हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन परियोजनाओं में लगे रोक : माकपा
रायपुर । मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल माइनिंग के खिलाफ आदिवासियों और किसानों के जारी विरोध आंदोलनों का समर्थन करते हुए इस क्षेत्र में परसा कोल ब्लॉक सहित सभी खनन परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग की है। आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि कोल ब्लॉकों के लिए इन खनन परियोजनाओं के कारण न केवल 20 गांव उजड़ जाएंगे, बल्कि बल्कि हसदेव नदी का अस्तित्व भी संकट में पड़ जायेगा, जो बांगो कैचमेंट के साथ मिलकर लगभग 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई करती है और पेयजल आपूर्ति कर रही है। माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान कांग्रेस सरकार भी तत्कालीन भाजपा सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों पर ही चल रही है।
यही कारण है कि अडानी के साथ भाजपा राज में हुए एमडीओ को अब कांग्रेस सरकार भी सार्वजनिक करने में शर्मा रही है! उन्होंने कहा कि हालांकि कोल ब्लॉक आबंटित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन पर्यावरण स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण, 5वीं अनुसूची, पेसा व वनाधिकार कानून के प्रावधानों के तहत खनन प्रक्रिया को रोकने और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने का पूरा अधिकार भी राज्य सरकार के पास है। यहीं कारण है कि जून 2015 में स्वयं राहुल गांधी ने यहां जाकर आदिवासियों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया था और वादा किया था कि सरकार में आने पर कांग्रेस कोल खनन की प्रक्रिया को रोकेगी। माकपा नेता ने कहा कि ऐसा करने के बजाए अब कांग्रेस सरकार भाजपा राज में ग्राम सभाओं के किये गए फ़र्ज़ीकरण पर अपना ठप्पा लगा रही है और आदिवासियों के शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन को कुचलने पर तुली हुई है। कोल खनन के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया से पूर्व उसने इस क्षेत्र में वनाधिकारों की स्थापना भी नहीं की है, जिसके बिना भूमि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया ही अवैध है। बैलाडीला के मामले में भी कांग्रेस सरकार का यही आदिवासीविरोधी रवैया है। माकपा के सरगुजा, कोरबा और सूरजपुर के जिला सचिवों बाल सिंह, ललन सोनी और प्रशांत झा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कल आंदोलनरत आदिवासियों के धरनास्थल पर जाकर अपना समर्थन व्यक्त किया। उन्हें संबोधित करने वालों में छतीसगढ़ किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता, आदिवासी एकता महासभा के पीयर सिंह, सीटू के नेता जनकदास कुलदीप, प्रकाश नारायण सिंह, प्रताप दास, जनवादी महिला समिति की राज्य संयोजिका धनबाई कुलदीप तथा जनवादी नौजवान सभा के हुसैन अली भी शामिल थे।