वकीलों के बेमियादी आंदोलन से जेल में रहने-खाने का संतुलन बिगड़ा

कोर्ट के ठप रहने से प्रभावित लोगों में असंतोष, मानव अधिकार आयोग से हस्तक्षेप की गुहार
राउरकेला। एसडीजेएम प्रकरण में वकीलों के बेमियादी आंदोलन से विभिन्न विभागों का कोर्ट ठप है। इसका असर सबसे अधिक राउरकेला स्पेशल जेल पर पड़ा है और इसका सबसे अधिक खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है, जो मामूली केस मुकदमे में जेल गए हैं, लेकिन वकीलों के आंदोलन के चलते उनकी जमानत नहीं हो रही है, जिन्हें दो चार दिन में जमानत मिल जानी चाहिए, वे पखवाड़े भर से अधिक समय से जेल में मानसिक यातना सह रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जमानत पर ब्रेक लगने से जेल में रहने व खाने का संतुलन बिगड़ गया। वकीलों के आंदोलन के चलते जेल में मजबूरन रह रहे लोगो के परिजनों ने वकीलों के आंदोलन से हो रही परेशानी पर क्षोभ जताते हुए जहां मानव अधिकार आयोग से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
वहीं दूसरी ओर न्यायिक विभाग से जेल में कैम्प कोर्ट लगाने की अपील की, ताकि बेवजह मामूली केस मुकदमों में जेल की सजा काट रहे लोगों की राहत मिल सके। अक्सर जेल में औसतन पांच सौ से कैदी रहते हैं, लेकिन वकीलो ंके आंदोलन से जमानत पर ब्रेक लगने से बीस दिनों के भीतर यह संख्या बढ़ कर साढे छह सौ से पार कर गयी है, जिससे जेल मे ंकैदियों के रहने व खाने का संतुलन तो बिगडा ही है। वहीं परोक्ष रूप से जेल की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है, जिससे जेल में कोर्ट में लगा कर मामूली मामलों में बेवजह जेल में सजा काट रहे लोगों को जमानत मिल सके।