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December 23, 2024

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उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगल में मिला विलुप्त प्रजाति के सर्प बम्बू पिट वाइपर

  • शेख हसन खान की विशेष रिपोर्ट
  • उदंती सीतानदी के जंगल कई प्रकार के दुर्लभ जीवों का घर हैं
  • इसमें सर्पों के 30 से ज्यादा प्रजाती शामिल हैं जिनका विवरण नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के किताब में बताया गया हैं

मैनपुर। गरियाबंद जिले के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगल में अति विलुप्त प्रजाति के बेहद खास बम्बू पिट वाइपर सर्प मिला है जिसका बकायदा नोवा नेचर सोसायटी में कार्य करने वाले मैनपुर क्षेत्र के युवक ओमप्रकाश नागेश द्वारा वीडियो बनाया गया है। और यह वीडियो को समाचार प्रकाशन के लिए हमारे संवाददाता को उपलब्ध कराई गई है। उदंती सीतानदी के जंगल कई प्रकार के दुर्लभ जीवों का घर हैं। इसमें सर्पो के 30 से ज्यादा प्रजाती शामिल हैं जिनका विवरण नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के किताब में बताया गया हैं। हाल में संस्था को एक बेहद खूबसूरत दुर्लभ सांप बम्बू पिट वाइपर मिला। यह वाइपर प्रजाति का सांप है जो सिर्फ भारत में ही पाया जाता हैं। इसकी लंबाई 60 से 70 सेमी तक हो सकती हैं। यह पेड़ों पर विचारने वाला और ज्यादातर निशाचारी होता है।

इस संबंध में नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष एम सूरज राव ने जानकारी देते हुए बताया बम्बू पिट वाइपर बेहद ही दुर्लभ प्रजाति के सर्प है। अन्य वाइपर प्रजाति की तरह यह भी विषैला होता है लेकिन इनका विष इतना कारगर नहीं होता जो इंसान को हानि पहुंचाए। यह छलावरण में बेहद माहिर होते हैं और इनका रंग पेड़ पत्तों से घुल मिल जाता हैं जिस वजह से इसे जंगल में देख पाना बेहद मुश्किल होता हैं। इसके थूथन पर दो गर्मी संवेदन पिट होते हैं जो अंधेरे में भी अपने शिकार को पहचानने और सटीक शिकार करने में मदद करते हैं। ऐसे दुर्लभ जीवों को बचाने और उनके संरक्षण के लिए उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व को बचा कर रखना जरूरी हैं। यह तस्वीर नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी में कार्य करने वाले ओमप्रकाश नागेश द्वारा लिया गया है।

  • विलुप्त प्रजाति के यह सर्प जंगल में नहीं दिख पाते आसानी से

उदंती अभ्यारण्य के कुल्हाड़ीघाट जंगल में यह विलुप्त प्रजाति के सर्प नजर आया है इसके सामने मुंह का हिस्सा बेहद चौड़ा होता है। इसके पिछे का भाग पतला होता है। एशिया में मुख्य रूप से इनकी दो प्रजाति पाई जाती है। यह सर्प अब बहुत कम नजर आता है। इसके चलते इसे विलुप्त प्रायः प्रजाति का माना जाता है।