भूपेश बघेल टीएस सिंहदेव को रोकने सरकार के ढाई साल की उपलब्धि को ढाल बना कर, कर रहे उपयोग ! तो क्या राहुल गांधी न्याय कर पाने सफल होंगे?
1 min readछत्तीसगढ़। प्रदेश की कांग्रेस सरकार में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का मसला अधर में लटक जाने की वजह से कांग्रेस पार्टी के अंदर ही नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी अब एक सोचनीय विषय हो गया है,वहीं प्रशासनिक अधिकारी असमंजस की स्थिति से गुजर रहे हैं और सरकारी फाइलों में किसी तरह का कमेंट लिख ठोस निर्णय लेने से बच रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो वर्तमान में भूपेश सरकार पूरी तरह से अस्थिरता की स्थिति में आ गई है।इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस हालात से निकलने सरकार के अभी तक कि उपलब्धि को ढाल की तरह उपयोग करने कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और वे किसी भी तरह से बचे शेष कार्यकाल के लिए टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनने से रोकने शतरंज की एक चाल चलने से पीछे नहीं हैं। अब सवाल उठता है,क्या राहुल गांधी टीएस सिंहदेव को मौका दिए बगैर यह कैसे तय कर सकते हैं की वे प्रदेश के विकास के पैमाने में खरा नहीं उतरेंगे।जबकि सिंहदेव के द्वारा बनाई गई चुनावी वचन पत्र के बदौलत ही सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त्र हुआ था।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री पद को लेकर ढाई-ढाई साल का कोई फॉर्मूला बना है को लेकर शुरू-शुरू में तो कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ताओं को ही यकीन नहीं होता था। आम जनसमुदाय को भी एक तरह से विश्वास नहीं होता था की ऐसा कुछ तय हुआ होगा। टीएस बाबा को भली भांति जानने वाले यह बात जरूर बोलते रहे कि बाबा झूठ की बुनियाद पर कोई बात नहीं रखते न ही फालतू बात करते हैं न उस पर यकीन रखते हैं। उनकी बातों में लोगों को एक सच्चाई नजर आती रही। बावजूद इस मामले में कांग्रेस का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति खुल कर कभी कोई बात नहीं कही, पर समय के साथ इस मुद्दे को लेकर जिस तरह के हालात बनते गए अब सभी को पूरी तरह से विश्वास हो गया है कि ऐसा कोई फॉर्मूला उसी समय ही तय हो गया था और यह राहुल गांधी के समक्ष उनकी सहमति से तय हुआ था। यह बात हाल ही के दीनों तब और भी स्पष्ट हो गया जब पूरी सरकार को दिल्ली में परेड करने की जरूरत पड़ गई और पूरा देश देख रहा है राहुल गांधी के साथ कई दौर की बैठकें हो रही है।वहीं पार्टी आलाकमान का इस पूरे मामले में कोई अधिकृत बयान न आना और तब से अब तक न आना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अधिकृत घोषणा अभी शेष है और यह जितना विलंभ होगा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को उतना ज्यादा नुकसान होना भी तय है।
इन तमाम हालातों को गौर किया जाए तो छत्तीसगढ़ सरकार में 17 जून 2021को ही नेतृत्व परिवर्तन हो जाना था। इसलिए कि 17 दिसंबर 2018 को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ था। परंतु इस फॉर्मूले में उस वक्त कोरोना संक्रमण का ग्रहण लगा हुआ था। जैसे ही यह ग्रहण हटा ढाई-ढाई साल का योग पुनः अपनी कक्ष में आ गया और आज ढाई माह बाद भी वहीं का वहीं अपने कक्ष में चक्कर लगा रहा है। इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस मिले अतिरिक्त समय का कुर्सी बचाने भरपूर समय मिल गया और आज वे शतरंज की हर चाल चलने पर आमादा हैं। शुरू में अपने कांग्रेस के ही विधायक से भावी मुख्यमंत्री के एक मात्र दावेदार सिंहदेव पर संगीन आरोप लगा कर कीचड़ उछाला गया।
