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November 18, 2024

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छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की पहचान है मड़ाई मेला – संजय नेताम 

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • ग्राम मुड़गेलमाल मड़ाई मेला में देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने उमड़ी भीड़ 
  • रात्रिकालीन उड़िया नाटक देखने उमड़ी भीड़

गरियाबंद । मैनपुर विकासखण्ड के ग्राम मुड़गेलमाल में मड़ाई मेला आयोजन किया गया, मडाई मेला का शुभारंभ ग्राम की देवी देवताओं की पुजा अर्चना कर प्रारंभ किया गया मड़ाई मेला में शामिल होने क्षेत्रभर से देवी देवताओं की डांग डोली और ध्वजा पहुंचे विधिवत पुरे ग्रामवासियों द्वारा देवी देवताओं की पुजा अर्चना कर क्षेत्र में सुख शांति, समृध्दि खुशहाली की कामना किया गया । मड़ाई में इतना उत्साह देखने को मिला कि 44 डिग्री तापमान में भी मड़ाई मेला में शामिल होने छत्तीसगढ ओडिसा से हजारों लोग पहुंचे थे, जंहा देवी देवताओं की शोभायात्रा निकाली गई और चारो तरफ धार्मिकमय माहौल देखने को मिला कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ग्राम के पुजारी,झांकर बैगा सिरहा, गंगेश्वर धुर्वा, पुजारी, पुरीतराम धुर्वा, पुजारी फूल सिंह धुर्वा, पुजारी ,टीकचंद यादव , तिलक चंद्र धुर्वा, पटेल तिलक चंद्र ध्रुव ,गोवर्धन भैंसाल ,भगवान सिंह सिरहा, लखन लाल यादव, हलमन धुर्वा, रेखचंद धुर्वा,कृष्ण कुमार त्रिपाठी, खेदुराम यादव, सरपंच पंच कोटवार सभी उपस्थित हुए।

  • रात में उड़ीया नाट्क देखने उमड़ी भीड़ 

ग्राम मुडगेलमाल मडाई मेंला मे रात में उड़िया नाट्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसे देखने रात भर लोगों की भींड लगी रही मड़ाई मेला में शामिल होने जिला पंचायत गरियाबंद के उपाध्यक्ष संजय नेताम पहुंचे ग्रामीणों ने उनका आत्मीयता से स्वागत किया इस दौरान संजय नेताम ने देवी देवताओं की पुजा अर्चना कर क्षेत्र में सुख शांति समृध्दि और खुशहाली की कामना किया तथा मड़ाई मेला कार्यक्रम की बधाई देते हुए कहा कि हमारी लोक संस्कृति की पहचान मंडाई मेला हमारी प्राचीन धरोहर है, ऐसे कार्यक्रमो में आसपास और दुर दुर से ग्रामीण परिवार के लोग शामिल होते है, और आपसी मेल-जोल बढता है, हमारे पुर्वेजो द्वारा बनाई गई इस परम्परा को आज भी ग्रामीण अंचल के ग्रामीण उत्साह पूर्वक मनाते है निश्चित रूप से इस तरह के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने से जंहा गांव में एक ओर सुख शांति समृध्दि बनी रहती है वही लोगों में भाईचारा मजबूत होता है, श्री नेताम ने कहा कि मड़ाई मेला आपसी सदभाव और भाईचारा का पर्व है।