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October 18, 2024

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गंगापुत्र निषादवंशियों को भाजपा अन्याय का शिकार बनाने की कसम खाई है-लौटनराम निषाद

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BJP has vowed to make it a victim of injustice - Lautanram Nishad

26 नम्बर को संविधान दिवस पर सामाजिक अन्याय दिवस का आयोजन करेगा निषाद संघ
 लखनऊ। अतिपिछड़ी जातियों-निषाद, मछुआ, मल्लाह, केवट, मांझी, धीवर, धीमर, कश्यप, कहार, गोड़िया, तुरहा, रायकवार, बिन्द, भर, राजभर, कुम्हार, प्रजापति आदि को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रस्ताव को वापस लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने इन जातियों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया। उक्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद  ने आज यहां कहा कि अखिलेश यादव की सरकार ने 10 अगस्त, 1950 में अनुसूचित जाति की सूची में शामिल मझवार, तुरैहा, बेलदार, गोड़, शिल्पकार के साथ उक्त 17 अतिपिछड़ी जातियों को परिभाषित करने का 22 व 31 दिसम्बर, 2016 को शासनादेश किया था। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश के बाद मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने 29 मार्च 2017 को स्टे वैकेट कर दिया था। 12 फरवरी, 2019 के अन्तरिम निर्णय के अनुसार योगी सरकार को प्रमाण पत्र बनाने का आदेश करना चाहिए था लेकिन साजिश के तौर पर योगी सरकार ने नये सिरे से शासनादेश किया था जो संविधान सम्मत नहीं था। भाजपा के कार्यकर्ता द्वारा ही इसे स्थगित भी करा दिया गया।

BJP has vowed to make it a victim of injustice - Lautanram Nishad
निषाद ने कहा है कि राम की वनवासकाल में मदद करने व उनको गंगापार कराने वाले निषादराज के वंशजों को भाजपा सामाजिक अन्याय का शिकार बनाने की कसम खाई है। योगी सरकार ने एक-एक कर निषाद समाज के अधिकारों को छीनने व सामाजिक-राजनीतिक अन्याय का कदम उठा रही है। आगामी 26 नवम्बर को राष्ट्रीय निषाद संघ संविधान दिवस के अवसर पर सामाजिक अन्याय दिवस का आयोजन करने का निर्णय लिया है। ई-टेण्डरिंग की व्यवस्था कर योगी सरकार ने निषाद मछुआरों के परम्परागत बालू मौरंग खनन के अधिकार को छीना। 5 अप्रैल को महाराज गुहराज निषाद व कश्यप )षि जयन्ती के सार्वजनिक अवकाश को खत्म कर, मछुआ आवास योजना को निष्प्रभावी बनाकर निषाद विरोधी होने का प्रमाण प्रस्तुत किया है। 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण प्रस्ताव को वापस लेकर योगी ने अपने ही वायदे को लात मारने व वायदा खिलाफी करने का काम किये हैं। मां गंगा को सार्वजनिक तौर पर मत्स्या खेट व शिकार माही हेतु नीलाम करना निषाद मछुआरों को परम्परागत पुश्तैनी पेशे से वंचित करने के साथ भारतीय संस्कृति को कलंकित करने का बेतुका व तुगलकी फरमान है। अब बचा खुचा मत्स्य पालन का पेशा छीनने के लिए तालाबों, झीलों व जलासयों का पट्टा खत्म करने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया। भाजपा संघ के इसारे पर पिछड़ों, दलितों, परम्परागत पेशेवर जातियों व मूल निवासियांे को सामाजिक अधिकारों व संविधानिक अधिकारों से वंचित करने के काम में जुटी हुयी है। निषाद ने कहा कि राष्ट्रपति की प्रथम अधिसूचना में उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जातियों की सूची मेें मझवार, तुरैहा, गोड़, बेलदार, शिल्पकार आदि शामिल किये गये।  सेन्सस-1961 के अनुसार मांझी, मल्लाह, केवट, राजगौड़, गोड़, मझवार व मुजाबिर को मझवार की पर्यायवाची जाति माना गया है। इसी सेन्सस में चमार, जाटव, धुसिया, झुसिया की पर्यायवाची जाटवी, अहिरवार, दबकर, मोची, कुरील, जायसवार, नीम,अहिरवार, पिपैल, कर्दम, दोहरा, दोहरे, दोहर, रविदसिया, रैदासी, शिवदसिया, उतरहा, दखिनहा,भगत,चमकाता,रैगर आदि माना गया है और उक्त को निर्बाध रूप से चमार या जाटव का प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है। मल्लाह, मांझी, केवट, राजगौड़ आदि को मझवार जाति का प्रमाण-पत्र जारी न करना संविधान के अनुच्छेद-14 का स्पष्ट उल्लंघन है।निषाद ने बताया कि भाजपा ने विधान सभा चुनाव-2012 में उक्त 17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ नोनिया, लोनिया, चौहान, बंजारा आदि को भी अनुसूचित जाति में शामिल करने व मछुवारों का परम्परागत पुश्तैनी पेशा बहाल करने का वायदा किया था। यहीं नहीं 5 नवम्बर, 2012 को देश भर से दिल्ली के मावलंकर आडिटोरियम में इकट्ठा निषाद/मछुवारा प्रतिनिधियों के सम्मेलन में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी व सुषमा स्वराज ने फिशरमेन विजन डाक्यूमेन्टस जारी करने हुए संकल्प लिया था कि केन्द्र मेें भाजपा की सरकार बनने पर निषाद मछुआरा समाज की आरक्षण की विसंगति को दूर कर सभी जातियों को एस0सी0 या एस0टी0 का लाभ दिया जायेगा। लेकिन भाजपा ने वायदा खिलाफी किया। जब योगी सांसद थे तो कई बार संसद में इन जातियों को एस0सी0 में शामिल करने का मुद्दा उठाये लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद इन जातियों के आरक्षण में अवरोध उत्पन्न करने व अधिकारों से वंचित करने के काम में जुट गए। आज तो राज्य व केन्द्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है तो इन जातियों को सामाजिक न्याय व अनुसूचित जाति का आरक्षण देने में देरी क्यो? गंगापुत्रों ने इनके झूठे वायदे में आकर भाजपा की चुनावी नैया को पार लगाया परन्तु भाजपा ने छल फरेब, कपट की राजनीति करते हुए इन जातियों के साथ वायदा खिलाफी किया। विधान सभा चुनाव 2022 में गंगापुत्र भाजपा की  चुनावी नैया को डुबा कर बदला लेंगे।

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