पिथौरा- 1 लाख 50 हजार के वनोपज जब्त
1 min readअर्जुनी परिक्षेत्र से शिखादास की REPORT
1 लाख 50 हजार के वनोपज जब्त वन्य तस्कर के हौसले बुलंद
लाखों की सागौन चीतल सिँग जब्त
पिथौरा/ समीप के अर्जुनी वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा एक बार फिर लाखो की सागौन चिरण लकड़ी एवम एक चीतल सिंग जप्त करने में सफलता अर्जित की है। ज्ञात हो कि बार देवपुर एवम कोठारी वन परिक्षेत्र में जहां लकड़ी की चोरी खुले आम हो रही है।वही इनके पड़ोस की अर्जुनी वन परिक्षेत्र में लकड़ी तस्कर प्रयास करते ही पकड़े जा रहे है।। एक बड़ी कामयाबी मिली ।
उपवनमंडलाधिकारी कसडोल
उदयसिंह ठाकुर के मार्गदर्शन एवं परिक्षेत्र अधिकारी अर्जुनी टी.आर. वर्मा, के निर्देशन में अर्जुनी परिक्षेत्र अंतर्गत जंगल बचाने हो रही गश्त कर वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा हेतु कड़े कदम उठाये जा रहे है। गश्त के दौरान मंगलवार को अर्जुनी परिक्षेत्र के अंतर्गत भागवत वल्द तीजराम साहू ग्राम बरेली के घर से 239 नग सागौन चिरान = 1.176 घ.मी. एवं सोनचरण वल्द गोविन्द साहू ग्राम बरेली के घर से 29 नग सागौन चिरान = 0.206 घ.मी. एवं 01 नग साम्भर का सिंग जप्त किया गया।
इसी प्रकार ग्राम गनियारी के विजय पटेल के घर से 1 नग सागौन दरवाजा = 0.108 घ.मी. जप्त कर भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 एवं विनिर्दिष्ट वनोपज रखना छ.ग.वनोपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम 1969 की धारा 15 एवं 16 के अंतर्गत अपराध कायम कर विवेचना की जा रही है।
कार्यवाही के दौरान सोनचरण ने अपने घर मे रखे एक चीतल सिंह को तत्काल घर के कुएं में फेंक दिया,जिसे वह अधिकारियों ने देख लिया,बाद में आरोपी से ही कुए में फेंके गए चीतल सिंग को निकलवा कर जप्ती की कार्यवाही की गई।जप्त वनोपज की कीमत लगभग 01 लाख 50 हजार रूपये है। सोनचरण वल्द गोविन्द साहू के घर काष्ठ के अलावा एक साम्भर का सिंग भी जप्त किया गया है। उक्त प्रकरण में वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 एवं वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2002 की धारा 9, 50 एवं 51 के तहत अपराध कायम कर कार्यवाही की जा रही है। तलाशी की सम्पूर्ण कार्यवाही वन परिक्षेत्र अधिकारी टी.आर. वर्मा, के निर्देशन में किया गया ।
विशेष योगदान
साथ ही तलाशी की कार्यवाही में लक्ष्मीप्रसाद श्रीवास्तव, उपवनक्षेत्रपाल, श्री संतराम ठाकुर वनपाल, स.प.अ. अर्जुनी, सुखराम छात्रे, वनपाल, स.प.अ. महराजी, वनरक्षक चन्द्रभुवन मनहरे, तृप्ति जायसवाल, नरोत्तम पैंकरा, राजेश्वर प्रसाद वर्मा, सोहनलाल यादव, कृष्णकुमार कुशवाहा, गिरजाप्रसाद कैवर्त्य, सुशील पैंकरा, प्रवीणकुमार आडिले, खगेश्वर धु्रव, भानुप्रताप आजाद, धरमसिंग बरिहा, प्रेमचन्द्र घृतलहरे, भागवत प्रसाद श्रीवास, भागीरथी सोनवानी फिरतराम यादव, श्रीमती सुनीता कंवर, गोविन्दराम निषाद, रविन्द्रकुमार पाण्डेय तथा सुरक्षा श्रमिकों का विशेष योगदान रहा।