ओमप्रकाश राजभर, संजय निषाद व अनुप्रिया वर्गीय व जातीय नेता नहीं, परिवारवादी व सौदेबाज नेता- लौटनराम निषाद
बलिया। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व समाजवादी पार्टी पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौ. लौटनराम निषाद ने कहा है कि सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद व अपना दल(एस) अध्यक्षा अनुप्रिया पटेल न तो जातीय नेता हैं और न वर्गीय,बल्कि ये तीनों परिवारवादी व आर्थिक सौदेबाज चरित्र के नेता हैं।संजय व ओमप्रकाश तो अत्यंत ही गिरे हुए चरित्र के बिकाऊं तथा वेश्यागिरी चरित्र के स्वपरिवार हितचिंतक नेता हैं।इनकी न तो कोई विचारधारा है और न कोई सिद्धांत।ये तीनो अपने पति,पुत्र,पत्नी की सेटिंग गेटिंग के लिए हो हल्ला करते हैं।समाज को झूठा सपना दिखाकर व भीड़ जुटाकर राजनैतिक व आर्थिक सौदेबाजी करने का काम करते हैं।
निषाद ने कहा कि संजय कुमार निषाद, ओमप्रकाश राजभर का चरित्र वेश्यागिरी करने वाली से भी गिरा हुआ है।अनुप्रिया पटेल न तो कुर्मी हितचिंतक हैं और न ओबीसी हितैषी,इसको तो सिर्फ अपने पति व टिकट बेचने की चिंता है।यह केवल इसलिए हो हल्ला करती हैं ताकि इनका पति कैबिनेट मंत्री बन जाये,कुर्मी व पिछड़े जाएं चूल्हा भाड़ में।ओमप्रकाश राजभर व संजय निषाद अपने राजभर व निषाद समाज को आरक्षण के मुद्दे पर बरगलाकर अपनी रोटी सेंकते हैं।
ओमप्रकाश राजभर व संजय निषाद अपने स्वार्थसिद्धि के लिए बहेलिया का काम कर रहे हैं।ये निज स्वार्थ में झूठा सपना दिखाकर चन्दाखोरी व सौदेबाजी कर ज़िरफ अपना हित साध रहे हैं।ओमप्रकाश राजभर ने मऊ के रेलवे मैदान में अमित शाह के साथ मंच साझा कर कहा कि निषाद, राजभर,प्रजापति आदि जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने के मुद्दे पर भाजपा संघ गठबंधन किये हैं।पर जब मंत्री बन गए तो अनुसूचित जाति का मुद्दा छोड़ पिछड़ावर्ग को 3 श्रेणियों में बांटने का मुद्दा उछालने लगे।संजय कुमार निषाद ने चर्चा में आने के लिए 7 जून,2015 को कसरवल में इटावा के अखिलेश निषाद की हत्या अपने ही आदमी से गोली मरवाकर करा दिया
निषाद, मल्लाह, केवट, कश्यप,बिन्द को अपना राजनीतिक घर बनाने व राजपाट लेने की बात करते हैं। दूसरी तरफ पहले अपने बेटे को सपा से चुनाव लड़वाया और 2019 में भाजपा में शामिल कराकर चुनाव लड़वाया।ओमप्रकाश व संजय दोनों अपने समाज को बेवकूफ बना अपनी रजनीति चमकाने व सौदेबाजी करने के काम में जुटे हैं।