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October 17, 2024

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मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने मैनपुर, देवभोग क्षेत्र के हीरा खदान में लगे अदालत के स्टे को लेकर लिया बैठक

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  • गरियाबंद जिले के लोगों में जल्द हीरा उत्खनन को लेकर देखने को मिल रही है उत्साह
  • छत्तीसगढ़ का पायलीखण्ड और बेहराडीह हीरा खदानो की सुरक्षा भगवान भरोसे
  • अरबो खरबों की सम्पति के लिए एक भी चौकीदार नही हो रही है लगातार चोरी छिपे अवैध उत्खनन
  • देश के भीतर पायलीखण्ड और बेहराडीह ऐसा हीरा खदान यहा बेरोकटोक होती है खुदाई कोई रोकने वाला भी नही
  • बारिश के दिनो में नदी नालो में बाढ का फायदा उठाकर ओडिसा, महाराष्ट्र के तस्करो के द्वारा हर वर्ष करवाई जाती है हीरा खदानो में जमकर अवैध उत्खनन
  • शेख हसन खान, गरियाबंद

मैनपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश के बहुचर्चित हीरा खदान एक बार फिर चर्चा में आ गया है, क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल रविवार को न्यास मद की राज्य स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में स्वंय मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने मैनपुर देवभोग क्षेत्र के हीरा खदान को लेकर चर्चा किया और उन्होने अधिकारियो को निर्देश दिया है कि इस हीरा खदान को लेकर अदालत मे जो स्टे लगा है उसे हटाने की कार्यवाही करें जिससे हीरा खदान विधिवत रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया की जा सके।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ राज्य निर्माण के बाद से क्षेत्र के लाखों जनता के साथ पुरे प्रदेश के लोगों को इस हीरा खदान की सरकारी रूप से दोहन का इंतजार है क्याेंकि हीरा खदान का यदि सरकारी रूप से दोहन किया जाये तो इससे मिलने वाली राजस्व से जंहा एक ओर इस क्षेत्र व जिला की तकदीर और तश्वीर बदलेगी साथ ही क्षेत्र के हजारों बेरोजगार युवको को रोजगार मिलेगा तो पुरे प्रदेश को इस हीरा खदान से विकास की उम्मीद बंधी है। भाजपा के कार्यकाल में पुरे 15 वर्षो के भीतर हीरा खदान को लेकर अदालत में लगे स्टे पर सुनवाई नही हुई अब छत्तीसगढ में मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के द्वारा स्वंय हीरा खदान मैनपुर और देवभोग क्षेत्र को लेकर उनके द्वारा गंभीरता दिखाये जाने से क्षेत्र के लाखों लोगो में विकास की उम्मीद देखने को मिल रही है।

न्यायालय में मामला होने के कारण छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 22 वर्षों बाद भी दोहन शुरू नहीं हो पाया

छत्तीसगढ़ प्रदेश के घने जंगलो वाले बेहराडीह, पायलीखंण्ड के हीरा खदानो से सरकार भले ही अब तक हीरा निकाल नही पाई है, लेकिन अवैध खुदाई करने वाले यहा बेरोकटोक समय बेसमय हीरा खुदाई कर रहे हैैं। और हीरा की अवैध खुदाई की पुष्टि स्वंय प्रशासन द्वारा किया जा रहा है बता दे पिछले डेढ दो वर्षो के भीतर इन हीरा खदानों से निकाले गये लगभग 1316 नग हीरा को तस्करों से गरियाबंद पुलिस ने बरामद किया है, जिसकी कीमत करोडो रूपये आंकी गई है। गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखण्ड अंतर्गत हीरा खदान बेहराडीह और पायलीखंण्ड के घने जंगलों में हीरा खदानों का जायजा लिया मैनपुर से महज 13 किलोमीटर दुर में बेहराडीह हीरा खदान है। और मैनपुर से 42 किलोमीटर की दुरी पर पायलीखंण्ड हीराखदान है पायलीखंण्ड हीरा खदान गांव से पहले इद्रावती नदी गुजरती है जिसमें उदंती नदी भी शामिल है। पायलीखंण्ड और बेहराडीह दोनो हीरा खदान विश्व के सर्वोत्तम हीरा जनित खदानो में जाना जाता है, आस्टेलिया से पहुंचे वैज्ञानिकों इन हीरा खदानो में किम्बर लाईट पाईप होने की पुष्टि की है। किम्बर लाईट पाईप उसे कहते है जिसमें चारो तरफ हीरा चिपका रहता है, और वैज्ञानिकों के अनुसार जंहा इन खदानो में एक दर्जनों से ज्यादा किम्बर लाईट पाईप होने की बात परीक्षण के बाद बताई गई है, बेहराडीह, पायलीखंण्ड का हीरा विश्व का सबसे बेश कीमती हीरा है यहा के खदान देश के बडे हीरा खदानेा में जाना जाता है, पर यह देश की ऐसी हीरा खदान है जिसकी कोई सुरक्षा नही है , जिसके चलते लगातार अवैध खुदाई के कारण यह खदान लुटने के कगार पर है।

