सूखी मिट्टी से कोई भी मूरत न कभी बन पाएगी, जब हवा चलेगी ये मिट्टी खुद अपनी धूल उड़ाएगी, इसलिए सजल बादल बनकर बौछार के छींटे देता चल, ये दुनिया सूखी मिट्टी है, तू प्यार के छींटे देता चल… देश के जाने माने कवि कुंवर बेचैन का कोरोना से निधन
1 min readलखनऊ। देश के जाने माने महान कवि डॉ. कुँअर बेचैन जी की अंतिम फ़ोटो अस्पताल की है। उनकी अंतिम इच्छा यही थी कि मेरी शवयात्रा निकले तो यह पंक्तियाँ लिख देना। कोरोनाकाल में शवयात्रा तो नहीं निकाल पा रहे लेकिन उनकी इच्छा पूरी करने वाली ये पंक्तियाँ उन्हीं के कालजयी गीत की इस प्रकार हैं। उन्होंने आज अंतिम सांसें नोएडा के कैलाश अस्पताल में ली।
सूखी मिट्टी से कोई भी मूरत न कभी बन पाएगी,
जब हवा चलेगी ये मिट्टी खुद अपनी धूल उड़ाएगी,
इसलिए सजल बादल बनकर बौछार के छींटे देता चल,
ये दुनिया सूखी मिट्टी है, तू प्यार के छींटे देता चल।
देश के जाने माने कवि कुंवर बेचैन का बृहस्पतिवार को कोरोना से निधन हो गया। मशहूर कवि डॉ.कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया ट्वीटर पर ये जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा कि कोरोना से चल रहे युद्धक्षेत्र में भीषण दुःखद समाचार मिला है। मेरे कक्षा-गुरु, मेरे शोध आचार्य, मेरे चाचाजी, हिंदी गीत के राजकुमार, अनगिनत शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाले डॉ कुँअर बेचैन ने अभी कुछ मिनट पहले ईश्वर के सुरलोक की ओर प्रस्थान किया। कोरोना ने मेरे मन का एक कोना मार दिया।
मालूम हो कि कवि कुंवर बेचैन और उनकी पत्नी संतोष कुंवर दोनों कोरोना संक्रमित हो गए थे। इन दोनों की 12 अप्रैल को रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद से दोनों दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित सूर्या अस्पताल में भर्ती थे। हालत में सुधार नहीं होने पर डॉ. कुंवर बेचैन को आनंद विहार स्थित कोसमोस अस्पताल में शिफ्ट किया गया। वहां उनकी हालत गम्भीर बनी हुई थी। कोरोना महामारी से पूरा विश्व परेशान हो चुका है। आए दिन सैकड़ों की संख्या में प्रदेश में मौतें हो रही है। बुधवार को 380000 के आसपास संक्रमित आंकड़े आए हैं जो अभी तक के सबसे ज्यादा संक्रमित मामले हैं। आए दिन देशभर के अन्य राज्यों से कहीं भी जाएं कहीं सांसद तो कहीं नेता और शिक्षकों को भी मौत की खबरें आ रही है आम लोगों की बात तो बहुत दूर है।