भीड़ पर कोरोना नहीं अब तो कोरोना पर भीड़ भारी !- शिखादास
1 min readकोरोना महासँक्रमण काल
भीड़ पर कोरोना नहीं अब तो कोरोना पर भीड़ भारी !
त्वरित टिप्पणी
(व्यंग्य लेख -शिखादास )
(SHIKHA DAS MAHASAMUND C.G)
कोरोना सँक्रमण महाकाल और PUBLIC
एक पुराना गाना याद आ रहा^^ ये तो PUBLIC हैं भई सब जानती हैं ये तो PUBLICहैं
अन्य क्या है
बाकी गाना आपको याद आ ही जायेगा ।
कोई खुशी में ये गाना याद नही आया मुझे
ये PUBLIC भीड़ की गैर जिम्मेदारियों से भरी लापरवाही देखकर पूरे देश की बात तो आ ही रही पर हमारे महासमुँद जिला की ही नजारो को देखिए क्या साँकरा क्या पिथौरा क्या महासमुँद सब जगह मानो भीड़ ने कसम खा ली हैं कि जब तक जुर्माना नही लगेगा :;जब तक पुलिसकर्मीयो का डण्डा इनसे रूखसत नही होगा तब तक ये अँगद के पाँव की तरह टस से मस नही होंगे ।इनको सब कुछ जानने वाली इस PUBLIC को ना अपने जान की चिंता न समाज की ।
इन्हें रोज काल का ग्रास ,; बढ़ता ग्राफ भी नही दिखता नही दिखती इन्हें बेहिसाब मरते लोग :
सँक्रमण के बाजार से इनका घमण्ड इन्हे खौफजदा होने से रोकता हैं!
तभी तो चेतावनी के बावजूद मुँह मे ना MASK लगाते ना रूमाल बाँधते ना थूकने से परहेज करते ना SOCIAL DISTANCE 2 गज की दूरी
अपनाना चाहते /
ये भीड़ लाइलाज व शर्म से परे हैं तब ही तो बोलने पर रौब झाड़ती हैं या दाँत निपोरती चली जाती हैं ।
शर्म तो आती ही नही इस भीड़ को।?
ना दिन रात फ्लैगMARCH करते दौड़ती हाँफती समझाते हुए पुलिसकर्मीयो पे तरस आती
ना इन्हे सँक्रमित होते मरते परिवारो को अनाथ होते देख कोरोना वारियसॆ पे तरस आती हैं ।
ये भीड़ नही लगायेँगे तो इनका रूपया पैईसा CHINA BANKभाग जायेगा सब्जियाँ ना जाने अन्य MARKET भाग जायेँगी
एक दिन थोड़ी कम सब्जी से खा लेँगे तो HEALTHY नही रहेंगे ? भले ही भीड़ बढ़ाकर सँक्रमण के शिकार हो या सँक्रमण कर दें ।
इस कड़ी में पिथौरा COOPRATIVE BANK का प्रबँधन व PUBLIC दोनों ही अव्वल हैं कसम खा चुके हैं कि कुछ भी हो जाये हम सुधरेँगे नही ।भीड़ लगा के ही रखेँगे । कोरोना COOPRATIVE BANK के आसपास फटकेगा भी नहीं ।भले पुरे विश्व में फैल गया हो । सब्जी MARKETकी भीड़ व BANKS में जमी भीड़ चाहे कहीं भी थूकते गैरजिम्मेदार लोग !
भीड़ का आपराधिक तमाशा देखिए शर्मनाक!
एक उल्लेखनीय घटनाक्रम के पहलू ने स्तब्ध कर दिया कि LOCKDOWN के बीच 6लोगो की भीड़ ने अपहरणकर्ताओं के रूप मे अपहरणकाण्ड को अँजाम दे दिया और इस कोरोना काल की ड्यूटी मे हलाकान हुई पुलिस पर सकुशल अपहृत 2 मिल गये शीघ्र 6आरोपी जेल गये सन्दभॆ यह कि इस दौर मे भी ऐसी घृणित घटनाओं को अँजाम देने से बाज ना आने वाले ये समाज के दुशमन कानून से नही कोरोना वायरस से भी नही डरे।
ये सिर्फ और सिर्फ जुर्माना व पुलिस के रौब से ही डरेँगे, स्वच्छता व कोरोना कानूनों के नियम घर से बाहर तक ना मानने के जुर्म ।
सामान्यतः चर्चा होती हैं कि लोकतंत्र भीड़तँत्र में बदल गया , भीड़तँत्र ने लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया । (यह राजनीति की बात है) पर यह भीड़ तो लोक जीवन के लिए भारी पड़ रही है ।जो शब्दों में नही चित्र में दिख रही ।
यह PUBLIC की भीड़ कोरोना कानून नियम आदि किसी से खौफजदा नही जब चारों तरफ हाहाकार मचा हैं पृथ्वी पर । शासन प्रशासन की मेहनत पर पानी डालती भीड़ पर तरस नही गुस्सा आता हैं ? इनकी नासमझी कितनो को बर्बाद करेगी पता नही पर हर दिन नया शहर BLOCK TAHSIL कर्फ्यू तो झेलने को मजबूर हैं ।
इस भीड़ के लिए एक पुराना गीत – मार दिया जाए या छोड़ दिया जाये बोल तेरे साथ क्या सुलूक किया जाये::?