जानकारों के मुताबित पायलीखंण्ड और बेहराडीह में इतना हीरा भरा पडा हुआ है की सरकार उसका दोहन कर पुरे प्रदेश का विकास कर सकती है पर हीरा खदान का मामला न्यायालय में चलने के कारण आज तक इन हीरा खदानो के सरकारी तौर पर दोहन कार्य प्रारंभ नही हो पाया है छत्तीसगढ राज्य निर्माण के 22 वर्ष बाद भी इन हीरा खदान के मामलो में अब तक कोई फैसला नही आया है। इस सबंध में उस समय जब बी विजय कुमार कंपनी द्वारा हीरा खदान की सर्वे कार्य किया जा रहा था, तो उनके वैज्ञानिको से हमारे प्रतिनिधि ने चर्चा किया था, वैज्ञानिको का कहना था कि दक्षिण अफ्रीका के प्रसिध्द हीरा खदान के बाद पायलीखण्ड और बेहराडीह का यह हीरा खदान है, जंहा अधिक मात्रा में बाहुमूल्य हीरे भंडारित है इस सबंध में अर्थशास्त्रियों का भी कहना है हीरा खदान से छत्तीसगढ प्रदेश को इतना आय हो सकती है, कि पुरे छत्तीसगढ प्रदेश का चार साल का बजट का संचालन सिर्फ इसी हीरा खदान से किया जा सकता है, और खासकर बारिश के दिनो में इन हीरा खदानो में हर वर्ष जमकर अवैध खुदाई के मामले सामने आते है, क्योंकि हीरा खदान पहुचने से पहले इंद्रावती उंदती नदी को पार करना पडता है और इस नदी में बाढ का लाभ उठाकर ओडिसा तथा महाराष्ट्र के तस्करों द्वारा जमकर हीरा की अवैध खुदाई करवाया जाता है।

पायलीखण्ड बेहराडीह हीरा खदान की सुरक्षा भगवान भरोसे

बेहराडीह और पयलीखंड हीरा खदान की सुरक्षा पिछले कुछ वर्षो से भगवान भरोसे हैं, विकासखंड मैनपुर के अंतर्गत बेहराडीही और पायलीखंड के हीरा खदानों का पता आमजनों के माध्यम से प्रशासन को लगभग 30 -35 वर्ष पूर्व छ.ग. राज्य निर्माण के पहले अविभाजित मध्य प्रदेश राज्य के जमाने में लगा था तब भी ईलाके में हीरा तस्करी के लंबे फेहरिस्त की गुंज भोपाल तक पहुंची थी तब इस मामले पर तत्परता बरतते हुए तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के निर्देश पर जहां जंगल के हीरा मिलने वाले संभावित एक बडे हिस्से को तार के बाडों से घेर कर सुरक्षित किये जाने का प्रशासनिक उपाय किया गया तो वहीं जांगडा पायलीखड में हीरा खदान की सुरक्षा के लिए बीएसएफ की कंपनी तैनात कि गई थी और खनिज विभाग ने बकायदा चौकीदार नियुक्त किया था दूसरी तरफ वन संरक्षित क्षेत्र बेहराडीही में वन प्रशासन चौकीदारों को तैनात कर सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहा था उस दौर में खनिज विभाग के अफसर व वन प्रशासन के जिम्मेदार लोग इन हीरा खदानों की सुध लिया करते थे किन्तु बितते वक्त के बीच हीरा खदानों को लेकर दिलचस्प राजनैतिक प्रशासनिक रस्साकशी के बीच हीरा खदान की सुरक्षा व इन खदानों के स्वामित्व को लेकर बडा भुचाल देखने को मिला जब तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने इन हीरा खदानों को बहुराष्ट्रीय कंपनी डिवियरस को सौंपने का फैसला लिया था। फैसले के पूर्व मुख्यमंत्री स्वः अजीत जोगी ने इसका विरोध करते हुए इन हीरा खदानों को राष्ट्रीय कंपनियों को सौपे जाने की वकालत की थी बदले परिद्श्य में बेहराडीही व पायलीखण्ड की हीरा खदानों के पूर्वेक्षण व सर्वेक्षण का ठेका बी विजय कुमार कंपनी को सरकार ने सौपा किन्तु इस कंपनी के कार्यो को लेकर उठे सवालों के बीच मामला अब तक वर्षो से न्यायालयों में लंबित हैं।

