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October 17, 2024

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मैनपुर में सड़क, पुल पुलिया, स्कूल के साथ जंगली हाथियों के हमले को लेकर सैकड़ों क्षेत्रवासियों ने जंगी रैली निकाल धरना प्रदर्शन किया

  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • शिक्षा कार्यालय का घेराव कर जमकर किया नारेबाजी, ग्रामीणों के साथ स्कूली बच्चे भी शामिल

गरियाबंद । तहसील मुख्यालय मैनपुर नगर में आज गुरूवार को आदिवासी भारत महासभा एवं समस्त किसान मजदूर संघ द्वारा सुबह 11 बजे से जिड़ार रोड़ में धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया गया और दोपहर 3 बजे विशाल रैली निकाली गई इस रैली में शामिल होने विकासखण्ड क्षेत्र भर से बड़ी संख्या में आदिवासी किसान, मजदूर व क्षेत्र के ग्रामीण पहुंचे और विकासखण्ड शिक्षा कार्यालय मैनपुर का घेराव कर दिया गया विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा ग्राम ईचरादी स्कूल में शिक्षक व्यवस्था करने के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने रैली निकालकर एसडीएम कार्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौपा गया।

आदिवासी भारत महासभा के अध्यक्ष भोजलाल नेताम,सौरा यादव, जिला पंचायत सभापति लोकेश्वरी नेताम, महेंद्र नेताम, सियाराम ठाकुर, रामस्वरूप मरकाम ने धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा आजादी के 75 वर्षो बाद भी मैनपुर और देवभोग क्षेत्र की जनता सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, पुल पुलिया, स्कूल, शिक्षक जैसी समस्याओं के लिए आंदोलन करने बाध्य हो रहे है इसके लिए सिर्फ सत्ता में बैठे लोग जिम्मेदार है आज हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे है दूसरी ओर आदिवासी क्षेत्र के बच्चो को पढ़ाने के लिए शिक्षक नही है। श्री नेताम ने कहा अब आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीण अपने ऊपर हो रहे अन्याय को ज्यादा दिन बर्दास्त नही करेगी और सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ेगी।

प्रमुख मांगे

मैनपुर क्षेत्र में आये दिन हाथियों के दल द्वारा मकान, फसल व जनहानी किया जा रहा है तत्काल वन विभाग उचित व्यवस्था करें। ग्राम इजरादी में विगत 8 वर्ष पूर्व आश्रम शाला का शुभारंभ किया गया है परंतु आज भवन और शिक्षक की व्यवस्था नही किया गया है तत्काल व्यवस्था किया जाये। ’चिटफंड कंपनियों द्वारा क्षेत्र के कई गरीब मजदूर किसानो की गाड़ी मेहनत का पैसे को लालच देकर अपनी कंपनियों में जमा कराया गया लेकिन आज तक निवेशकों को अब वापस नहीं मिला है उसे तत्काल वापस दिलाया जाए। आदिवासियों को जमीन और जंगल पर उनके अधिकारों से बेदखल करने में सहायक सभी निरंकुश कानूनों को खारिज किया जाना चाहिए,छत्तीसगढ में 55 प्रतिशत वन अधिकार के खारिज दावों की जांच कर आदिवासियों को वन अधिकार मान्यता प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए,वन अधिकार मान्यता कानून 2006 और कम्पेन्सेण्टरी फारेस्ट एक्ट लागू किया जाए। आदिवासियों के निवास स्थलों, संस्कृति और भाषा की रक्षा की जाए, सबके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रोजगार सुनिश्चित किया जाए आदिवासी बहुल इलाकों में ग्राम सभा, पेसा कानून, संविधान की पांचवीं व छठवीं अनुसूचि लागू किया जाए।