हालांकि यह प्रयास ज्यादा समय तक टिक नहीं सका और विधायक को माफी मांगनी पड़ी।जब इस मामले में लगा कि इससे तो बाबा को दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ में आम लोगों का भी अब सेमपेथी मिलना शुरू हो गया है तो बहुमत के आँकड़ों का खेल शुरू हो गया। राहुल गांधी के किसी अप्रत्याशित घोषणा के डर ने 40 से भी अधिक विधायकों को दिल्ली ले जाकर परेड करानी पड़ी।इस शक्ति प्रदर्शन का ऊपरी सतह पर लाभ होता भी जरूर दिखा पर राहुल गांधी पर कोई असर हुआ नहीं लगा। वजह साफ है कि इसके बाद मुख्यमंत्री बघेल के चेहरे में जो चमक थी वह आज तक गायब है,वहीं टीएस बाबा के चेहरे में जो चमक है वह और भी उभर कर दिखाई देता है। मतलब अभी भी पेंच फंसा है।
राजनीति में कहा जाता है धैर्य जरूरी है और इतना सब कुछ होने के बावजूद टीएस सिंहदेव ने जिस धैर्य का परिचय दिया है वह राजनीति में सक्रिय आज खास कर युवा पीढ़ी के लिए एक जीता जागता उदाहरण है। भूपेश बघेल अब अपने नए पैतरे पर चल रहे हैं।वे अब अपने कार्यकाल में किये सरकार के विकास कार्य व उपलब्धि को अश्त्र की तरह इसे ढाल बना कर उपयोग कर रहे हैं और बदली हुई परिस्थि में राहुल गांधी को एक ही बात बताई जा रही है कि हमने इन ढाई साल में विकास बहुत किये। नई नई योजना ला कर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं। नेतृत्व परिवर्तन हुआ तो विकास अवरुद्ध हो जाएगा। दोबारा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में नहीं आ पाएगी। राहुल गांधी को पूरे बस्तर का सैर करा कर उनका माइंड वाश करने की तैयारी है। इसके बाद भी कहीं न कहीं मन में संतुष्टि नजर नहीं आ रही है,तो राहुल गांधी के जम्मू दौरे के बीच विकास की बयां करने का भी एक संयोग ढूंढ निकाल लिया गया।
बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल अपने फेस बुक में जम्मू में छत्तीसगढ़ के जिस वर्मा परिवार की राहुल गांधी से संयोग से मुलाकात हुई तस्वीर और उसी व्यक्ति भागवत वर्मा जिनको 11 जून 2021 को सरकारी अधिकारी मुख्यमंत्री से वर्चुअल बैठक के लिए लेकर आये थे की तस्वीर को शेयर कर लिखते हैं,वही भागवत वर्मा का वैष्णव देवी की यात्रा में अचानक राहुल गांधी से टकराना और दोनों जगह राज्य की गोबर योजना की जम कर तारीफ एक संयोग कैसा। सूत्रों से मिली पुष्ट खबर ये भी जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री बघेल का एक करीबी युवा व्यवसाई पिछले दिनों दिल्ली में प्रशांत किशोर से मुलाकात कर उनसे राहुल गांधी को सिफारिश करने की गुहार लगाई है।
कहा जा रहा है कि उक्त व्यवसाई ने पीके से कहा,भूपेश बघेल कितना अच्छा काम कर रहे हैं इसे आप राहुल गांधी को अपने भाषा में समझाइये ताकि नेतृत्व परिवर्तन को टाला जा सके। बताया जाता है कि उक्त युवा व्यवसाई की भूमिका सरकार में कैबिनेट मंत्री से भी कहीं ज्यादा की है। हालांकि इसका पीके पर कितना असर हुआ और राहुल गांधी तक यह बात पहुंची या नहीं का कोई अपडेट नहीं मिल सका। बहरहाल इस पूरे प्रकरण में गौर करने वाली बात ये है कि नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जब ढाई-ढाई साल की बात हुई थी तब विकास कोई मुद्दा नहीं था। सिर्फ आधे-आधे कार्यकाल को लेकर सहमति बनी थी और जब दूसरे को मौका अभी मिला ही नहीं है तो आप कैसे कह सकते हैं कि वे वर्तमान से कम साबित होंगे। हो सकता है बाबा अपने कार्यों से और भी नए आयाम के साथ कीर्तिमान स्थापित करें।