हीरा खदान से 2006 -07 से हटा दिया गया सुरक्षा

जानकारों के अनुसार इलाके में वर्ष 2006 -07 में नक्सलियों के आमदरफ बढने के बीच जहां पयलीखंड जांगडा से बीएसएफ की कंपनी को खदान की सुरक्षा से वापस बुला लिया गया तो वहीं दूसरी तरफ बेहराडीह हीरा खदान की सुरक्षा से वन प्रशासन हाथ खडे करते हुए अपने चौकीदारों को वर्षो पहले हटा दिया है, तब से ये दोनों हीरा खदानों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं और सुरक्षा के अभाव में इन दोनों हीरा खदानों में अवैध खुदाई बहुत बडे पैमाने पर लगातार समय समय पर होने की जानकारी आती रहती है।
हीरा के तलबगारो ने पहाड़ों और सुरक्षा चौकी तक को खोद डाला
हीरा खदान में अवैध खुदाई की इंतिहा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि जंगल की नदियों और पहाडों तक को खोदने से हीरे के लुटेरों ने नहीं बख्शा हैं, अवैध खुदाई के बेरोकटोक के चलते आलम यह हैं कि समूचा वन क्षेत्र गढ्ढों में तब्दील हो गया है। हीरा जनित क्षेत्र के वृक्षों की जडों तक की 05 से 10 फिट तक की मिट्टी हीरे की तलबगार निकाल ले गये हैं,फिलहाल सुरक्षा के लिए लगाये गये तार के बाडों को अवैध खुदाई करने वाले लोग जगह जगह तोड फोड कर नष्ट कर दिये हैं और तो और सुरक्षा चौकी की नीव तक इन खुदाई से बच नहीं पाई हैं। हालाकि इन खदानों के स्वामित्व व विदोहन कौन करेगा इस पर देर सबेर न्यायालय फैसला करेगी किन्तु तब तक इस खुले खजाने को लूटने से बचाने की जिम्मेदारी तो सरकार की बनती ही हैं।

खदानो में सर्वेक्षण का काम हुआ बहुत
स्थानीय लोगो का मानना है कि हीरा खदान में सर्वेक्षण का काम बहुत हो चुका है सर्वेक्षण के नाम पर हीरा खदान क्षेत्र से काफी मात्रा में मिटटी विदेश तक भेजी गई है, लेकिन मिट्टियों का क्या रिर्पोट आया इसे विभाग द्वारा अब तक सार्वजनिक नही किया गया। इन सवालो के जवाब आज भी क्षेत्र की जनता शासन प्रशासन से मांग रही है। अब क्षेत्र के लोग जल्द से जल्द हीरा खदान में शासकीय तौर पर खुदाई करने की मांग करने लगे हैं, जिससे इस क्षेत्र की भी तकदीर और तश्वीर बदल सकती है।

क्या कहते है पुलिस अधीक्षक गरियाबंद

इस सबंध में चर्चा करने पर गरियाबंद जिला के पुलिस अधीक्षक जे.आर. ठाकुर ने चर्चा में बताया कि पिछले एक डेढ वर्षो में गरियाबंद जिला के पुलिस ने 1316 से नग से ज्याद हीरा तस्करो से बरामद किया है, जिसकी अनुमानित लागत करोडों रूपये के आसपास है। उन्होंने आगे बताया कि बेहराडीह और पायलीखण्ड हीरा खदान में सुरक्षा के लिए स्थाई रूप से कोई कंपनी तैनात नहीं है लेकिन बीच बीच में सी.आर.पी.एफ, पुलिस बल लगातार हीरा खदानों में पहुचकर निरीक्षण करती है और गश्त किया जाता है।

जे.आर ठाकुर पुलिस अधीक्षक गरियाबंद