छ.ग.में पत्रकार नहीं है सुरक्षित, पत्रकार सुरक्षा कानून लागू होना चाहिए-सत्यनारायण पटेल भाजयुमो जिलाउपाध्यक्ष
1 min read- गोलू कैवर्त, बलौदाबाजार
छत्तीसगढ़ प्रदेश में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों के बीच शनिवार को कांकेर के एक वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता कमल शुक्ला को भी निशाना बनाया गया और सत्ताधारी दल कांग्रेस के दबंगों ने शुक्ला के साथ गाली-गलौच करते उनकी पिटाई कर दी। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। लेकिन विडम्बना है कि कानूनी रूप से इसे चौथा स्तंभ का दर्जा अब तक नहीं मिल पाया है,जो चिंता का विषय है। प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार को पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रदेश में कांकेर के पत्रकार के साथ हुई घटना हृदय विदारक है,एवं लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के साथ अन्याय है।
कांकेर में पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता कमल शुक्ला के साथ हुई घटना को लेकर सत्यनारायण पटेल भाजयुमो जिलाउपाध्यक्ष बलौदाबाजार भाटापारा ने मीडिया के माध्यम से कहा है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। जहां विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए तो सुरक्षा, संरक्षण और विशेषाधिकार कानून है। चौथा स्तंभ एवं समाज का दर्पण कहलाने वाली मीडिया इससे अछूता है। सभी वर्ग के अधिकारों और कर्तव्य के लिए आगाह करने वाले पत्रकार अब स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
बदली हुई परिस्थितियों में असामाजिक तत्वों एवं अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त लोगों ने प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करना तेज कर ,प्रेस की स्वतंत्रता और आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। जिसकी जितनी निंदा की जाए कम ही है ।ऐसी परिस्थितियों में पत्रकारों की अभिव्यक्ति को संरक्षित करने काननू बनाया जाना चाहिए। प्रदेश में पत्रकारों के साथ ऐसी घटना घोर निंदनीय है।
भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष ने कहा कि समाज को आईना दिखाने वाले मीडिया को सिर्फ चौथा स्तंभ कहने मात्र से उनके अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन नहीं होगा। इसके लिए कानूनी संरक्षण आवश्य है। प्रदेश में आए दिन पत्रकारों पर हो रहे जानलेवा हमला तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि पत्रकार विभिन्न विषम परिस्थितियों मे चाहे लाठी चार्ज, बाढ़-सूखा की स्थिति, दुर्गम क्षेत्रों में होने वाली विभिन्न घटनाओं और प्राकृतिक तथा मानवीय आपदा के बीच जान जोखिम मे डालकर खबर लेने जाते हैं,और समाज के हर तबके तक अपनी रिपोर्टिंग पहुचाने में सदियों से योगदान देते आ रहे हैं ।इसके अलावा एक सच्चाई यह भी कि पत्रकारों को किसी दमदार,रसूखदार व्यक्तित्व अथवा असमाजिक तत्वों के खिलाफ खबर प्रकाशन करने पर परिवार को आर्थिक तथा जान से मारे जाने का जोखिम भी उठाना पड़ता है।
पत्रकार एवं मीडिया शासन-प्रशासन और जनता के बीच सेतु का काम करने वाली मजबूत कड़ी हैं। यदि पत्रकार सुरक्षित नहीं होंगे तो जनता की आवाज कैसे बुलंद होगी। पत्रकारों एवं मीडिया पर हमला मतलब हमारे संविधान पर हमला है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला करने वाले उन सभीअपराधियों पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए तभी लोकतंत्र के सिपाहियों को सही मायनों में न्याय मिलेगा।