मझवार, तुरैहा, गोड़ को परिभाषित कर न्याय दे सरकार – लौटन राम निषाद
1 min read निषाद मछुआरों के अधिकारों व आरक्षण की मांग को लेकर निषाद संघ का प्रदर्शन
लखनऊ 11 दिसम्बर, 2019। राष्ट्रीय निषाद संघ के कार्यकर्ताओं ने अनुसूचित जाति में शामिल मझवार, गोड़, खरवार, बेलदार को परिभाषित करने,मत्स्यपालन को कृषि का दर्जा देने,मत्स्य बीमा योजना शुरू करने, मछुआ दुर्घटना बीमा की राशि 5 लाख करने, ओबीसी की जातियों की जातिगत जनगणना करने की मांग को लेकर दारूलशफा कैम्पस से जीपीओ पार्क तक राष्ट्रीय सचिव लौटन राम निषाद, प्रदेश अध्यक्ष कैलाश नाथ निषाद, विक्रम सिंह कश्यप, रमेश चन्द्र निषाद, गया प्रसाद धुरिया, डाॅ. समरजीत कश्यप, राजू कश्यप, पंकज निषाद के नेतृत्व में जुलूस निकाला। गांधी प्रतिमा स्थल पर आयोजित धरना सभा को सम्बोधित करते हुए चौ. लौटन राम निषाद ने 17 अतिपिछड़ी जातियों का प्रस्ताव प्रदेश सरकार द्वारा वापस लेने के लिए धोखा व विश्वासघात बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा व योगी की कथनी करनी में कोई एकरूपता नहीं है। सांसद रहते हुए योगी ने संसद में कई बार निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, कश्यप जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा उठाया। भाजपा ने विधान सभा चुनाव -2012 के घोषणा पत्र में अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने का वायदा किया था। 5 नवम्बर, 2012 को तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी ने फिशरमेन विजन डाक्यूमेन्ट्स जारी कर निषाद मछुआरों के आरक्षण की विसंगति को दूर कर हर राज्य में एससी या एसटी का आरक्षण दिलाने का संकल्प लिया था। परन्तु 2004 से केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन प्रस्ताव को वापस लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन जातियों के साथ घोर सामाजिक अन्याय किया है।योगी सरकार ने निषादराज जयंती के अवकाश खत्म कर,बालू-मोरंग के ठेका के लिए ई-टेंडरिंग व्यवस्था लागू के निषाद समाज के साथ धोखा किया और मछुआ आवास योजना को बंद कर गरीब मछुआरों के साथ घोर अन्याय किया है।
निषाद ने कहा कि मल्लाह, मांझी, केवट, बिन्द, गोड़िया, निषाद आदि मझवार की, तुरहा, तुराहा, धीवर, धीमर आदि तुरहा की, धुरिया, कहार, रायकवार, बाथम आदि गोड़ की, भर, राजभर आदि पासी, तड़माली की, कुम्हार प्रजापति शिल्पकार की पर्यायवाची जातियां है। भाजपा सरकार में इन जातियों को जाति प्रमाण-पत्र निर्गत नहीं किया जा रहा है। यहीं नहीं योगी सरकार ने एक-एक कर निषाद मछुआरों के सभी परम्परागत पुश्तैनी पेशों को छीन कर इस समाज को अधिकार वंचित कर दिया है। उन्होंने 1994-95 के शासनादेश मत्स्य पालन का पट्टा निषाद मछुआ समाज को दिये जाने की मांग किया है। रमेश चन्द्र निषाद ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने व मत्स्य बीमा योजना शुरू करने की मांग किया है। प्रदेश अध्यक्ष कैलाश नाथ निषाद ने कहा कि अर्जुन को महान धनुर्धर बनाने के लिए द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा कटवाया। खेल का द्रोणाचार्य व अर्जुन पुरस्कार निषाद आदिवासी समाज व निषाद पुत्र एकलव्य का अपमान है। खेल का एकलव्य पुरस्कार नहीं तो द्रोणाचार्य व अर्जुन पुरस्कार बंद होना चाहिए। धरना सभा को सम्बोधित करते हुए गया प्रसाद धुरिया, रमेशचंद्र निषाद, विक्रम सिंह कश्यप एड, डॉ. समरजीत कश्यप, अरबिन्द निषाद प्रधान, राजू कश्यप, सुरेश निषाद, राजीव रत्ना, बालकिशन साहनी, महेश कश्यप, बांके लाल निषाद, मोहन लाल निषाद, दीपक निषाद, सुरेश कश्यप, सुरेश निषाद, राहुल कश्यप,नीरज निषाद, बांकेलाल निषाद, पंकज निषाद, रविकांत निषाद, हरि किशन गौड़, केडी कश्यप, भवानी प्रसाद निषाद आदि ने सम्बोधित करते हुए 2021 जनगणना में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराये जाने की मांग उठाया।