समाज कल्याण विभाग गरियाबंद में 3 करोड़ 25 लाख का गबन
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- दो अधिकारियों के खिलाफ कलेक्टर ने दिए एफआईआर के आदेश
- शेख हसन खान, गरियाबंद
गरियाबंद। समाज कल्याण विभाग, जो गरीबों और दिव्यांगों की सहायता के लिए योजनाएं चलाता है, वहां के पुराने अधिकारी जनता के पैसे की लूट में जुटे रहे। इस मामले की शिकायत रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर के द्वारा की गई थी पूरा मामला गरियाबंद समाज कल्याण विभाग का है, जहां पूर्व उपसंचालक एल.एस मार्को और पूर्व डीडीओ (प्रभारी) के कार्यकाल के दौरान 3 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है। ये पैसा जागरूकता अभियान, पेंशन योजनाओं, दिव्यांग प्रोत्साहन और पुनर्वास शिविरों के नाम पर निकाला गया।
गजब की बात तो यह है कि तीन बैंकों में फर्जी खाते खोलकर सरकारी रकम को निजी उपयोग में खर्च कर दिया गया। अपर कलेक्टर अरविंद पांडे की जांच के बाद कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने दोनों आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
- जाने कैसे हुआ करोड़ों का खेल
यह घोटाला 2016 से 2019 के बीच हुआ। आम तौर पर राशि की मांग कलेक्टर की अनुशंसा से होती है, लेकिन तत्कालीन उपसंचालक एलएस मार्को और मुन्नीलाल पाल ने सीधे रायपुर के समाज कल्याण विभाग से करोड़ों की रकम मंगवाई। दस्तावेजों में किसी भी लेनदेन की एंट्री नहीं की गई। विभाग के नाम पर बैंक ऑफ इंडिया गरियाबंद, एचडीएफसी बैंक धमतरी और पंजाब नेशनल बैंक धमतरी में फर्जी खाते खोले गए।
इन खातों में सरकारी पैसे को डाला गया और फिर सेल्फ चेक और कर्मचारियों के नाम पर लाखों रुपये निकाले गए। गरियाबंद कलेक्टर ने मामले की शिकायत आने पर तीन सदस्य जाट समिति का गठन किया था जिसमें अपर कलेक्टर अरविंद पांडे जिला कोषालय अधिकारी एवं समाज कल्याण विभाग के जिला अधिकारी शामिल थे ।
9 चेक और 3.25 करोड़ की लूट की कहानी
इस पूरे घोटाले में 9 चेक के जरिए सरकारी रकम की लूट की गई।
26 सितंबर 2016 को यूनियन बैंक रायपुर से 22 लाख रुपये का चेक निकाला गया।
24 नवंबर 2017 को पंजाब नेशनल बैंक रायपुर से 25 लाख रुपये।
22 जून 2018 को एक ही दिन में 83 लाख रुपये तीन चेकों के जरिए निकाले गए।
(28 लाख, 28 लाख और 27 लाख रुपये)
1 मार्च 2019 को कोटक महिंद्रा बैंक से 48 लाख और फिर 10 मार्च 2019 को 49 लाख का चेक जारी हुआ।
19 अगस्त 2019 को 49 लाख 50 हजार और फिर 20 अगस्त 2019 को 49 लाख की राशि का आहरण हुआ।
- कौन-कौन लिप्त है?
तत्कालीन उपसंचालक एलएस मार्को और प्रभारी डीडीओ मुन्नीलाल पाल इस खेल के मास्टरमाइंड बताए जा रहे हैं। मार्को के रिटायरमेंट के बाद उन्होंने संविदा के पद पर पुनः विभाग में ज्वाइन किया था और मुन्नीलाल पाल को डीडीओ (प्रभारी) बनाया गया था इस पूरे मामले में दोनों ही अधिकारियों की संलिप्ता पाई गई है । मार्को रिटायरमेंट के बाद राजनांदगांव में तो मुन्नीलाल पाल बिलासपुर में रह रहे हैं। रायपुर के तत्कालीन उपसंचालक पंकज वर्मा पर भी 3 करोड़ से अधिक की राशि बिना कलेक्टर की अनुशंसा के जारी करने का आरोप है। दोनों ही आरोपियों को गरियाबंद प्रशासन की ओर से तीन बार नोटिस व्हाट्सएप पत्राचार एवं फोन के माध्यम से जांच हेतु प्रस्तुत होने कहा गया परंतु दोनों ही अधिकारी एक बार भी जांच के दौरान उपस्थित नहीं रहे आखिरी बार 6 फरवरी को दोनों अधिकारियों को जांच में उपस्थित होने कहा गया था परंतु दोनों ही अधिकारी उपस्थित नहीं हुई जिसके बाद आज 14 फरवरी को गरियाबंद कलेक्टर ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए है ।
- क्या धमतरी में भी छिपा है एक और घोटाला ?
गरियाबंद में 3.25 करोड़ के गबन के बाद अब धमतरी में 8 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका है। मुन्नीलाल पाल, जो 2012 से 2022 तक धमतरी में विभिन्न पदों पर रहे, वहां भी इसी तरह फर्जी खाते खोलकर करोड़ों की रकम निकाल चुके हैं।
अगर वहां भी जांच होती है, तो गरियाबंद से बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। इस पूरे मामले को लेकर गरियाबान डी अपर कलेक्टर अरविंद पांडे ने बताया कि गरियाबंद कलेक्टर के निर्देश पर तीन सदस्य जांच कमेटी गठित की गई थी मेरे द्वारा पूरे मामले की जांच की गई जिसमें 3 करोड़ 25 लाख 50 हजार की राशि का गबन पाया गया है इस मामले मैं दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश गरियाबंद कलेक्टर द्वारा दिए गए हैं