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October 17, 2024

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डालमिया भारत सीमेंट को हाईकोर्ट का निर्देश, शीघ्र निर्माण करे ओवरब्रिज, बहु प्रतीक्षित समस्या के समाधान होने की संभावना

  • राजगांगपुर

डालमिया भारत सीमेंट देश की अग्रणी सीमेंट कंपनियों में से एक है . कंपनी की‌ स्थापना के बाद से ही उत्पादों का परिवहन रेल द्वारा ही किया जाने लगा । उस समय शहर की जनसंख्या आज के मुकाबले दस फीसदी थी ।कंपनी की उत्पादन क्षमता भी कम थी पर अब कंपनी भी बडी हो गई है उत्पादन भी कई गुना बढ चुका है.

पहले आबादी बीजू पटनायक चौक स्थित फाटक बंद होने से उतनी परेशानी नहीं होती होगी जितनी हालिया दिनों में हो रही है . दिन भर में दर्जनों बार फाटक बंद होता है जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित होता है . जिससे लोगों को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है . शहर वासियों की इस समस्या के लिए सभी ‌राजनीतिक दलों ‌सहित अन्य संगठनों ने भी इस के समाधान के लिए कंपनी का ध्यानाकर्षण किया किन्तु केवल आश्वासन के सिवा शहर वासियों के हाथ कुछ नहीं लगा ।

यहां तक की कंपनी के लाईन थ्री संप्रसारण के लिए आयोजित जन सुनवाई में तत्कालीन ईडी गणेश जिरकुंटवार ने वादा किया था कि स्थानीय युवकों को रोजगार मे प्राथमिकता दी जाएगी एवं शीघ्र ही बीजू पटनायक चौक पर ओवरब्रिज का निर्माण किया जाएगा । परंतु आज तक इस दिशा मे कोई सार्थक प्रयास नहीं दिखा । वहीं शहर के नेता बस राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त रहे जिस‌ कारण भी यह मसला अब तक लटका रहा । अब शहर वासियों के सबर का बांध टूटने लगा और इस मसले को लेकर शहर वासियों में काफी रोष है। जिसे देखते हुए शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डाक्टर जयदेव दास सहित भाजपा नेता उपेंद्र प्रधान ने‌ पिछले मार्च याचिका क्रमांक ६९३८/२०२० एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में दायर की । उच्च न्यायालय ने इस मसले को गंभीरता से लेते हुए सुंदरगढ ज़िलापाल को तीन दिनों में याचिका ग्रहण करने सहित १ महीने में ओवरब्रिज निर्माण करने की दिशा में कार्य करने का निर्देश दिया । वहीं कंपनी प्रबंधन अपना पुराना राग अलाप रही है।

इस मसले पर कंपनी प्रबंधन का कहना है कि इस समस्या के समाधान की ओर हमारा सतत प्रयास जारी है और इसी क्रम में हमने बीजू पटनायक चौक में अंडरपास निर्माण के लिए ‌राजगांगपुर नगर पालिका से अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का अनुरोध किया है परंतु तीन महीने बीतने के बावजूद हमें नगरपालिका की ओर से हरी झंडी नही मिली । अब इस मामले में उच्च न्यायालय के फटकार के के बाद शायद कंपनी सहित प्रशासन की निद्रा भंग हो और शहर के इस बहुप्रतीक्षित समस्या का समाधान हो सके वहीं इस पटकथा का सुखद अंत शीघ्र हो ।

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