120 वर्षीय माँ को चारपाई में डाल खिंचते… बैंक लेकर आई उसकी 60 वर्षीय बेटी
1 min read120 वर्षीय माँ को चारपाई में डाल खिंचते हुए बैंक लेकर आई उसकी 60 वर्षीय बेटी
नुआपाड़ा जिले की एक अमानवीय घटना
चारपाई पर लेटी अपनी माँ को खिंचती उसकी बेटी
भूख व बेबसी भारी आंखों से अपने पास बुक को निहारती 120 वर्षीय व्रुद्ध महिला
नुआपाड़ा/खरियार रोड़- जिले में एक बार फिर इंसानियत को शर्मशार करदेने वाली घटना सामने आई है। एक ऐसी घटना जिसने मानवीयता को तार तार करके रख दिया। एक गरीब की बेबसी व लाचारी की दास्तां बया करने वाली यह घटना जिले के खरियार ब्लाक के बरगांव ग्राम की है। जहाँ जनधन खाते से 1500 निकलवाने के लिए लगभग सौ से ऊपर वर्ष की व्रुद्ध महिला को उसकी 60 वर्षीय पुत्री एक चारपाई में डालकर खिंचते हुए बैंक तक लेकर आई। सड़क पर जिसने भी यह नजारा देखा वह बैंक अधिकारियों के अड़ियल रवैये पर तंज कसे बिना नही रहा। घटना 11 जून गुरुवार की है, सोशियल मीडिया में वायरल होने के बाद घटना चर्चा में आई। गुरुवार को ठीक बैंक खुलने के समय से कुछ समय पहले बरगावँ निवासी पूँजीमती शिका उम्र 60 वर्ष ने 100 से ऊपर उम्र की अपनी माँ लभे बाग को चारपाई में डाल सड़को पर से खिंचते हुए उत्कल ग्राम्य बैंक लेकर आई। सिर्फ 1500 रुपये निकालने जोकि लभे बाग के एकाउंट में केंद्र सरकार द्वारा कोरोना सहायता राशि के रूप में 5 सौ रुपये प्रति माह जमा हुए थे। असंवेदनशीलता की हद उस समय पार हो गई जब बैंक के अधिकारियों ने बिना शर्मिंदगी महसूस करते हुए औपचारिकता पूरी की और पैसे उसके हाथ मे थमा दिए। पूँजीमती भी किसी से कोई शिक़ायत किये बिना उसी तरह चारपाई को खिंचते खिंचते अपनी माँ को लेकर घर आ गई।
लभे बाग अपनी पुत्री पूँजीमती शिका एवं दामाद पवन शिका के साथ बरगावँ स्थित उनके ही झोपड़ी में रहती है। तीनो की शारीरिक क्षमता परिश्रम करने की नही है। सरकारी योजना व अनुकंपा राशि से किसी तरह गुजर बसर चल रहा है। पूँजीमती के अनुसार उसने बैंक अधिकारियों से बड़ी मिन्नत की अपनी माँ की उम्र व शारिरीक दुर्बलता का हवाला भी दिया उसने कहा कि ” मैंअपनी 120 वर्ष की बीमार व दुर्बल मा को बैंक कैसे लाउंगी” पर उनका एक ही जवाब था हिताधिकारी के बैंक आने पर ही रुपये निकालना संभव है। पूँजीमती के कहने पर वार्ड मेम्बर हुमायु बघेल ने भी बैंक अधिकारियों से निवेदन किया पर सब बेअसर रहा। अंत मे भूख से व्याकुल व्रुद्ध काया ने यह उपाय अपनाया। लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर उसने अपनी माँ को चारपाई में डालकर खिंचते ले गई। उल्लेखनीय है कि लाकडाउन में समय बैंकों को आवश्यकता पड़ने पर घर पहुच सेवा देने का आदेश जारी है। बैंक के मैनेजर अजित कुमार प्रधान से पूछे गए सवाल के जवाब में बैंक में अधिक भीड़ को वजह बता पल्ला झाड़ने की कोशिश करते नजर आए। उनके घटना की पूरे जिले में निंदा हो रही है। देखने वाली बात यह है कि इस अमानवीय घटना पर क्या कार्यवाही होती है।