भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने बंद विरोधियों के साथ की मारपीट, पुलिस बनी रही मूकदर्शक
उल्टे बंद विरोधियों के खिलाफ ही किया मामला दर्ज
बिलासपुर, आज रविवार को भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने भारत बंद का ऐलान किया था। कुछ दिन पहले इसी की राजस्थान में भीड़ ने पिटाई कर दी थी ।उसी मुद्दे की खीझ मिटाने के लिए भीम आर्मी के बंद का कोई असर बिलासपुर में नजर नहीं आ रहा था, जिसे देखते हुए भीम आर्मी का झंडा लेकर बड़ी संख्या में उनके समर्थक बाजार में निकल पड़े और जबरन दुकानदारों का दुकान बंद कराने लगे। इस दौरान कई दुकानदारों से उनकी झड़प हुई ।जिसके बाद भीम आर्मी समर्थक अनुशासनहीनता पर उतारू हो गए।
बिलासपुर में पूर्णतया फ्लाप हुए बंद को देखते हुए भड़के भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने बाजार में हंगामा मचाना शुरू कर दिया। इसी दौरान धर्म सेना और अन्य हिंदूवादी संगठनों के साथ बंद का विरोध करते हुए रैली निकाली। बंद समर्थक जिस तरह से दुकानदारों को परेशान कर रहे थे उसका विरोध करते हुए धर्म सेना और अन्य युवा दुकानदारों के पक्ष में खड़े हो गए। यह बात भीम आर्मी को नागवार गुजरी और उन्होंने तेलीपारा अजीत होटल के सामने बड़ी संख्या में पहुंचकर धर्म सेना और अन्य हिंदूवादी संगठनों से जुड़े युवाओं पर हमला कर दिया। इनके साथ मारपीट की गई। इस तरह से यह बंद हिंसक हो उठा लेकिन शासन के दबाव के चलते पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी रही और उल्टे बंद का विरोध कर रहे युवाओं पर ही अपराध दर्ज कर लिया।
कोतवाली पुलिस ने करण गोयल, करण सिंह, अमित सिंह, यश अग्रवाल और प्रमोद सिंह के खिलाफ धारा 151 के तहत मामला दर्ज किया है जबकि बंद कराने वालों के साथ पुलिस पूरी तरह खड़ी नजर आई। हैरानी इस बात की होती है कि भीम आर्मी के लोग बिना किसी सूचना के बंद का ऐलान करते हैं। बगैर अनुमति दुकानदारों को जबरन दुकान बंद करने विवश करते हैं ।लोगों के साथ में मारपीट भी करते हैं और कानून के रखवाले उनकी हिफाजत में खड़े नजर आते हैं। इन दिनों देश हित की बात करनाबशायद सबसे बड़ा अपराध बन चुका है ।10 साल के लिए जारी आरक्षण को लागू किए 70 साल हो गए लेकिन जिस उद्देश्य से इसे लागू किया गया था वह पूरा नहीं हुआ। अगर पूरा हो गया होता तो फिर इस तरह से अब भी आरक्षण की मांग में इस तरह हिंसक नहीं होना पड़ता। आरक्षण की मांग, सीएए और काल्पनिक एनआरसी के विरोध के नाम पर जिस तरह से एक बार फिर बिलासपुर में आंदोलन ने हिंसक रूप लिया उससे यह समझना मुश्किल हो रहा है कि संविधान के साथ कौन खड़ा है। संविधान का खिलाफत वाले वे लोग जो संविधान और लोकसभा में पारित कानून का बेवजह विरोध कर रहे हैं या वे लोग जो इस कानून का समर्थन कर रहे हैं।