मुम्बई में सुलतानपुर के मछुआरा मजदूरों को दयनीय दशा से मुक्त कराने की माँग
1 min readसुलतानपुर। महामारी कोरोना वायरस के कारण देश में लॉक डाउन है। रोजी रोटी की तलाश में मुम्बई कमाने गए दर्जनों मछुआ मजदूर लॉक डाउन के कारण मुसीबत में फंस गए हैं, जहां उन्हें भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। मछुआ मजदूरों की समस्याओं के निजात के लिए मोस्ट कल्याण संस्थान के निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद “गुरुजी” ने मुख्यमंत्री महाराष्ट्र को सम्बोधित पत्र जिलाधिकारी, सुलतानपुर को व्हाट्सअप / ईमेल के माध्यम से अवगत कराया कि महामारी कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन में उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर के सुभाष निषाद निवासी सकरदे, प्रमोद कुमार निषाद निवासी सकरदे, दिलीप कुमार निवासी सादनपुर, राजेश निवासी बीरमपुर, दुर्गा प्रसाद निवासी बदरूद्दीनपुर, अर्जुन कुमार निषाद निवासी सैदपुर, सुखराम निवासी शुकुलपुर, संतोष यादव निवासी बहाउद्दीनपुर, राम गुलाब निषाद निवासी बरूई जासापारा, दयाशंकर निवासी वाजिदपुर, संजय निवासी खानपुर, राम प्रसाद निषाद निवासी जगदीशपुर, फूलचंद गौतम निवासी मीरपुर, विनोद निषाद निवासी मीरपुर व अन्य दर्जनों मछुआरा मजदूरों का आरोप है कि महाराष्ट्र के मढ़, वटार, पाड़ा, व्याहा वेसावा (मुम्बई) में दैनिक मजदूरी पर अजय नागदेव कोली (नाकवा) एवं द्वितीय नाकवा मिल्टन सोवार कोली के लिए गांव मढ़ डोंगर पाड़ा मढ मार्वे रोड, मढ़चर्च, जवल वाया वर्सोवा मालाड में समुद्र में मछली पकड़ने का कार्य करते हैं ।
लॉक डाउन के दौरान नाकवा अजय नागदेव कोली एवं द्वितीय नाकवा मिल्टन सोवार कोली दर्शाया मछली पकड़ने वाले अपने उक्त मजदूरों को पूर्व में काम की मजदूरी तथा भोजन व अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध न कराये जाने के कारण भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। मछुआरा मजदूरों की भयावह स्थिति से अवगत कराते हुए इन मछुआरा मजदूरों को मजदूरी एवं भोजन उपलब्ध कराने तथा उक्त मजदूरों के मालिक (नाकवा) पर आवश्यक कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है। मोस्ट निदेशक ने कहा कि महाराष्ट्र के विभिन्न समुद्री क्षेत्रों में मछली मारने वाले मछुआरा मजदूरों के सम्बन्ध में बेहद चिन्ताजनक सूचनाएं प्राप्त हो रही है । दर्जनों पीड़ितों ने अपने सगे-सम्बंधियों के माध्यम से सूचनाएं दी कि नाकवा द्वारा राशन-भोजन मांगने पर अपने मजदूरों को मारने-पीटने और पूर्व में किये गए कार्य की मजदूरी दिए बगैर अपने क्षेत्र से भाग जाने को मजबूर कर रहे हैं। ऐसे मजबूर हालात में महाराष्ट्र सरकार द्वारा अविलम्ब कठोर कदम उठाया जाना चाहिए।