गरियाबंद मत्स्य पालन के क्षेत्र में बढ़ते कदम – सिकासार जलाशय में केज कल्चर से मछली पालन

- शेख हसन खान, गरियाबंद
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 27 हितग्राहियों के द्वारा सिकासर जलाशय में केज निर्माण कर मछली पालन
गरियाबंद । गरियाबंद जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में भी अब आधुनिक तकनीकी से मछली पालन किया जा रहा है। तहसील मुख्यालय मैनपुर से 28 किमी दूर जिले के मुख्य सिकासार जलाशय में केज कल्चर के माध्यम से मछली पालन प्रारंभ किया गया है। वर्तमान में 27 हितग्राहियों के द्वारा यहां जलाशय के गहराई पानी में चारों तरफ केज निर्माण कर लगभग 3 लाख से अधिक मछली बीज डालकर मछली पालन किया जा रहा है जो निश्चित रूप से मत्स्य पालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना अंतर्गत प्रदेश में वर्ष 2020-21 में यह योजना प्रारंभ किया गया है लेकिन गरियाबंद जिले के सिकासार जलाशय में अभी महज डेढ़ वर्ष से यह योजना संचालित हो रहा है। सिकासार जलाशय में पहुंचने वाले पर्यटक दूर से इस केज को देखकर इसके संबंध में उत्सुकता से जानकारी लेना चाहते हैं । मतस्य विभाग द्वारा यह मछली पालन की दिशा में काफी महत्वपूर्ण योजना बताई गई है। किसी भी बड़े जलाशय में गहरे पानी में चारो तरफ घेरा लगाकर केज कल्चर के माध्यम से मछली पालन किया जाता है जिसमें मछली के बच्चो को डाला जाता है और यह मछली 8 से 10 माह में एक से डेढ़ किलो वजन का होता है जिसे आसानी से निकाला जा सकता है और बाजार में इसकी मांग काफी बनी रहती है। आजीविका और रोजगार उपलब्ध कराने के क्षेत्र में केन्द्र सरकार का महत्वपूर्ण कदम है मत्स्य पालन की इस नई तकनीक से ताजी और स्थानीय मछलियां बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है केज कल्चर तकनीक ने गरियाबंद जिले में मछली उत्पादन के क्षेत्र में आने वाले समय में नये आयाम स्थापित करेगी और स्वरोजगार आत्मनिर्भरता की दिशा में इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
- मत्स्य विभाग के अफसर ने बताया, केज कल्चर में मछली पालन के लिए 60% अनुदान
मतस्य विभाग गरियाबंद के सहायक संचालक आलोक वसिष्ट ने चर्चा में बताया सिकासार जलाशय में केज कल्चर में जाली से पिंजरे बनाकर उनमें मछलियों को पाला जा रहा है। यह मछली पालन की एक आधुनिक तकनीक है। सिकासार जलाशय में डेढ़ दो वर्षो से यह योजना का शुभारंभ किया गया है जिसमें 32 यूनिट केज का निर्माण किया गया था लेकिन 5 यूनिट कोडार जलाशय महासमुंद भेजा गया है।
वर्तमान में 27 हितग्राहियों द्वारा केज के माध्यम से मछली पालन किया जा रहा है। केज में मछली पालने से इसे आसानी से निकाला जा सकता है। उन्होने बताया प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना के तहत इस योजना अंतर्गत अनुदान राशि का 60 प्रतिशत अंशदान भारत शासन द्वारा एवं 40 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा वहन किया जाता है। इसके लिए बकायदा मछली पालन करने वाले हितग्राहियों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है और इसमें अनुसूचित जाति जन जाति महिलाओ को 60 प्रतिशत तक का अनुदान का प्रावधान है तथा बाकी को 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान हैं।