Recent Posts

December 23, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

खबर हटके… बालसिंह के हौसले की उड़ान के आगे हारी दिव्यांगता, लेकिन उनकेे हौसले को नजरअंदाज कर रहा शासन-प्रशासन

1 min read
  • शेख हसन खान

मैनपुर ।कहते हैं कि अगर मन मैं कुछ कर गुजरने का इंसान ठान लें तो कठिन से कठिन चुनौतियों से लड़ते हुए वह अपनी मंजिल पा लेता हैं। ऐसा ही कुछ तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम पंचायत कोचेंगा के आश्रित ग्राम गाजीमुड़ा में पूरे कमर तक 90 प्रतिशत दिव्यांग बालसिंह पिता जयलाल मरकाम जाति गोड़ उम्र 35 ने कर दिखाया है। दिव्यांग होने के बावजूद बाल सिंह हौसला नहीं हारा और अपनी जिंदगी को जिंदादिली से जीने की जुगत में लगा रहा। बाल सिंह विगत 6 वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत से मिलने वाली 350 रूपये पेंशन को एकमुश्त जमा कर 3000 रूपये में एक छोटा सा किराने की दुकान को गांव के चौराहे में खोलकर बैठ गया। दिव्यांग बाल सिंह व्यवहार कुशल होने के नाते छोटे बड़े सभी उसके दुकान से सामान खरीद कर ले जाने लगे, रास्ता चलते हुए राहगीरों ने भी 5 मिनट रुक कर उनके हौसला अफजाई करते हुए दुकान से सामान खरीदी करने लगे, 6 साल के बाद आज दिव्यांग 500 रूपये हर रोज की कमाई कर रहा है। बाल सिंह के इस काम मे उसके छोटे भाई मददगार के रूप में काम करते हैं।

ज्ञात हो कि दिव्यांग बाल सिंह के कमर के ऊपर का हिस्सा दोनों हाथ कान नाक आंख और दिमाग पूर्ण रूप से स्वस्थ एवं ठीक है लेकिन कमर के नीचे का हिस्सा 90 प्रतिशत दिव्यांग है, बड़ी मुश्किलों से कुछ कदम दो डण्डे के सहारे से चल फिर लेता है। सारा काम बैठे-बैठे ही करता है, शुरुआती दौर में बाल सिंह के दिमाग में ख्याल आया कि मैं दोनों पैर से दिव्यांग हूं, लेकिन मेरा हाथ और दिमाग तो ठीक है। दिव्यांग को किसी का मजबूरी बनने से बेहतर होगा अपने लिए कुछ करूं जो मैं कर सकता हूं। बस इसी जज्बे ने उसे स्वरोजगार के दिशा में आगे बढ़ाया जो आज भी अनवरत जारी है।

इसके दुकान में आज भी समान है 30000 रूपये तक

ग्राम पंचायत से मिलने वाली पेंशन की राशि को 6 साल पूर्व एकमुश्त 3000 जमा करके अपने बलबूते पर अपने दिमाग से किराने की दुकान संचालित करने वाले बाल सिंह को क्षेत्र के वरिष्ठ जनों से शबासी एवं प्रोत्साहन तो मिला लेकिन शासन प्रशासन के द्वारा उसके हौसले और जज्बे को जिस प्रकार से सरकारी मदद मिलना चाहिए था। वह नहीं मिला, अगर दिव्यांगों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ भी मिला होता तो किराने की व्यवसाय को और अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ा पाता लेकिन अपने बलबूते से आज हर रोज की कमाई 500 रूपये और उसके पास 30,000 रूपये का सामान है। अगर उसे किराने की दुकान संचालित करने के लिए सरकारी मदद मिला होता तो आज बात कुछ और ही होती। शासन प्रशासन और जिम्मेदारों को भी उसके जज्बे और हौसले को बढाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

3 वर्ष पूर्व हैंडल वाले ट्राईसिकल तो मिला लेकिन आज हो गई है जर्जर, आने जाने में होती है भारी परेशानी

3 वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत के माध्यम से दिव्यांग बाल सिंह को हैंडल वाले ट्राईसिकल तो मिला उसी में आवाजाही करते थे। लेकिन आज की स्थिति में ट्राईसिकल पूरी तरह से जर्जर एवं चलाने योग्य नहीं है। कहीं आने जानें के लिए दिव्यांग बालसिंह को भारी परेशानियाें का सामना करना पड रहा है। दिव्यांग बालसिंह नेे गरियाबंद जिला के कलेक्टर निलेश क्षीरसागर एवं एसडीएम मैनपुर सूरज साहू से मोटराइज्ड साइकिल की मांग किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *