सैकड़ों लोगों ने वनाधिकारों के लिए प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन
1 min readमार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, छत्तीसगढ़ राज्य समिति
सुप्रीम कोर्ट से करेंगे शिकायत
कोरबा। जिले के पाली विकासखंड के रैनपुर, केराकछार और कुटेलमुड़ा पंचायत के सैंकड़ों लोगों ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में रैली निकालकर पाली जनपद कार्यालय पर प्रदर्शन किया तथा जनपद के अधिकारियों को वनाधिकार के आवेदन पत्रों की पावती देने के लिए मजबूर किया। इस प्रदर्शन की अगुआई माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, राज्य समिति सदस्य सुखरंजन नंदी, छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता राकेश चौहान और टीसी सूरज ने किया।
इसके पूर्व प्रदर्शनकारी आदिवासी कई बार अपनी पंचायतों में में वनभूमि के पट्टों के लिए साक्ष्यों के साथ आवेदन कर चुके हैं, लेकिन उन्हें कभी इसकी पावती नहीं दी गई। केराकछार के परमेश्वर ने कहा कि पट्टा दिलाने के नाम पर पंचायत प्रतिनिधि, राजस्व और वन विभाग के कर्मचारी हजारों रुपये उनसे अवैध रूप से वसूल कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद पूर्व में दिए गए आवेदन पत्रों की वस्तुस्थिति के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं हैं।
रैनपुर के आदिवासी किसान मुखराम ने बताया कि पिछले माह गोठान-निर्माण के नाम पर जिस वनभूमि पर वे पीढ़ियों से बेस हुए हैं, वहां से उन्हें बेदखल करने के लिए उनके घरों को तोड़ दिया गया है। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकान भी शामिल हैं, जिसके निर्माण के लिए पंचायत ने ही अनुमति और राशि दी थी।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया कि वनभूमि का पट्टा देने के बहाए आदिवासियों को जबरन उजाड़ा जा रहा है, जबकि बेदखली के अपने आदेश पर स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने ही स्टे दे रखा है। उन्होंने कहा कि इस अन्याय की शिकायत माकपा सुप्रीम कोर्ट से भी करने जा रही है। इस क्षेत्र में वनभूमि पर काबिज आदिवासियों को पट्टा देने की मांग के साथ ही जनपद पंचायत के कार्यपालन अधिकारी को सौंपे अपने ज्ञापन में माकपा ने तोड़फोड़ करने वाले अधिकारियों व पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की भी मांग की है।
संजय पराते ।।सैकड़ों लोगों ने वनाधिकारों के लिए प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन, सुप्रीम कोर्ट से करेंगे शिकायत
कोरबा जिले के पाली विकासखंड के रैनपुर, केराकछार और कुटेलमुड़ा पंचायत के सैंकड़ों लोगों ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में प्ररैली निकालकर पाली जनपद कार्यालय पर प्रदर्शन किया तथा जनपद के अधिकारियों को वनाधिकार के आवेदन पत्रों की पावती देने के लिए मजबूर किया। इस प्रदर्शन की अगुआई माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, राज्य समिति सदस्य सुखरंजन नंदी, छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता राकेश चौहान और टीसी सूरज ने किया।
इसके पूर्व प्रदर्शनकारी आदिवासी कई बार अपनी पंचायतों में में वनभूमि के पट्टों के लिए साक्ष्यों के साथ आवेदन कर चुके हैं, लेकिन उन्हें कभी इसकी पावती नहीं दी गई। केराकछार के परमेश्वर ने कहा कि पट्टा दिलाने के नाम पर पंचायत प्रतिनिधि, राजस्व और वन विभाग के कर्मचारी हजारों रुपये उनसे अवैध रूप से वसूल कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद पूर्व में दिए गए आवेदन पत्रों की वस्तुस्थिति के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं हैं।
रैनपुर के आदिवासी किसान मुखराम ने बताया कि पिछले माह गोठान-निर्माण के नाम पर जिस वनभूमि पर वे पीढ़ियों से बेस हुए हैं, वहां से उन्हें बेदखल करने के लिए उनके घरों को तोड़ दिया गया है। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकान भी शामिल हैं, जिसके निर्माह के लिए पंचायत ने ही अनुमति और राशि दी थी। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया कि वनभूमि का पट्टा देने के बहाए आदिवासियों को जबरन उजाड़ा जा रहा है, जबकि बेदखली के अपने आदेश पर स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने ही स्टे दे रखा है। उन्होंने कहा कि इस अन्याय की शिकायत माकपा सुप्रीम कोर्ट से भी करने जा रही है। इस क्षेत्र में वनभूमि पर काबिज आदिवासियों को पट्टा देने की मांग के साथ ही जनपद पंचायत के कार्यपालन अधिकारी को सौंपे अपने ज्ञापन में माकपा ने तोड़फोड़ करने वाले अधिकारियों व पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की भी मांग की है।