कलेक्टर नम्रता के त्वरित व संवेदनशील निर्णयों से जिले में विकास की आस बंधी
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- ठोस कार्ययोजना और नियमित समीक्षा से विकास कार्यो में आई तेजी
अपनी विषम और खास तरह की भौगोलिक विशेषता के कारण जिले में समावेशी विकास की कल्पना धरातल में उतर नहीं पाती। एकतरफ मैदानी और समतल क्षेत्र तो दूसरी ओर पहाड़ी, जंगली क्षेत्र से जिला में विकास भी आसमान दिखाई देता है। राजिम से लेकर देवभोग तक भूभाग में असमान और विषमता की खाई बढ़ती जाती है।
ऐसे में जिले के मुखिया द्वारा विकास की ठोस योजना बनाना कई बार बेमानी साबित होता है । जिला प्रशासनिक इकाई का मुखिया यानी कलेक्टर के लिए भी चुनौतियां कम नहीं होती, जिले को जानना, समझना और विकास के प्राथमिकता तय करना आसान नहीं होता। जिले के पांच विकासखंड के तीन विकासखंड अधिसूचित है यानी आदिवासी वर्ग की बहुलता है। यहां अभी भी मूलभूत सुविधाओं की दरकार बनी रहती है। आए दिन इन क्षेत्रों की समस्याओं की सुर्खियां अखबारों में देखने को मिलती है।
अभी लगभग तीन महीने पूर्व जिले की कमान संभाल रही आईएएस अधिकारी कलेक्टर नम्रता गांधी से यहां के रहवासियों को काफी उम्मीदें हैं। उनकी कार्यशैली में टिकाऊ और दीर्घकालीन विकास की कल्पना दिखाई देती है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचे इसलिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। जिले में पहली बार कमार भुंजिया यानी विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए 40 शिविर लगाए गए जिसमें इन वर्गो ने उत्साह से भाग लिए।
मौकें पर ही सैंकड़ों आवेदनों का निराकरण किया गया। आदिवासी अंचल में मूलभूत सुविधा के लिए कलेक्टर संवेदनशील और गंभीर जान पड़ती है। अभी हाल ही मैनपुर के अंदरूनी क्षेत्र शोभा में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलकर यहां की वर्षों की मांग को दो महीने के भीतर पूरा किया। आदिवासी अंचल में अभी 8 ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों द्वारा चक्का जाम की चेतावनी दी गई थी, उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए शिविर लगाकर निराकरण करने का भरोसा दिलाते हुए लोगों का दिल भी जीत लिया। यहीं नही अंदरूनी क्षेत्र रसेला में ट्रांसफार्मर की मांग को तत्काल पूरा करते हुए बिजली की समस्या को हल कर दिया। इन संवेदनशील निर्णयों से झलकता है कि उनमें क्षेत्र की विकास करने की ललक है और ठोस रणनीति भी है। राजिम माघी पुन्नी मेला का भव्य और गरिमामय सफल आयोजन भी उनकी व्यापक सोच और ठोस कार्ययोजना का परिणाम है।
जिले में विकास की नियमित निगरानी और समीक्षा की आवश्यकता को अपने दैनिक कार्यों का हिस्सा मानते हुए प्रतिदिन दिए गए निर्देशों की समीक्षा से विकास कार्यों में तेजी आई है। जल जीवन मिशन अंतर्गत अब तेजी से कार्य आगे बढ़ा रहा है।वहीं श्रम विभाग अंतर्गत श्रम कार्ड पंजीयन में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल किया गया है। जिले में भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण अंतर्गत 51 हजार पंजीयन किया गया है।जो प्रदेश में अग्रणी है। इसी तरह किसानों के लिए ई केवाईसी हो या फसल चक्र परिवर्तन की प्लानिंग हो, अभी से तैयारी की जा रही है। जिले में इस बार धान के बदले अन्य फसलों के उत्पादन का लक्ष्य बढ़ा दिया गया है। कलेक्टर नम्रता गांधी अपने अनुशासन और कारगर रणनीतियों से योजनाओं को धरातल पर साकार करने की कोशिश कर रही है जिसका सुखद परिणाम भी जिलेवासियों को जल्दी ही दिखाई देगा।