वकील अनुपस्थित, वनाधिकार कानून के प्रति मोदी सरकार संवेदनहीन – किसान सभा
1 min read
रायपुर। वनभूमि से आदिवासियों की बेदखली के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई से केंद्र सरकार के वकील की अनुपस्थिति की छत्तीसगढ़ किसान सभा ने तीखी आलोचना की है तथा कहा है कि मोदी सरकार का पूरा रवैया आदिवासीविरोधी, वनाधिकार कानून के खिलाफ और कॉर्पोरेटपरस्त है। किसान सभा ने रेखांकित किया है कि इसके पहले भी केंद्र सरकार के वकील इस मामले में लगातार अनुपस्थित रहे थे, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को याचिकाकर्ता गुमराह करने में सफल रहे थे और आदिवासियों की बेदखली जैसा फैसला आया है। आदिवासियों के प्रति मोदी सरकार की हृदयहीन संवेदनहीनता लगातार जारी है। वह चाहती है कि वनाधिकार कानून को सुप्रीम कोर्ट अवैध घोषित कर दे।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने इस मामले में आदिवासी-हितों व वनाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों को पक्षकार बनाने और वाइल्ड लाइफ नामक एक पर्यावरणवादी संस्था को इस मुकदमे से हटने को स्वागतयोग्य बताया है तथा कहा है कि पूरे देश में आदिवासियों व वनाधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन संगठित किये जाने का ही यह सकारात्मक नतीजा है। किसान सभा ने घोषणा की है कि आदिवासियों के हितों व वनाधिकारों की रक्षा के लिए उसका अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक कि आदिवासियों के साथ जारी ऐतिहासिक अन्याय को जड़ से खत्म नहीं कर दिया जाता।