गायत्री परिवार के सप्त क्रांति से प्रेरित डॉ. मंजू स्वस्थ व सशक्त समाज के गठन में जुटी
1 min readमहिलाओं व बालिकाओं का सबल व स्वालंबी बनाने आत्म रक्षा व सिलाई की सीख
राउरकेला। गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के सप्त क्रांति आंदोलन से प्रेरित प्रियदर्शनी महिला कॉलेज जलदा की व्याख्याता डॉ. मंजू शर्मा महापात्र स्वस्थ, सशक्त व सबल समाज गठन का बीड़ा उठाया है। इसके लिए समाज के उपेक्षित व वंचित बच्चों के लिए जहां संस्कारशाला चला रही है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए पॉलीथिन के खिलाफ थैला क्रांति का श्ांखनाद किया है और महिलाओं व युवतियों को स्वालंबी व सशक्त बनाने के लिए उन्हें आत्म रक्षा के साथ सिलाई कढाई की प्रशिक्षण की व्यवस्था की शुरूआत की है। यह शुरूआत अभी शैशव अवस्था में है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि उनकी यह कोशिश जरूर एक दिन रंग लायेगी। स्वस्थ व सबल समाज गठन की दिशा में उनकी पहल फर्टिलाईजर इलाके में रंग भी लाने लगी है और उनके संस्कार शाला व समाजिक क्रांति के लिए किये जा रहे कार्यों से प्रेरित हो कर उनके द्वारा शुरू की गयी सेवा श्रृंखला से लोग जुड़ने लगे हैं और उनकी पहल से कुछ लोगों को जीवन में बदलाव भी आने लगे हैं, जो भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है। राउरकेला की प्रख्यात लेखिका सेवाभावी गायत्री परिवार से जुड़ी डॉ मंजु शर्मा महापात्र जलदा गर्ल्स कॉलेज में हिन्दी की व्याख्याता हैं। अस्त व्यस्त समाजिक बदलाव लाने के लक्ष्य को लेकर वह अपने आसपास के क्षेत्रों में बाल संस्कार शाला चला रही हैं।
वतर्मान में उनकी बाल संस्कार शाला, वीणापाणि विद्या मंदिर फर्टिलाइर में चल रही है। स्कूल की प्रधान अध्यापिका श्रीमति कुंतला पात्र बहुत ही उच्च विचारों की महिला हैं, जो चाहती हैं कि उनके स्कूल के बच्चे पढ़ाई के साथ- साथ और भी अच्छी बातें सीखें।उनके आग्रह पर डॉक्टर मंजु शर्मा महापात्र उनके े स्कूल के बच्चों को संस्कारवान बनाने वहां संस्कारशाला शुरू की,अन्य कुछ स्थानों पर संस्कार शाला के जरिये समाज के वंचित व उपेक्षित बच्चों में बदलाव का काम जारी रखी हैं। बाल संस्कार शाला में कविता, कहानी, नाटक और गीतों के माध्यम के साथ ही बाल निर्माण की कहानियों के माध्यम से बच्चों में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण हो रहा है। इसके साथ ही डॉ मंजु शर्मा महापात्र ने अपने क्षेत्र में पॉलीथिन के विरुद्ध में थैला क्रांति का शंखनाद किया है। वे गरीब महिलाओं से थैले बनवाती हैं। इससे उन गरीब महिलाओं को भी रोजगार प्राप्त हो रहा है और समाज में भी लोगों के हाथों में थैले पहुंच रहे हैं। इसके अलावा डॉ मंजु शर्मा महापात्र कन्याओं और महिलाओं के लिये सिलाई की कक्षा और कन्याओं के लिए सेल्फ डिफेंस की कक्षाएं भी चलवाती रहती हैं। डॉ मंजु शर्मा महापात्र जब मात्र 15 साल की थीं तब से ही अपनी माँ स्वर्गीय हेमंत शर्मा जी के साथ मिशन के कार्यों में साथ जाती थीं, उनका सारा परिवार गायत्री परिवार से जुड़ा है और सभी मिशन के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। डॉ। मंजू शर्मा महापात्र की पहल से समाज में बदलाव की उम्मीद जगने लगी है।