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October 17, 2024

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प्रदेश से बड़ी खबर… दुर्लभ राजकीय पशु वनभैंसा के वंश बढ़ाने की वन विभाग की कवायद पर लगा ब्रेक

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  • न्यूज रिपोर्टर, शेख़ हसन खान
  • उदंती की खुशी की मौत से पुरा वन विभाग में मातम, पहुंचे आला अफसर

मैनपुर। तेजी से विलुप्त हो रही वनभैंसा को छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद इसकी घटती संख्या और दुर्लभता को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे राज्य पशु का दर्जा दिया। वनभैंसा को राजकीय पशु का दर्जा देने के साथ ही गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर के उदंती अभ्यारण्य में सन् 2007 में लगभग 30 हेक्टेयर जंगल को चारो तरफ से बड़े बड़े लोहे के पोल और तारों से घेरकर वनभैसा संरक्षण संवर्धन केन्द्र बनाया गया है और इस वनभैसा संरक्षण केन्द्र में 06 नर वनभैंसों के साथ एक मात्र उदंती अभ्यारण्य में बची मादा वनभैसा को रखकर को संरक्षण और संवर्धन के साथ वन विभाग द्वारा इनके वंश बढाने के लिए लगातार प्रयास किये जाते रहे हैं और तो और इस कार्य में लाखों करोडों रूपये पानी की तरह खर्च किया जा रहा है। उदंती अभ्यारण्य में एक मात्र मादा वनभैंसा जिसका नाम खुशी थी महज 06-07 वर्ष की बीते बुधवार रात को इस एक मात्र मादा वनभैंसा की मृत्यु हो गई। एक मात्र मादा वनभैसा की मौत होने की जानकारी लगते ही पुरे प्रदेश भर के वन अफसरों में हडकंप मच गया।

आज गुरूवार को सुबह से प्रदेश स्तर के वन अफसर से लेकर स्थानीय वन अधिकारी तक दिनभर उदंती अभ्यारण्य पहुंचते रहे और वन अफसरों की उपस्थिति में तीन डाॅक्टरों की टीम इसमें रायपुर से डाॅक्टर राकेश वर्मा, डाॅ सोमेश जोशी और डब्लू टी.आई.नई दिल्ली के डाॅक्टर आरपी मिश्रा द्वारा मृत मादा वनभैसा खुशी का पोस्टमार्डम कर विधिवत उसे दफनाया गया है। वन विभाग के अफसराें के द्वारा इस मादा वनभैसा की मौत को स्वभाविक मौत बताया जा रहा है। साथ ही पोस्टमार्डम रिर्पोट के आने के बाद ही आगे कुछ कहने की बात कही जा रही है।

बहरहाल एक मात्र मादा वनभैसा खुशी के मौत ने पुरे वन विभाग के साथ प्रदेश के वन्य प्राणी प्रेमियो में मातम की लहर देखने को मिल रहा है, उदंती अभ्यारण्य में वनभैसों के वंश के कवायद खुशी के मौत के बाद अब ब्रेक लग गई, जो पुरे प्रदेश के लिए एक बहुत बडी क्षति बताया जा रहा है।

ज्ञात हो कि गरियाबंद जिला के तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 40 किलोमीटर दुर दक्षिण उदंती अभ्यारण्य के कक्ष क्रमांक 82 में लगभग 30 हेक्टेयर जंगल को चारो तरफ से घेरकर रेस्क्यू सेंटर वनभैसा संरक्षण संवर्धन केन्द्र बनाया गया है। और इस संरक्षण संवर्धन केन्द्र में वंन भैंसों के वंश बढाने के लिए समुचित पानी, चारा, तालाब, व तमाम तरह की व्यवस्था की गई। संरक्षण संवर्धन केन्द्र में वनभैसा छोटू, मोहन, वीरा, सोमू, आंनद, प्रिंस जो नर वनभैसा है। इसके साथ एक मात्र खुशी मादा वनभैसा को रखकर प्रजनन करवाकर वन विभाग द्वारा प्रदेश में व देश के भीतर लगातार घटती वनभैंसों की संख्या बढाने का प्रयास किया जा रहा था, जिसके लिए विभाग द्वारा वन विभाग का एक बडा अमला भी तैनात किया गया है, वनभैसों के देखभाल के लिए टेकर व तमाम तरह की सुविधाए उपलब्ध कराई गई है, लेकिन एक मात्र मादा वनभैसा खुशी के आज मौत के बाद लगभग वन विभाग के सारे प्रयास जो वनभैंसों के वंश बढाने के लिए किया जा रहा था उस पर अभी तो ब्रेक लग गया है।

सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार उंदंती अभ्यारण्य में अब मात्र 07 नर वनभैसा बचे है जिसमें 06 वनभैंसे बाडे के अंदर कैद है और एक मात्र राजा खुले जंगल में स्वंतत्र विचरण कर रहा है, एक वनभैसा प्रिंस को आंख में खराबी के चलते वह हमेंशा बीमार रहता है। वन विभाग सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार खुशी एक मात्र मादा वनभैसा की तबियत पिछले एक सप्ताह से खराब चल रही थी। वह काफी सुस्त होकर घंटो एक जगह बैठे रहती थी। चलने फिरने में भी उसे तकलीफ हो रही थी, जिसकी जानकारी लगते ही उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक आयुष जैन के नेतृत्व में पिछले चार दिनों से डाॅक्टरों के द्वारा ईलाज किया जा रहा था, बुधवार 25 अगस्त की रात लगभग 12 बजे के आसपास मादा वनभैसा खुशी की मौत हो गई जिसकी जानकारी आज सुबह जैसे ही वन विभाग के अफसरों को लगा हडकंप मच गया। सुबह से राजधानी रायपुर से लेकर गरियाबंद जिला मुख्यालय व स्थानीय वन विभाग के अफसर, अधिकारी कर्मचारी उदंती अभ्यारण्य पहुचते रहे, खुशी मादा वनभैसा का तीन डाॅक्टरों के द्वारा अधिकारियों की उपस्थिति में पोस्टमार्डम किया गया , और उसे उदंती अभ्यारण्य के कक्ष क्रमांक 82 में ही विधिवत दफनाया गया है, साथ ही पोस्टमार्डम रिर्पोट का इंतजार किया जा रहा है।

वनभैंसा संरक्षण संवर्धन केन्द्र में 09 अगस्त को नक्सलियों ने किया था तोड़फोड और आगजनी

ज्ञात हो कि बीते 09 अगस्त 2021 को उदंती अभ्यारण्य कक्ष क्रमांक 82 वनभैसा संरक्षण संवर्धन केन्द्र में नक्सलियों के द्वारा उसके मुख्य गेट में आगजनी भी किया गया था, साथ ही तोडफोड किया गया था, और बनैर भी लगाया गया था, साथ ही पुलिस द्वारा बैनर पोस्टर को जब्त भी किया गया था।
संसदीय सचिव चन्द्रदेव राय तीन माह पहले पहुचे उदंती अभ्यारण्य के संरक्षण संवर्धन केन्द्र
छत्तीसगढ शासन के वन परिवाहन आवास एंव पर्यावरण विधि एंव विधायी कार्य संसदीय सचिव चन्द्रदेव राज लगभग तीन माह पहले उदंती अभ्यारण्य के इस संरक्षण संवर्धन केन्द्र का निरीक्षण करने पहुंचे थे। साथ ही वन विभाग के अफसरों को वनभैसों के संरक्षण और संवर्धन तथा उनके चारा पानी को लेकर विशेष दिशा निर्देश दिया गया था। संसदीय सचिव चन्द्रदेव राय ने कहा थी राजकीय पशु वनभैसा हमारे प्रदेश का विरासत है और इनके संरक्षण और संवर्धन में कोई कमी नही आना चाहिए,तथा आवश्यक दिशा निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिया था। उन्होने खुशी वनभैसा के साथ अपना सेल्फी बाडे के बाहर से भी लिया था।
क्या कहते है उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक आयुष जैन ने बताया कि बीते बुधवार रात को लगभग 12 बजे के आसपास उदंती अभ्यारण्य में बचे एक मात्र मादा वनभैसा की मौत हो गई, अब उदंती अभ्यारण्य में सिर्फ नर वनभैसा बचे है जिनकी संख्या 07 है, उन्होने कहा कि मादा वनभैसा की तबियत पिछले दो दिनों से खराब थी, जिसका उपचार किया जा रहा था। ये स्वभाविक मौत है और मादा वनभैसा का उपचार किया जा रहा था। बुधवार रात को लगभग 12 बजे उसकी मौत हो गई आज अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी अनुप विश्वास एंव वन विभाग के अफसराें, अधिकारी कर्मचारियाें की उपस्थिति में पोस्टमार्डम किया गया है। सेम्पल एकत्र कर जांच के लिए भेजा रहा है। पोस्टमार्डम रिर्पोट आने के बाद भी आगे कुछ बता पायेंगे। उन्होंने कहा कि यह वन विभाग के साथ पुरे प्रदेश के लिए एक बडी क्षति है।
आयुष जैन उपनिदेशक उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व

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