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October 17, 2024

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लोहारों का पैतृक व्यवसाय अब विलुप्ति के कगार पर… परम्परागत व्यवसाय करने वाले लोहारों के जीवन स्तर ऊंचा

  • रामकृष्ण ध्रुव गरियाबंद
  • उठाने के लिए सरकार को योजना बनाने की जरूरत है, जिसने इनका आर्थिक विकास हो सके

वर्तमान समय मे अंचलों में पुस्तैनी व्यवसाय धीरे धीरे दम तोड़ते नजर आ रही है। रेडीमेंट, मशीनीकरण के चलते एवं बेरोजगारी बढ़ने के साथ साथ परंपरागत व्यवसाय से लोग विमुख होने लगे है। बीते समय के साथ साथ अब खेती किसानी कार्य के लिये गांव गांव में लोहे के काम करने वालो की आवश्यकता महसूस की जाती हैं। बाजार मे रेडीमेंट औजार उपलब्ध हो जाने से लोहारों के पैतृक व्यवसाय अब धीरे धीरे विलुप्ति के कगार पर है। गांवों में खेती कार्य करने वाले किसान खेती के काम मे आने वाले सभी औजारो को व्यवस्थित कर साल भर तक रखे रहते हैं।

खेेती के काम मे प्रयोग होने वाले टंगली, बसुला, हंसिया, गैंती, कुदाली, रापा, सब्बल आदि प्रकार के औजारो को तैयार कर कृषि कार्य में जुट जाते है किन्तु रेडीमेंट औजारो के चलते परपंरागत औजारो पर ग्रहण लग गया है। उल्लेखनीय है कि अब रेडीमेंट और मशीनो से बनाया हुआ औजार बाजार में आसानी से मिल जाता है। एक समय था लोहर किसानो के लिये प्रमुख सहायक के रूप मे काम करते थे। क्षेत्र के अनेक गांवो मे ऐसे ही लोहार जो आसपास के गांवों के किसानों का टंगली, हंसिया, गैती आदि को मरम्मत करते हैं। उनका काम अब धीरे धीरे कमजोर होता जा रहा है। किसी तरह इस परंपरा गत व्यवसाय से आज भी कई लोहार अपनी आजीविका चला रहे हैं।

आज से कुछ वर्ष पहले तक ठीक धान बोनी से पहले जून के माह मे मानसून के साथ लोहारो के कार्य बढ़़ जाते थे और उनको आराम करने की भी फुरसत नही होती थी। क्योंकि हर किसान अपने कृषि औजारो के मरम्मत मानसून से पहले ही करा लेते थे और लोगो को लंबे इंतजार करना पड़ता था लेकिन धीरे धीरे मशीनी युग ने अब इन व्यवसायो पर ग्रहण लगा रहा है। नगर से लगे ग्राम हरदीभाठा मे कृषि औजारो के मरम्मत करने वाले शोभाराम लोहार ने बताया कि पहले किसान अपने कृषि औजारो को संभाल कर रखते थे। और मानसून से पहले सभी का मरम्मत करवाते थे लेकिन आज आधुनिकता के दौर मे मशीनीकरण के चलते अब छुट पुट काम ही रह गये हैं। धान बोनी से लेकर धान कटाई तक पहले उन्हे फुरसत नहीं मिलती थी लेकिन अब ऐसा नही रह गया है अपने पैतृक व्यवसाय होने के कारण वे इस व्यवसाय को कर रहे हैं। शासन प्रशासन को चाहिए कि इस परंपरागत व्यवसाय करने वाले लोगो के लिये योजना बनाकर उन्हे शासन की अनेक योजनाओ का लाभ दिया जाये जिससे इनके जीवन स्तर उंचा उठ सके साथ ही इन्हे आर्थिक सहायता प्रदान कर इस व्यवसाय को आधुनिकीकरण से जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए। शासन अन्य परंपरागत व्यवसाय के लिये तरह तरह के मदद व योजनाएं बना रही है उसी तरह लोहारों के लिये भी योजना बनाकर इनके व्यवसाय को और बेहतर करने के लिये कार्य करने की आवश्यकता है।

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