सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक बिलासपुर मधुलिका सिंह पर लगा प्रताड़ना का आरोप,पेंशन प्रकरणों में किया जा रहा हीलहवाला
रिटायर्ड डॉक्टर पेंशन से वंचित
मनीष शर्मा,8085657778
बिलासपुर/शासन के नियमानुसार सेवानिवृति के 3 माह पूर्व शासकीय सेवक की समस्त प्रकार की कागजी प्रक्रिया पूर्ण कर सेवा निवृति दिनाँक को पेंशन निर्धारण सहित समस्त प्रकार के क्लेम की भुगतान आदेश दिए जाने का सख्त निर्देश जारी किया है। जिसकी अनदेखी करनें का सनसनीखेज मामला डॉक्टरों द्वारा कलेक्टर को लिखे पत्र से सामने आया है।
जानकारी के अनुसार डॉ अनूप कुमार सिन्हा नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं डॉ के के जायसवाल पैथोलोजिस्ट जिला चिकित्सालय में पदस्थ रहते हुए दिनाँक 31/01/2020 को सेवा निवृत्त हो गए।
डॉक्टरों का कहना है कि डॉ मधुलिका सिंह द्वारा अभी तक कागजी प्रक्रिया शुरू नही की गई है। यदि आज प्रक्रिया शुरू की जाती है तो सेवा निवृत्त शासकीय सेवक को पेंशन भुगतान करने में 6 माह लग जायेगा। इस बीच सेवा निवृत्त कर्मचारी आर्थिक शोषण से प्रताड़ित होता रहेगा।
डॉ अनूप कुमार सिन्हा एवं डॉ के के जायसवाल ने डॉ मधुलिका सिंह के ऊपर मौलिक अधिकारों का हनन करने ,पेंशन निर्धारण नही करने, शासन के आदेशों की अवहेलना करने की शिकायत कलेक्टर से करते हुए डॉ मधुलिका सिंह के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की मांग की है।
दोनों सेवा निवृत्त चिकित्सकों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए लिखा है कि हमनें जीवन के लगभग 37 वर्ष मानव सेवा में लगाते हुए निष्ठा पूर्वक कार्य सम्पादन किया है,जिसका ईनाम डॉ मधुलिका सिंह द्वारा पेंशन रोक कर हमारे परिवार के ऊपर वित्तीय संकट पैदा करने के साथ साथ हमें शेष बचे जन्दगी में अपने परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी जीने के लिए मोहताज करने का षडयंत्र रचते हुए हमारे मौलिक अधिकारों करने का किया जा रहा है।
डॉ मधुलिका सिंह द्वारा संभागीय संयुक्त संचालक,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ,प्रिंसिपल प्रशिक्षण केंद्र एवं सिविल सर्जन के पद पर रहकर वित्तीय घोटालों को अंजाम देते आ रही हैं, जिनमें से कई प्रकरणों पर जांच चल रही है। एक प्रकरण पर माननीय न्यायालय ने उनसे 2.5 करोड़ की वसूली करने का निर्देश भी जारी कर दिया है।अभी तक तो शासकीय सम्पत्ति का ही हरण करते आईं है, अब सेवानिवृत चिकित्सक जिन्हें शासन पेंशन देने के साथ साथ उनसे कटौती की गई राशि उन्हें देगी। उस राशि का सेवानिवृत चिकित्सक आहरण न कर सकें इसे जानबूझ कर षडयंत्र रचा माना जा रहा है।