17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ भाजपा ने किया सामाजिक अन्याय-विशम्भर प्रसाद निषाद
1 min readमझवार, तुरैहा, गोड़, शिल्पकार, पासी तड़माली के आरक्षण के सवाल पर 11 दिसम्बर को संसद का घेराव
लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान प्रेक्षागृह, गोमती नगर लखनऊ में राज्य सभा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद के मुख्य आतिथ्य, पूर्व सांसद/पूर्व मंत्री शंखलाल मांझी की अध्यक्षता व राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटन राम निषाद के संयोजकत्व में निषाद, बिन्द, कश्यप, राजभर, प्रजापति सहित 17 अतिपिछड़ी जातियों के प्रतिनिधियों का चिन्तिन शिविर भारतीय मछुआ महासंघ व राष्ट्रीय निषाद संघ के बैनर तले सम्पन्न हुआ। जिसमें अनुसूचित जाति में शामिल मझवार, तुरैहा, गोड़, शिल्पकार, पासी, तड़माली को परिभाषित कर इनकी पर्यायवाची/वंशानुगत नाम की मल्लाह, केवट, मांझी, मछुआ, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, गोड़िया, तुरहा, रायकवार, भर, राजभर, कुम्हार, प्रजापति आदि को चमार/जाटव, वाल्मीकि आदि की भांति अनुसूचित जाति के आरक्षण की सुविधा दिये जाने की मांग को लेकर आगामी 11 दिसम्बर को जन्तर- मन्तर पर धरना प्रदर्शन व संसद घेराव का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में 21 दिसम्बर, 2016 को मझवार जाति का प्रमाण पत्र निर्गत करने व 22 दिसम्बर व 31 दिसम्बर, 2016 को 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल इनकी मूल जातियों के नाम से प्रमाण-पत्र जारी करने का शासनादेश किया गया था। लेकिन भाजपा की सरकार ने वायदा खिलाफी करते हुए इन जातियों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया है।
राज्य सभा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद ने कहा कि अखिलेश यादव जी की सरकार ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को क्लीयरीफाई करते हुए जाति प्रमाण-पत्र जारी करने का शासनादेश कराया था। डाॅ0 बी0आर0 अम्बेडकर पुस्तकालय एवं जनकल्याण समिति गोरखपुर की याचिका पर मा0 उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी 2017 को स्टे आर्डर दिया था। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने 29 मार्च 2017 को स्टे वैकेट कर दिया। भाजपा की सरकार बनने के बाद योगी सरकार ने प्रमाण-पत्र निर्गत किये जाने का आदेश नहीं किया। बृजेन्द्र कश्यप की जनहित याचिका के अन्तरिम निर्णय के आधार पर न्यायालय में मझवार आदि जातियों का प्रमाण-पत्र जारी करने का आदेश दिया, के बावजूद भी योगी सरकार ने उचित कदम नहीं उठाया। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पुनः प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए कड़ा रूख अपनाया तो योगी सरकार ने आदेश न कर सुनियोजित साजिश के तहत अनुच्छेद-341 का उल्लंघन करते हुए अनुसूचित जाति में शामिल करने का शासनादेश कर दिया और न्यायालय में पैरवी न कर अपने ही आदमी से स्टे करा दिया। उन्होंने कहा कि निषाद राज ने राम की नैया का पार लगवाया परन्तु राम भक्त बनने वाले भाजपाईयों ने निषाद राज के वंशजों के साथ सामाजिक अन्याय किया। पूर्व लोक सभा सांसद रमाशंकर विद्यार्थी राजभर ने 17 अतिपिछड़ी जातियों से एक जुट होकर सरकार को मजबूर करने का आहवान करते हुए कहा कि इन्हीं जातियों ने धर्म की घुट्टी पीकर भाजपा को जिताया और भाजपा ने इनके साथ इन्साफ न करते हुए इन्हें अन्याय का शिकार बना दिया। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटन राम निषाद ने कहा कि समाज का नेतृत्व करने वाले लोगों की समाज से दूरी के कारण समाज सामाजिक-राजनीतिक अन्याय का शिकार हो रहा है। सामाजिक न्याय व मझवार, तुरैहा, गोड़, पासी, तड़माली व शिल्पकार को परिभाषित कराने के लिए करो या मरो की तर्ज पर सड़कों पर उतर कर संघर्ष करने की जरूरत है। अपने अहम का परित्याग कर सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ना जरूरी है। निषाद, बिन्द, कश्यप, राजभर, प्रजापति समाज चिन्तिन शिविर को भारतीय मछुआ महासंघ के अध्यक्ष पूर्व सांसद शंखलाल मांझी, विधान परिषद संदस्य राम जतन राजभर, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद, पूर्व विधायक ओम प्रकाश वर्मा, राम कुमार निषाद एडवोकेट, मनीषा दीपक, पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री अच्छे लाल, सत्यवीर प्रजापति, उदयवीर सिंह कश्यप, सुनील निषाद, विजय कश्यप, श्याम नारायण बिन्द, अंशुरानी निषाद, स्नेह लता निषाद, डाॅ0 जसवंत सिंह निषाद, रमेश चन्द्र साहनी, लोक नाथ बिन्द, अमर सिंह कश्यप, बी0 लाल बिन्द, महेन्द्र निषाद एडवोकेट, गजेन्द्र निषाद, आर0डी0 निषाद, योगेश वर्मा, गुरूज लाल राजभर, रामजीत निषाद, राजेश साहनी,तारकेश्वर प्रजापति,अभिषेक रैकवार आदि ने भी सम्बोधित किया।संचालन इंद्रप्रकाश कश्यप एडवोकेट ने किया।