11 दिनों से तालचेर कोलफील्ड्स के खदान बंद, 18.94 लाख टन कोयले के उत्पादन का नुकसान
1 min readखदान यत्रांशों की 5 स्तरीय सुरक्षा जाँच एवं अनुमति मिलने के उपरान्त ही तालचेर में खनन कार्य शुरू हो सकता है
सम्बलपुर / अंगुल। तालचेर के भरतपुर में हुए भूस्खलन के उपरान्त ग्रामीणों ने तालचेर स्थित देश के सबसे बडे तालचेर कोलफील्ड्स के समस्त खदान कार्य को ग्यारह दिनों से बन्द रखा है । आज महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) प्रबंधन ने इस मानसून के दौरान खानों की सुरक्षा स्थितियों की जाँच को त्वरान्वित करने और संरचनात्मक निरीक्षण की योजना बनाने के लिए अपने सुरक्षा दल को सतर्क कर दिया है जिससे मानसून के दौरान जल भराव को रोका जा सके ।
पांच-स्तरित सुरक्षा जाँच कमिटी द्वारा एमसीएल की खदान को दुर्घटना रहित खनन संचालन सुनिश्चित करने के लिए तथा खदान कर्मचारी व मशीन के आवागमन समेत खदान के सामने जगह, ओबी डंप, विद्युतीकरण नेटवर्क, खुदाई उपकरण और हॉल रोड की जाँच पूरी हो जाने के उपरान्त तथा संबंधित खनन इकाइयों के वैधानिक प्राधिकरण द्वारा क्लियरेंस मिलने के बाद ही खनन कार्य चालू हो सकता है । यह देखा गया है कि 23 जुलाई, 2019 रात को भरतपुर क्षेत्र के खदान भूस्खलन की वजह से दुर्घटना हुई, इसके पश्चात तालचेर के स्थानीय लोगों द्वारा समस्त तालचेर कोयला ख्दानों के खनन कार्य को अवैध बंद कर दिया गया, जिससे खदान की स्थिति असुरक्षित हो गयी एवं दैनिक सुरक्षा आकलन की जॉंच कार्य भी बंद हो गया, क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा अनुमति नहीं दी गई ।
हालांकि कंपनी जल्द से जल्द खनन कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए सभी प्रकार प्रयास करने के बावजूद भी सुरक्षा टीमों द्वारा खदान में जाने के लिए रोक रहे हैं कयोंकि खादन की जॉंच, परिवहन सड़कों, कोयले में आंतरिक दहन, जल जमाव और डंप स्लाइड्स, इलेक्ट्रीसिटी ब्रेकडाउन सहित, तकनीशियनों द्वारा समय-समय पर रखरखाव नहीं किए जाने के कारण ईंधन से भरी खनन मशीनो सभी खराब हो जायेंगे । पिछले 10 दिनों से निष्क्रिय होकर पडा खादान कार्य को पुन: चालू करने के लिए सुरक्षा और संचालन दल को अधिक समय लग सकता है ।
चार श्रमिक संगठनों ने खदानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आशंका व्यक्त की है और 1अगस्त को अनगुल जिलाधीश को अपना ज्ञापन सौंपकर मामले में हस्तक्षेप करने और खदान कार्य को सामान्य स्थिति में लाने हेतु आग्रह किया है।
इस बीच, महानिदेशक खान सुरक्षा (डीजीएमएस) और आंतरिक सुरक्षा संगठन (आईएसओ) द्वारा की जा रही जॉंच के अलावा, एमसीएल ने भारत सरकार के राष्ट्रीय ख्यातिनामा संस्था सीएसआईआर के तहत केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान (CIMFR), धनबाद को जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नियुक्त किया है ।
पिछले 24 जुलाई से एमसीएल को १८.९४ लाख टन कोयले के उत्पादन का नुकसान हुआ है, जिसका मूल्य 170.96 करोड़ रुपये है । 21.76 लाख टन कोयला उपभोक्ताओं को प्रेषण में बाधा आने के साथ साथ 18.52 लाख क्यूबिक मीटर ओवर बर्डन निकसी में बाधा प्राप्त हुआ जबकि राज्य और केंद्रीय सरकार को रू 124.46 करोड रुपये राजस्व नुकसान हुआ है। यह अनुमान लगाया जाता है कि तालचेर के कोयला खदानों से ईंधन(कोयला ऊर्जा) की शून्य आपूर्ति के कारण बिजली उत्पादन में बाधा आई है जबकि 3005.77 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन में प्रभावित हुआ है।
कंपनी ने कर्मचारी मुआवजा (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत मुआवजा रू 5.00 लाख रुपये है जो कि ग्रेच्युटी व भविष्य निधि को मिलाकर कुल मुआवजा रशि रू 4.00 लाख से लेकर रू 9.00 लाख तक आ सकता है । इसके अलावे मृतक परिवार के एक सदस्य को ठेका श्रमिक के रूप में कार्य करने लिए नौकरी प्रस्ताव भी दिया है। इसके साथ उच्चस्तरीय वेतनमान के साथ 20,000रुपये से 22,000 रुपये तक मासिक वेतन आ सकता है।
हालांकि, एक राजनीतिक संगठन ने भरतपुर दुर्घटना के बाद खदान कार्य को बन्द कर दिया था एवं आन्दोलन को वापस लेने के उपरात तालचेर के कुछ ग्रामीणों ने मृतक श्रमिकों के परिवार वर्ग को मुआवजे राशि रूपये 3.00 करोड़ रुपये की अनुचित मॉंग करते हुए तथा ठेकेदार फर्म के मृतक श्रमिकों को एमसीएल में स्थायी नौकरी देने की मॉंग करते हुए 31 जुलाई,2019 को तालचेर के समस्त खदान कार्य को बन्द कर दिया जिससे उद्योगों को कोयले का संकट का सामना करना प्डा ।
खदानों में तैनात भारी यंत्राशों, उपकरण और कंपनी के 13,000 से अधिक कर्मचारियों के अलावा, लगभग 10,000 ठेकेदारों के श्रमिकों को बेकार बैठने के लिए मजबूर है जबकि कोयले की खदानें पर निर्भरशील ट्रांसपोर्टरों, सहयोगी सेवा प्रदाताओं, छोटे और मध्यम व्यापारियों और उनके परिवारों आदि 20,000से अधिक लोग को वित्तीय नुकसान उठाना पड रह हैं। ।