाजे के रास्ते लोकतंत्र की हत्या कर लाने की क्या मजबूरी थी। बतौर अध्यादेश वह भी तब जब लॉकडाउन चल रहा था ?
निषाद ने कहा कि देश की जनता यह भी जानना चाहती है कि सरकार कह रही हैं कि एमएसपी नहीं प्रभावित होगी, तो फिर बिल में इसका प्रावधान क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के आजादी को लेकर बड़ा हो हल्ला मचा रही है, तो सरकार यह बताए किसान कब गुलाम थे, वह बाहर फिर भी तो अपनी सामान बेच रहे थे।उन्होंने कहा कि यह बिल किसानों के साथ एक गहरी साजिश है। सरकार पूँजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एमएसपी किसानों के लिए सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा है। इससे निजी खरीद बहुत ज्यादा नहीं प्रभावित होते- जैसे मनरेगा होने की वजह से निजी मजदूरी नहीं कम होती, इसी तरह यह भी सुरक्षा देती है और सरकार का यह तर्क है कि एमएसपी नहीं प्रभावित होगी। जिओ के आने के बाद जिस तरह बीएसएनल नहीं प्रभावित हुई है, वैसे ही यह भी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम चुप बैठने वालों में नहीं है।उनका कहना है कि भाजपा सरकार किसानों की जमीन पूंजीपतियों के हाथों में देकर किसानों को उन्ही के खेत में मजदूरी कराने व कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों को बर्बाद करने व लघु किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है।