बिना परखे साधू व असाधू पर आंख मूंद कर न करें कोई विश्वास: विदूषी पूजा
अग्रसेन भवन में श्री राम कथा मेंं स्त्रियों को मर्यादा रूपी लक्ष्मण रेखा से बचने की नसीहत
राउरकेला। अग्रसेन भवन में चल रही दिव्य श्री राम चरित मानस की कथा में पुज्या विदूषी पूजा जोषी देवी जी ने कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान श्री राम तो हर जगह है, लेकिन चार स्थानों पर भगवान सदैव रहते हैं। कथा सुनने वालों और सुनाने वालों के साथ में रहते हैं।
अष्टम दिवस की कथा में भगवान श्री राम के विरह में दशरथ जी ने अपने प्राण त्याग दिये। देवी पूजा जी ने कहा कि कभी भी पुत्र मोह नहीं करना चाहिए व श्री राम भरत के मिलाप का प्रसंग सुनाया और रावण के द्वारा सीता हरण का उदाहरण देते हुेए कहा की बिना परिक्षण किये किसी साधु या असाधु पर भरोसा नहीं करना चाहिए और लक्ष्मण रेखा का उदाहरण देते कहा की स्त्रियों की मर्यादा रुपी लक्षमण रेखा पार नहीं करनी चाहिए।
अष्टम दिवस में किष्किंधा काण्ड संपन्न हुआ व सुंदरकांड की कथी गायन के साथ संपन्न हुआ जिसमें सभी भक्त भाव विभोर होकर नाचने लगे और सुंदरकांड की क था गायन के साथ संपन्न होने के पश्चात ही कथावाचत पूजा जोशी ने अपनी वाणी को विराम दिया। नवम दिवस की कथा में कथावाचक ने राम रावण युद्ध, हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाना व रामजी के राज्यभिषेक की कथा श्रवण कराया।