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November 20, 2024

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मुख्यमंत्री कैबिनेट की आज अहम बैठक

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रायपुर/ बिलासपुर से प्रकाश झा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज कैबिनेट की बैठक लेंगे. छत्तीसगढ़ सरकार ने अक्टूबर महीने में विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पारित किया था, जिस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इसके बाद भूपेश कैबिनेट की अहम बैठक आज मुख्यमंत्री निवास में बुलाई गई है. इस बैठक में मंडी लोक विधेयक के साथ-साथ धान खरीदी और विधानसभा के शीतकालीन सत्र के साथ अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.

इस बैठक में कई अहम विषयों पर फैसला हो सकता है. कैबिनेट मीटिंग में धान खरीदी की चौथी किस्त देने को लेकर चर्चा हो सकती है. साथ ही खराब मौसम की वजह से फसलों को जो नुकसान हुआ है, उसके मुआवजे को लेकर भी चर्चा हो सकती है. इसके अलावा मंडी लोक विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने पर भी चर्चा हो सकती है.

बारदानों की कमी पर हो सकती है चर्चा

कैबिनेट की बैठक में बारदानों की कमी को दूर करने को लेकर भी चर्चा होगी. इसके अलावा धान खरीदी की आखिरी तारीख भी तय की जा सकती है. वहीं बैठक में सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर भी बात हो सकती है.


मंडी संशोधन विधेयक पर टकराव
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि बिल को लेकर कांग्रेस देशभर में विरोध कर रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और यहां भी सरकार ने इस बिल को लेकर विरोध किया है. अब राज्य सरकार किसानों के लिए मंडी संशोधन विधेयक को विधानसभा में पारित करवा लिया है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे गए विधेयक पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इसे लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी, जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 28 नवंबर को कैबिनेट की अहम बैठक बुलाने का फैसला लिया गया.
कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक लेकर रही है सरकार और राज्यपाल में टकराव की स्थिति
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कृषि मंडी संशोधन विधेयक पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव के हालात को लेकर राजनीतिक दलों के भले ही अलग-अलग तर्क हैं, लेकिन संविधान विशेषज्ञों ने इस विषय पर चिंता जताई है. संविधान विशेषज्ञ और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहे डॉक्टर सुशील त्रिवेदी ने बताया कि संवैधानिक नियमों के तहत राज्यपाल, पारित विधेयक को एक बार राज्य सरकार को वापस भेज सकती है. इसके बाद यदि यह राज्य सरकार विधेयक उसे फिर से भेजे तो, राज्यपाल को विधेयक को मंजूर करना अनिवार्य हो जाता है. इसके अलावा राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति को भेज कर उनका भी मत मिलने का इंतजार करेंगे.
राज्यपाल को जानने का अधिकार
इस मसले को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने कहा था कि राज्यपाल संवैधानिक पद है, इसे लेकर टिप्पणी करना सही नहीं है. उनका कहना था कि राज्य सरकार जिस तरह से मंडी टैक्स में संशोधन करके नया कानून ला रही है, उसमें अनाज और रॉ मटेरियल दोनों में टैक्सेशन है, जो कि गलत है. राज्य सरकार मंडी की आय की चिंता कर रही है, लेकिन किसानों की आय की चिंता नहीं कर रही है. अगर इस बात की जानकारी राजभवन की ओर से ली जा रही है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है.
विवाद के बाद मिली विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी
27 और 28 अक्टूबर को विधानसभा में विशेष सत्र बुलाने को लेकर भी राजभवन में फाइल भेजी गई थी, लेकिन राज्यपाल ने फाइल को लौटा दिया गया था. राजभवन की तरफ से यह कहा गया था कि ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए. काफी विवाद के बाद राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाने को मंजूरी दी

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