जन्म देने वाले बुजुर्ग पिता के सिर से बच्चों ने ही छिन लिया छाया
1 min readबेसहारा छोड़ दर-दर भटकने के लिए अकेला छोड़ दिया
राउरकेला। गोद में संतान का जन्म होते ही माता-पिता के चहरे पर खुशियों क ा ठिकना नहीं रहता। खुशी से उनका पैर और जमी पे नहीं रहती। संतान के जन्म होने के दिन से लेकर बड़े होने तक संतान का सभी जरूरतों से लेकर जिद्ध पुरा करने में माता-पिता जुट जाते हैं। ऐसे में सभी माता-पिता का एक ही सपना होता है उनका यह पुत्र उनके बुढ़ापे क ा सहारा बने। ऐसा ही एक दृश्य स्थानीय प्लांट साइन थाना के अंतर्गत बनिया गेट अंचल के रहने वाले योगेंद्र पंडा क ा उनके संतानों पर भरोसा था। मगर उस बुर्जुग योगेंद्र पंडा के सपनों को चकनाचूर कर दिया उनके पुत्रों ने। हर तरह का यातनायें देने के बाद अब उनके सिर से छात भी छिन लिया उन कलयुगी संतानों ने। उसे बेसहारा छोड़ दर-दर भटकने के लिए अकेला छोड़ दिया।1961 के दशक में योगेंद्र श्री पंडा अपने गांव छोड़कर रोजगार की तलाश में राउरकेला शहर की ओर आये। उन्होंने पूजा पाठ को ही अपनी जीविका मानकर उद्योगपति तथा कारोबारियों के यहां पूजापाठ कर अपना तथा अपने पविार का पेट पाला करते थे। पूजापाठ से जो भी कमाई होती थी उतने में रूखा-सुखा खाकर अपने परिवार के साथ खुशी से दिन गुजारा करते थे।
परिवार में उनका पत्नी तथा दो पुत्र व दो पुत्री है। पत्नी आधे सफर में ही उन्हें छोड़कर परलोक सिधार गये। योगेंद्र अपने बलबूते दोनों पुत्र व दोनों पुत्रियों का विवाह कराया। उनके बड़े पुत्र ने शादी के कुछ दिन बाद से ही अपना परिवार लेकर अलग किराये के मकान में रहने लगा। एक पुत्र नुआगांव अंचल में रहकर सोने का कारोबार करने लगा।वहीं दूसरा पुत्र सेक्टर-आठ अंचल में रहकर राजगॉगपुर शहर में फास्टफूड का दुकान चलाता है। बुढ़े पिता का सेवा कौन करेगा यह सोचकर दोनों कलयुगी पुत्र अपने-अपने रास्ते चुन लिए। दो वर्ष पहले योगेंद्र अपने बड़ी पुत्र बुढ़े पिता के पास आया और घर बेच कर अपने साथ ले जाने की बात कही। बड़Þी पुत्री ने यहां तक भी कहा कि आपकी सेवा हमअंतिम सांस तक करेंगे। पुत्री के बातों पर भरोसा कर योगेंद्र ने उसे अपना घर बेचकर 80 हजार रूपये बड़ी पुत्री को सौंप दिया।उन 80 हजार रूपयों से बड़ी पुत्री ने अपना मकान का पक्का मकान में तब्दील कर दिया। पक्का मकान बनने के 15 दिन बाद उस कलयुगी पुत्री ने भी उसके साथ पारपीट कर घर से भगा दिया।उसके बाद कलयुगी पुत्री ने बुर्जुग योगेंद्र से कहा आप विवाह के समय कुछ नही दिये थे।इस लिए हम यह बेचे हुए मकान का पैसा ले रहे हैं। पुत्री की इस तरह का कड़वी बात सुनकर बेचारे योगेंद्र बिसरा चौक होते हुए नयाबजार की ओर चले गये।