मझवार, तुरैहा और गोड़ को परिभाषित कर न्याय दे सरकार : लौटनराम निषाद
1 min read- “किन्नरों की जनगणना होती है तो पिछडों व अगड़ों की क्यों नहीं?
देवरिया। समाजवादी पार्टी पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटन निषाद ने अनुसूचित जाति में शामिल मझवार,गोड़,तुरैहा, खरवार, बेलदार को परिभाषित करने,मत्स्यपालन को कृषि का दर्जा देने,मत्स्य बीमा योजना शुरू करने,मछुआ दुर्घटना बीमा की राशि 5 लाख करने,ओबीसी की जातियों की जातिगत जनगणना करने की मांग की है। राष्ट्रीय सचिव लौटन राम निषाद ने 17 अतिपिछड़ी जातियों का प्रस्ताव प्रदेश सरकार द्वारा वापस लेने के लिए धोखा व विश्वासघात बताया।
उन्होंने कहा कि भाजपा व योगी की कथनी -करनी में कोई एकरूपता नहीं है। सांसद रहते हुए योगी ने संसद में कई बार निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, कश्यप जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा उठाया। भाजपा ने विधान सभा चुनाव -2012 के घोषणा पत्र में अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने का वायदा किया था। 5 अक्टूबर, 2012 को भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी ने फिशरमेन विजन डाक्यूमेन्ट्स/मछुआरा दृष्टि पत्र जारी कर निषाद मछुआरों के आरक्षण की विसंगति को दूर कर हर राज्य में एससी या एसटी का आरक्षण दिलाने का संकल्प लिया था। परन्तु 2004 से केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन प्रस्ताव को वापस लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने निरस्त कर इन जातियों के साथ घोर सामाजिक अन्याय किया है।
योगी सरकार ने निषादराज जयंती के अवकाश को खत्म कर,बालू-मोरंग के ठेका पट्टा के लिए ई-टेंडरिंग व्यवस्था लागू कर निषाद समाज के साथ धोखा किया और मछुआ आवास योजना को बंद कर गरीब मछुआरों के साथ घोर अन्याय किया है।बालू मौरंग खनन व निकासी,मत्स्यपालन पर सामन्ती बाहुबलियों व गैर मछुआ जाति के दबंगों का कब्जा हो गया है।
निषाद ने नकटापर, मांगा कोडर, देवरिया खास,छोटा रजवाड़,करियहवां में आयोजित चौपाल व जनसंवाद कार्यक्रम में कहा कि मल्लाह, मांझी, केवट, बिन्द, गोड़िया, निषाद आदि मझवार की, तुरहा, तुराहा, धीवर, धीमर आदि तुरहा की, धुरिया, कहार, रायकवार, बाथम आदि गोड़ की, भर, राजभर आदि पासी, तड़माली की, कुम्हार प्रजापति शिल्पकार की पर्यायवाची जातियां है। भाजपा सरकार में इन जातियों को जाति प्रमाण-पत्र निर्गत नहीं किया जा रहा है। यहीं नहीं योगी सरकार ने एक-एक कर निषाद मछुआरों के सभी परम्परागत पुश्तैनी पेशों को छीन कर इस समाज को अधिकार वंचित कर दिया है। उन्होंने 1994-95 के शासनादेश मत्स्य पालन का पट्टा निषाद मछुआ समाज को दिये जाने की मांग किया।
निषाद ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने व मत्स्य बीमा योजना शुरू करने की मांग किया है। कहा कि अर्जुन को महान धनुर्धर बनाने के लिए द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा कटवाया। खेल का द्रोणाचार्य व अर्जुन पुरस्कार निषाद आदिवासी समाज व निषाद पुत्र एकलव्य का अपमान है। खेल का एकलव्य पुरस्कार नहीं तो द्रोणाचार्य व अर्जुन पुरस्कार बंद होना चाहिए।
निषाद ने कहा कि ब्रिटिश सरकार द्वारा पहली बार 1881 में जातिगत आधार पर जनगणना कराई गई जो 1931 तक हर 10वें वर्ष होती रही।1931 के बाद फिर जातिवार जनगणना नहीं कराई गई।आज़ादी के बाद हर सेन्सस में एससी, एसटी व सेन्सस-2011 में इनके साथ धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग(मुस्लिम, सिक्ख,ईसाई,बौद्ध,पारसी,जैन,रेसलर),दिव्यांग व ट्रांसजेंडर/थर्ड जेण्डर की जनगणना कराई गई।कांग्रेस सरकार ने संसद के अंदर 2010 में वादा किया था कि सेन्सस-2011 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराई जाएगी।पर,कांग्रेस सरकार ने नहीं कराया।वैसी ही साज़िश भाजपा सरकार द्वारा की जा रही है।उन्होंने कहा कि जब केन्द्र सरकार हिजड़ों की जनगणना कराती है,तो अगड़ों व पिछडों की क्यों नहीं?उन्होंने सेन्सस-2021 में जातिवार जनगणना कराने की मांग की है।