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मनरेगा: पंचायत के सरकारी भवनों में लगेगा रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

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Shikha Das, Mahasamund

प्रवासी मज़दूरों को मिलेगा काम , मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. रवि मित्तल ने माँगी जानकारी

महासमुंद 31 जुलाई 2020

बचपन से सुनते आए है जल है तो कल है… इसी सोच के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने राज्य में जल संरक्षण की पहल की है। इसके तहत वर्षा जल की बर्बादी रोकने के लिए अब पंचायत स्तरीय सरकारी भवनों में रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की योजना बनाई है। वर्षा का अधिकांश जल यूहीं बहकर बर्बाद हो जाता है। इससे पर्याप्त भू-जल रिचार्ज नहीं हो पाता है। इस वजह से अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है गर्मी के मौसम में जलसंकट के कारण लोगों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। आने वाली गर्मी में ऐसी स्थिति न हो इसे ध्यान में रखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने निर्णय लिया है।

वर्षा जल का स्वच्छ तरीके से होगा जमा

महासमुंद जिले में औसतन तक़रीबन 1200 मिलिमीटर बारिश होती है, बावजूद इसके प्रत्येक वर्ष गर्मी के मौसम में जलसंकट की स्थिति रहती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने की तैयारी है। ताकि वर्षा जल को स्वच्छ तरीके से जमा कर उन स्थलों के भू-जलस्तर को रिचार्ज किया जा सके।

महासमुंद जिले के ग्रामीण इलाकों के 100 से ज़्यादा पंचायतों के नए आंगनबाडी, पंचायत भवन में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। इसके अलावा पुराने ग्रामीण सरकारी भवनों में रुफ-टॉप पर वाटर हार्वेस्टिंग* में भी अब रेन वाटर हार्वेस्टिग, कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम से कराया जाएगा। प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए यह पहल मील का पत्थर साबित होगी। यदि इस दिशा में मजदूरों का आकर्षण बढ़ा, तो उच्चतर पर और योजनाओं का प्लान तैयार किया जा सकता है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. रवि मित्तल ने मनरेगा के तहत जिले के गांवों में सरकारी या पंचायत भवनों में छत पर निर्मित वर्षा जल संचयन संरचनाओं की जानकारी सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत से मांगी है। ताकि सभी नव निर्मित हो रहे भवन आंगनबाडी, पंचायत भवन में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाया जा सके ।
डॉ. रवि मित्तल ने वर्षा जल संचयन से संबंधित एवं अन्य दूसरी योजनाओं के क्रियान्वयन का आग्रह किया है। रेन वाटर हार्वेस्टिग के लिए योजना तैयार करने का निर्देश जनपद पंचायत को दिया है। इसके लिए तक़रीबन 15 लाख रुपये की योजनाओं का क्रियान्वयन कराया जाएगा। जिससे सैकड़ों मानव दिवस सृजित होंगे। मनरेगा से संबंधित विभिन्न कार्यों के क्रियान्वयन कराए जाने का अनुरोध किया गया है। इस कार्य से मनरेगा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध तो होगा ही बल्कि कोरोना के कारण लॉकडाउन में जिले में वापस आए क़रीब प्रवासी मज़दूरों को भी काम मिलेगा।

मालूम हो कि जिले में लगभग 1 लाख 80 हज़ार जाबकार्ड मनरेगा मज़दूर है । वहीं 384965 श्रमिक है । इनमें प्रवासी मजदूर भी शामिल है । मनरेगा में काम करने वाले प्रवासी जॉबकार्डधारियों को दो किलोमीटर की परिधि में काम उपलब्ध कराया जाएगा।लगभग 1 लाख 80 हज़ार है । करीब करीब 13 हजार का जॉबकार्ड निर्गत किया गया है। जिसमें एक हजार से अधिक टंडवा प्रखंड के हैं। रेलवे में काम करने वाले प्रवासी जॉबकार्डधारियों को दो किलोमीटर की परिधि में काम उपलब्ध कराया जाएगा। जिले के नये 91 आंगनवाड़ी भवन, 07 नवीन ग्राम पंचायत भवन के साथ साथ अन्य पुराने सरकारी भवनों मे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने के निर्देश दिए गए है । रेन-वाटर हार्वेस्टिंग के लिए मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत ग्रामीण सरकारी या पंचायत भवनों की छत पर आवश्यक संरचनाओं का निर्माण किया जा सकेगा। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा इसे मनरेगा के तहत किए जा सकने वाले कार्यों में शामिल करने के बाद राज्य शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सरकारी भवनों में रूप-टॉप वाटर हार्वेस्टिंग के निर्देश दिए हैं।
वाटर हार्वेस्टिंग के लिए ड्रिलिंग या नवीन रिचार्ज शॉफ्ट खनन का कार्य मनरेगा के तहत नहीं कराया जा सकता है। लेकिन छत से बारिश का पानी ‘फिल्टर मीडिया’ के द्वारा रिचार्ज स्ट्रक्चर जैसे रिचार्ज शॉफ्ट, ट्रेंच, डगवेल, परित्यक्त ट्यूबवेल, हैंडपंप इत्यादि में डायवर्ट करने के लिए जरूरी संरचनाओं का निर्माण कराया जा सकता है। वर्षा जल का उपयोग करते हुए भूमिगत जल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए छत के ऊपर जल भंडारण का कार्य ऐसी जगहों पर लिए जाएं जहां भू-सतह पर वर्षा जल भंडारण के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है। छत पर वर्षा जल संचयन प्रणाली की संरचनाओं निर्माण भी जिले मे प्रारम्भ हो चूका है। मनरेगा के तहत गांवों में सरकारी या पंचायत भवनों में छत पर निर्मित वर्षा जल संचयन संरचनाओं की जानकारी भी सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत से मांगी है।

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