[ पर एक कोरोना वायरस ने (कभी कभी लगता हैं बिना आन्दोलन के) पूर्ण समाजवाद ला दिया
अमीर गरीब सबके लिये एक कानून। एक सा दृश्य सब तरफ ।हर कोई एक ही कानून के दायरे में ।
ना अमीर ना गरीब सब पर कोरोना वायरस भारी : पर लापरवाहो गैरजिम्मेदारो जुआरीयो शराब तस्करो भीड़ बनाने बढ़ाने वालों को ना कानून से डर लगता ना कोरोना वायरस से यही लोग समाज के असली दुश्मन जिन्हें ना देश की ना घर की ना पड़ोसी की ना स्वयं के जान की चिंता ।।फिर कोरोना काल में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मरने वाले को भला क्या ये भीड़ याद रखेगी ?या उनके सिसकते परिवारजनों से सहानुभूति !
कोरोना सँक्रमण महाकाल के समय बेपरवाह भीड़ की जान कर भी अनभिज्ञ रहने कीDRAMABAJI व कानूनों के उल्लंघन करने वालों पर प्रतिदिन NEWS लिखने PHOTO खीँचने वाली शिखादास – पत्रकार ;
लेखिका की एक प्रतिक्रिया
त्वरित व्यँग्य टिप्पणी जो कि पत्रकार के अलावा
एक व्यँग्यकार
SOCIAL ACTIVIST &SOCIAL SYCHOLOGISTसमाज मनोवैज्ञानिक भी हैं।
पर एक कोरोना वायरस ने
(कभी कभी लगता हैं बिना आन्दोलन के) पूर्ण समाजवाद ला दिया
अमीर गरीब सबके लिये एक कानून ।
कभी कभी सोचने को बाध्य होना पड़ रहा कि बड़े बड़े असली समाजवादी नेता चिन्तक श्रीमान रघु ठाकुर / स्व. राममनोहर लोहिया समाजवादी अवधारणा हेतु आजीवन सँघषॆ करते थक गये पर वह उस सीमा तक कामयाब ना हो पाये पर आज एक खतरनाक इस वायरस ने अमीर गरीब सबको एक ही पटरी पर ला के रख दिया हैं ।सब एक ही कानून के दायरे में !LOCKDOWN से लेकर हर कोरोना कानून अमीर गरीब सबके लिए एक ही हैं । एक सा दृश्य सब तरफ ।हर कोई एक ही कानून के दायरे में ।
खैर इस लापरवाही पूर्ण भीड़ के लिये सख्ती जरूरी ही हैं ।
इस भीड़ की मनोवृत्ति / मनोविज्ञान
तो अच्छा खासा मनोवैज्ञानिक भी नही जान पायेगा
सिर्फ कानूनी सख्ती व जुर्माना ही इनको शायद सुधार पायेगा ?!?
ये भीड़ हैं कि मानती ही नहींहै! !
ना अमीर ना गरीब सब पर कोरोना वायरस भारी : पर लापरवाहो गैरजिम्मेदारो जुआरियो शराब तस्करो भीड़ बनाने बढ़ाने वालों को ना कानून से डर लगता ना कोरोना वायरस से यही लोग समाज के असली दुश्मन जिन्हें ना देश की ना घर की ना पड़ोसी की ना स्वयं के जान की चिंता ।।फिर कोरोना काल में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मरने वाले को भला क्या ये भीड़ याद रखेगी ?या उनके सिसकते परिवारजनों से सहानुभूति !
खैर इस लापरवाही पूर्ण भीड़ के लिये सख्ती जरूरी ही हैं । इस भीड़ की मनोवृत्ति / मनोविज्ञान
तो अच्छा खासा मनोवैज्ञानिक भी नही जान पायेगा सिर्फ कानूनी सख्ती व जुर्माना ही इनको शायद सुधार पायेगा ?!? कोरोना सँक्रमण महाकाल के समय बेपरवाह भीड़ की जान कर भी अनभिज्ञ रहने कीDRAMABAJI व कानूनों के उल्लंघन करने वालों पर प्रतिदिन NEEWS लिखने PHOTO खीँचने वाली पत्रकार की
लेखिका की एक प्रतिक्रिया
त्वरित व्यँग्य टिप्पणी जो कि पत्रकार के अलावा
एक व्यँग्यकार
SOCIAL ACTIVIST &SOCIAL SYCHOLOGISTसमाज मनोवैज्ञानिक भी हैं|