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October 18, 2024

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आतंक मचाने वाला तेंदुआ का ईलाज के दौरान मौत

Panic leopard dies during treatment

गरियाबंद। बीते 3 दिन से खरहरी गांव में आतंक मचाने वाला और लोगों पर हमले का प्रयास करने वाला तेंदुआ अंतत: पकड़ में आ गया और उसकी स्थिति गंभीर स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इसे नंदनवन भेजा जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में ही उसकी मौत हो गई तेंदुआ बीते 3 दिन से भूखा प्यासा था और गंभीर डिहाइड्रेशन का शिकार हो चुका था। शनिवार को नंदनवन से पहुंचे विशेषज्ञ डॉक्टर ने तेंदुए को ट्रेंकुलाइज देकर बेहोश किया फिर पिंजरे में डालकर उसकी स्थिति का आकलन किया तब उसकी गंभीर समस्याओं का पता चला। इन स्थितियों में तत्काल उसे इलाज के लिए नंदनवन ले जाया जा रहा था। नंदनवन पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गयी। इसके बाद उसके पोस्टमार्टम के बाद रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

Panic leopard dies during treatment

पोस्टमार्टम में यह भी बात सामने आई है कि तेंदुए के पीठ एवं पीछे के दाएं पैर पर चोट के निशान हैं। इससे उसका फैक्टर फैक्चर हो गया था जिसके चलते वह लगातार गांव में आ रहा था और लगातार मवेशियों और इंसानों पर आक्रमण करने का प्रयास कर रहा था। इससे लोगों में दहशत वह आक्रोश व्याप्त था यहां यह बताना भी आवश्यक है कि तेंदुआ वन्य प्राणी में शेड्यूल वन का प्राणी आता है जिसके चलते उसका एक अपना अलग महत्व है। पोस्टमार्टम के बाद नियमानुसार तेंदुए को वहां जलाया जाएगा। बता दें कि कल दोपहर से पिंजरा लगाने के बाद जब देर शाम तक तेंदुआ पिंजरे में नहीं आया तब वन विभाग ने रायपुर के विशेषज्ञों से इस मामले में सलाह ली। इस पर उच्च अधिकारियों ने नंदनवन से वन्य जीव विशेषज्ञ चिकित्सक रवि वर्मा को ट्रेंकुलाइजर गन के साथ गरियाबंद भेजा। इसके बाद शनिवार सुबह हिंसक तेंदुए को पकड़ने रेस्क्यू अभियान प्रारंभ किया गया। तेंदुआ जिन झाड़ियों में छिपा था वहां ट्रेंकुलाइज करना संभव नहीं दिख रहा था कुछ देर बाद तेंदुआ निकलकर घरों के आसपास मंडराने लगा तब एक घर की छत पर चढ़कर बेहोशी के इंजेक्शन वाले ट्रेंकुलाइज गन से तेंदुए को निशाना बनाकर बेहोश किया गया। इंजेक्शन लगने के 3 मिनट के भीतर ही तेनुआ बेहोश हो गया इसके बाद तेंदुए को तत्काल पिंजड़े में डाला गया और गांव से गरियाबंद लाया गया। शनिवार को नंदनवन पहुंचने के बाद राजपत्रित अधिकारी के सामने तेंदुए का पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम में पाया गया कि उसकी पीठ और पैर दाएं पैर पर गंभीर चोट के निशान हैं और हड्डी टूटी हुई है। इन स्थितियों के बीच तेन्दुआ अधिक चल फिर नहीं पा रहा था जिसके चलते वह लगातार गांव पहुंच रहा था गांव में पहुंचकर वह मवेशियों पर लगातार आक्रमण कर रहा था। वहीं दूसरी ओर लोगों को भी आक्रमण करने दौड़ा रहा था जिसके चलते गांव में दहशत व भय का माहौल था।

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