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November 20, 2024

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देश में राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को मान्यता मिले यह संकल्प हमारा: अग्रवाल

Hindi should be recognized as the national language in the country

कांटाबांजी। हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने का संकल्प लेकर कार्यरत संस्था मातृभाषा उन्नयन संस्थान के प्रांतीय अध्यक्ष धीरज अग्रवाल ने कहा है कि समय आ गया है कि अब हिंदी को वह स्थान मिले, जिसकी वो अधिकारिणी है। आज जरुरत आ पड़ी है। हिंगलिश से हिंदी को आजाद कराने की। आज हम सब तथा हमारे बच्चे अपने दैनिक उपयोग में होने वाली भाषा के रूप मे हिंगलिश का प्रयोग कर रहे हैं जो की हमारी मातृभाषा हिंदी के लिए खतरे की घंटी है। भारत की आजादी के पश्चात जब भारत के संविधान में भारत के राष्ट्रीय प्रतिकों को समाहित किया गया, जिनमें राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगा, राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ, राष्ट्रीय गान जन गण मन, राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम, राष्ट्रीय पशु बाघ, राष्ट्रीय फुल कमल, राष्ट्रीय पक्षी मोर, सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न, राष्ट्रीय खेल हॉकी, राष्ट्रीय जलचर डॉलफिन, राष्ट्रीय वृक्ष वट वृक्ष, राष्ट्रीय मुद्रा रुपया, राष्ट्रीय नदी गंगा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, राष्ट्रीय दिवस स्वतंत्रता दिवस, गाँधी जयंती और गणतंत्र दिवस, राष्ट्रीय लिपि या आधिकारिक लिपि देवनागरी को समाहित किया गया।

Hindi should be recognized as the national language in the country

वहीं राष्ट्रीय भाषा के रूप में भारत के दक्षिण प्रान्तों से हिंदी भाषा का विरोध होने के कारण हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा न देकर मात्र राजभाषा का दर्जा दिया गया, जिसके कारण आज हिंदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। आज हमारे बच्चे हिंदी शब्दों को भी हिंगलिश में लिख रहे हैं। व्यापार के बही खातों में भी हिंदी नदारद है, वहां भी इंग्लिश ने अपनी पैठ जमा ली है। आज हमें पुन: भारत को विश्व गुरु बनाना है तो हमें अपनी भाषा के महत्व समझना पड़ेगा। हमें अपनी भाषा को विश्व पटल पर स्थापित करना होगा जिससे पुरे विश्व मे भारत के प्रति आदर और सत्कार जागृत होंगे और भारत फिर से विश्व गुरु बन पायेगा। इन्ही सब विषयों को ध्यान मे रखते हुए अखिल भारतीय स्तर पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान का गठन हुआ है। यह संस्था वर्तमान में सम्पूर्ण भारत में अपने उदेश्य की प्राप्ति के लिए कार्य कर रही है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान, पुरे भारत वर्ष में कार्यरत एक ऐसी संस्था है जो हिन्दी भाषा के राष्ट्रव्यापी प्रचार और हिन्दी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आन्दोलन कर रही है। यह भारत में हिन्दी की स्थिति मजबूत करने के लिए गैरहिन्दी भाषी क्षेत्रों में व अन्य भारतीय भाषाओं का हिन्दी के साथ समन्वय स्थापित करते हुए हिन्दी को रोजगार मूलक भाषा बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान का एकमात्र उद्देश्य यही है कि हिन्दी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाया जाए। उन्होंने बताया वतर्मान में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के माध्यम से 1 लाख लोगों ने अपने हस्ताक्षर हिन्दी में करने का प्रण लिया है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ। अर्पण जैन ‘अविचल’ है। यह संस्था भारतवर्ष के 13 राज्यों में अपनी इकाई गठित कर हिंदी के सम्मान के लिए संघर्ष कर रही है।

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