बीपीसीएल में पूरी हिस्सेदारी बेचेगी GOV, श्रमिक संरक्षण, संपत्ति बिक्री को लेकर बाद में जारी किए जाएंगे नियम
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सरकार रणनीतिक विनिवेश के तहत बेची जाने वाली पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के संभावित खरीददरों के लिए कर्मचारियों के हित की रक्षा, कंपनी को संपत्ति विहिन करने से बचने तथा व्यवसाय को जारी रखने की निरंतरता को लेकर परामर्श बाद के चरण में जारी करेगी। विनिवेश विभाग के द्वारा जारी निजीकरण नियमों में इसकी जानकारी मिली है।
सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने वाली है। बीपीसीएल भारत की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा ईंधन विक्रेता व तीसरी सबसे बड़ी कच्चा तेल परिशोधन कंपनी है। नियमों के अनुसार, प्रारंभिक रूचि पत्र की समयसीमा 30 सितंबर को समाप्त हो रही है, जिसके बाद पात्र बोली प्रदाताओं को वित्तीय बोली लगाने के लिये कहा जायेगा। दीपम ने कर्मचारी संरक्षण, संपत्ति बिक्री, कारोबार निरंतरता तथा लॉक-इन शेयर से संबंधित पाबंदियों के बारे में पूछे गये सवालों पर कहा, ‘‘यह सूचना रूचि लेने वाले पात्र निकायों (क्यूआईपी) को प्रस्ताव के लिये निवेदन अथवा शेयर खरीद अनुबंध में बाद में दी जायेगी।’’
- निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने बीपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर संभावित खरीदारों के सवालों का जवाब देने के लिये स्पष्टीकरण जारी किया है।
ऐसा माना जा रहा है कि बीपीसीएल के निजीकरण में श्रम कानून से संबंधित प्रावधान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। कंपनी का एक संभावित खरीदार बाद में अतिरिक्त कर्मचारियों की छंटनी कर सकता है, जो कि किसी भी सार्वजनिक कंपनी के साथ सामान्य है। इसके अलावा खरीदार कुछ संपत्तियों जैसे भूखंड व भवन आदि की बिक्री भी करना चाह सकते हैं।
बीपीसीएल के खरीदार को तत्काल भारत की परिशोधन सीमा में 15.33 प्रतिशत और ईंधन बाजार में 22 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त हो जायेगी।